दावा
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है. इसमें दावा किया जा रहा है कि गुरु रविदास ने अपनी पोथी में कोरोना, चीन और भारत के विश्वगुरु बनने संबंधित बातें लिखी हैं. कवितानुमा ये रचना छह पैरा की है. इसमें इटली में कोहराम मचने और तीसरा प्रलयकारी युद्ध होने की बात भी लिखी है. यह दावा फेसबुक और वॉट्सऐप पर खूब वायरल है.(आर्काइव लिंक) ट्विटर पर भी यह फोटो शेयर की जा रही है.(आर्काइव लिंक)
पड़ताल
'दी लल्लनटॉप' ने इस वायरल दावे की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में ये वायरल दावा झूठ निकला. पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने इंटरनेट पर उपलब्ध गुरु रविदास की पोथी खोजी. यहां हमें'जगत गुरु रविदास अमृतवाणी एवं संक्षिप्त जीवन'के नाम से एक किताब मिली. इसके टीकाकार यानी व्याख्याकार संत सुरिंदर दास बाबा हैं. यह किताब- श्री गुरु रविदास जन्म स्थान चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से प्रकाशित की गई है. संस्थान का मुख्यालय पंजाब के जालंधर के पास सचखंड बल्लां नाम की जगह पर है. 800 से ज़्यादा पन्नों के इस ग्रंथ को रविदासिया मत में सबसे बड़ा संकलन माना जाता है. इस किताब में कहीं भी कोरोना या भारत के विश्व गुरु बनने जैसी बातों का कोई जिक्र नहीं है. नीचे आप गुरु रविदास की पूरी रचनाएं पढ़ सकते हैं.
"गुरु रविदास ने कभी भविष्यवाणी जैसी बात नहीं की. उन्होंने जीने की राह दिखाई है, जिसे आज हम सब लोग फॉलो करते हैं. वायरल हो रही तस्वीर में जो पंक्तियां लिखी हैं वह गुरु रविदास जी की अमृतवाणी नहीं है. गुरु साहब ने इतना कुछ बेहतर लिखा है, बताया है, सिखाया है. लेकिन, न जाने क्यों कुछ शरारती लोग गलत और आधारहीन बातों को गुरु साहब के नाम से जोड़कर वायरल कर रहे हैं. यह बहुत दुखद है."इसके अलावा हमने रविदासिया मत की वेबसाइट पर उपलब्ध कुछ और ग्रंथों को भी जांचा. उनमें भी कहीं ऐसी कोई बात नहीं लिखी है. संत रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में माना जाता है और उनकी अधिकतर रचनाएं ब्रजभाषा में है. जिनमें कहीं-कहीं अवधी और फ़ारसी के शब्द भी पाए जाते हैं. अमृतवाणी में मौजूद रचनाओं को वायरल हो रही पंक्तियों के साथ तुलना करने पर स्पष्ट अंतर दिखता है कि ये बातें संत रविदास की शैली में नहीं लिखी गई हैं.
नतीजा
‘द लल्लनटॉप’ की पड़ताल में गुरु रविदास की पोथी में कोरोना जैसी महामारी और चीन, अरब और भारत के बारे में भविष्यवाणी होने का वायरल दावा झूठ निकला. गुरु रविदास की अमृतवाणी के वृहद संकलन में कहीं भी ऐसी बातें नहीं लिखी गई है. और ना ही लेखन की शैली गुरु रविदास रचनाओं से मेल खाती है.














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