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पड़ताल: जले हुई धार्मिक ग्रंथों की तस्वीरें क्या त्रिपुरा हिंसा से जुड़ी हैं?

सोशल मीडिया पर त्रिपुरा हिंसा से जोड़कर तस्वीर वायरल.

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वायरल दावा.
दावा

हाल ही में त्रिपुरा के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भीड़ ने त्रिपुरा में मस्जिदों को निशाना
बनाया और स्थानीय व्यापारियों की दुकानों को आग के हवाले कर दिया.
अब सोशल मीडिया यूज़र्स अलग-अलग दावों के साथ हिंसा से जुड़ी हुईं तस्वीरों को शेयर कर रहे हैं.
ऐसी ही एक तस्वीर में 2 शख्स हैं, जिनके हाथों में कुछ जली हुई किताबें दिख रही हैं. वायरल हो रहे दावे के मुताबिक, जली हुई किताबें का संबंध इस्लाम धर्म से है. ट्विटर यूजर शोएब अख्तर ने वायरल तस्वीर को ट्विटर पर शेयर करते हुए कैप्शन
दिया. (आर्काइव 
)

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ट्विटर पर ही TTS नाम के यूजर ने वायरल तस्वीर को ट्वीट
करते हुए लिखा. (आर्काइव

 

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एक और ट्विटर यूजर मनीष तिवारी ने वायरल तस्वीर को ट्वीट
करते हुए कैप्शन लिखा. (आर्काइव
)

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इसी तरह फेसबुक पर
भी अलग-अलग दावों के साथ इस तस्वीर को त्रिपुरा हिंसा से जोड़ा
जा रहा है. 
 

पड़ताल


'दी लल्लनटॉप' ने वायरल हो रहे दावे की पड़ताल की. पड़ताल में हमने पाया कि वायरल हो रही तस्वीर दिल्ली के रोहिंग्या शरणार्थी कैंप की है. ये तस्वीर जून 2021 की है. वायरल तस्वीर का त्रिपुरा से कोई लेना-देना नहीं है. तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया. रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ट्विटर पर 13 जून 2021 का एक ट्वीट मिला. ट्विटर यूजर Ramy के इस ट्वीट
में वायरल हो रही तस्वीर मौजूद है. (आर्काइव

 


ट्विटर यूजर Ramy ने इस तस्वीर को जून 2021 में दिल्ली के रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप में लगी आग से जुड़ी बताया. यहां से क्लू लेकर जब हमने कीवर्ड्स की मदद से वायरल हो रही तस्वीर के बारे में जानकारी जुटाई तो वायरल फोटो से जुड़ा एक इंस्टाग्राम पोस्ट
मिला.
आसिफ मुजतबा नामक इंस्टाग्राम यूजर ने इस तस्वीर को अपने इंस्टाग्राम पर अपलोड किया था. 13 जून को किए गए इस पोस्ट में भी बताया गया है कि वायरल हो रही तस्वीर दिल्‍ली के कंचनकुंज के रोहिंग्‍या कैंप में आग लगने के बाद की है.

हमें रोहिंग्या कैंप में आग लगने की खबर अलग-अलग मीडिया आउटलेट्स पर मिली. इंडियन एक्सप्रेस
, इंडिया टुडे
और द हिंदू
ने इस हादसे को विस्तार से कवर किया था. वायरल हो रही तस्वीर हमें आसिफ मुजतबा के ट्विटर हैंडल पर भी मिली. 28 अक्टूबर 2021 को आसिफ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर स्पष्टीकरण देते हुए
लिखा था. (आर्काइव
)

"ये तस्वीरें कंचन कुंज, नई दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में हाल ही में हुई आग की घटना की हैं, न कि त्रिपुरा की। हमें ये तस्वीरें तब मिली जब @miles2smile_ ने इस साल जून में राहत कार्य शुरू किया था। कृपया गलत सूचना साझा न करें #TripuraAnti MuslimRiots"

अपने अगले ट्वीट में आसिफ मुजतबा ने तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर का नाम मोहम्मद मेहरबान
बताया.

( आर्काइव
) मोहम्मद मेहरबान की ट्विटर प्रोफाइल के मुताबिक, वो दिल्ली बेस्ट एक फोटो पत्रकार हैं. फोटो की पुष्टि के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने मोहम्मद मेहरबान से संपर्क किया. मेहरबान ने बताया,

"फोटो दिल्ली के कंचन कुंज स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कैंप की है. 12 जून 2021 की रात को रोहिंग्या कैंप में आग लग गई थी. उसी दौरान देर रात को मैंने ये तस्वीर खींची थी."

नतीजा

हमारी पड़ताल में नतीजा निकला कि हाथ में जली हुई धार्मिक किताबें लिए खड़े दो लोगों की वायरल तस्वीर का त्रिपुरा हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. असल में यह तस्वीर दिल्ली में कंचनकुंज स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कैंप की है. जून के महीने में रोहिंग्या कैंप में आग लगने के बाद राहत एवं बचाव कार्य के दौरान ये तस्वीर खींची गई थी.
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