The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

पड़ताल: बिजनौर के मदरसे से बरामद हथियारों के नाम पर वायरल तस्वीरों का सच क्या है?

इन तस्वीरों में गिरफ्तार लोगों के पास से बंदूकें और तलवार जैसे हथियार बरामद हुए दिख रहे हैं.

post-main-image
इन तस्वीरों की सच्चाई जानिए और अफ़वाहों से सावधान रहिए.
दावा
सोशल मीडिया पर पुलिस और हथियारों के जखीरे की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं. दावा किया जा रहा है कि ये सभी हथियार बिजनौर के एक मदरसे से बरामद हुए हैं.
फ़ेसबुक यूजर रोहित सैनी ने ये तस्वीरें पोस्ट (आर्काइव लिंक)
करते हुए लिखा,
उत्तर प्रदेश #बिजनौर
 में मदरसे पर मारे गए छापे में बरामद हथियारों का जखीरा 6 #मौलवी
 गिरफ्तार
चिंता वाली बात इसमें यह है कि #Lmg
 मशीनगन का मिलना
1 मिनट में #8000 राउंड फायरिंग क्षमता वाली मशीन गन समझिए इन लोगों की तैयारी को जागो #हिंदू
 जागो उन्होंने तुम्हारा #भविष्य
 तय कर दिया है
बहुत हिंदू भाई हिंदू मुस्लिम के लिए कहते हैं ना यह दोस्ती के लायक नहीं है
उत्तर प्रदेश #बिजनौर में मदरसे पर मारे गए छापे में बरामद हथियारों का जखीरा 6 #मौलवी गिरफ्तार चिंता वाली बात इसमें यह है...
Posted by Rohit Saini
on Thursday, 19 March 2020
ये पांच तस्वीरें इसी दावे के साथ वॉट्सऐप पर भी शेयर की जा रही हैं. लल्लनटॉप के पाठकों ने हमें इस दावे की सच्चाई जानने के लिए ढेरों मेल भी किए हैं. हम वायरल हो रही पांचों तस्वीरों को एक फ्रेम में दिखा रहे हैं.
Viral Images By Numbering
इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर घुमाया जा रहा है.

पड़ताल

‘दी लल्लनटॉप’ ने हरेक तस्वीर की अलग-अलग पड़ताल की. हमारी पड़ताल में ये तस्वीरें और वायरल होता दावा भ्रामक और झूठा निकला.
पहली तस्वीर
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 29 जुलाई, 2019 की बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट
मिली. रिपोर्ट के अनुसार,
शामली पुलिस ने एक मदरसे में छापा मारकर घुसपैठ और घुसपैठ को पनाह देने के आरोप में सात लोगों को गिरफ़्तार किया था. इनमें से चार म्यांमार के नागरिक थे, जो अवैध रूप से मदरसे में रह रहे थे. उनपर कई धाराओं में केस दर्ज किया गया.’ 
इस क्लू के आधार पर हमने शामली पुलिस का ट्विटर अकाउंट खंगाला. हमें 29 जुलाई, 2019 का ट्वीट मिला. अभी वायरल हो रही तस्वीर भी मिल गई. शामली पुलिस का ट्वीट (आर्काइव लिंक)
 
देख लीजिए, दूसरी तस्वीर
यानडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें बिजनौर पुलिस के एक ट्वीट (आर्काइव लिंक)
का लिंक मिला. ये 11 जुलाई, 2019 को पोस्ट किया गया था. शेरकोट थाना क्षेत्र में एक मदरसे में पुलिस ने छापेमारी कर 6 आरोपियों को अरेस्ट किया था. उनके पास से 1 पिस्टल, 4 तमंचे और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए गए थे. वायरल हो रही दूसरी तस्वीर को आप ट्वीट में देख सकते हैं. हमें 11 जुलाई, 2019 को पब्लिश अमर उजाला
की रिपोर्ट भी मिली. पुलिस के मुताबिक़, इन्हें हथियारों की तस्करी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
तीसरी और चौथी तस्वीर
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें गुजरात हेडलाइन्स का ट्वीट मिला. 5 मार्च, 2016 के इस ट्वीट में दोनों तस्वीरें मिल गईं. ख़बर राजकोट में हथियारों के ज़ख़ीरे के साथ पांच आरोपियों की गिरफ़्तारी की थी. इस क्लू के आधार पर हमने कीवर्ड्स सर्च किया. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की, 5 मार्च, 2016, की रिपोर्ट
के अनुसार, क्राइम ब्रांच और कुवाडवा पुलिस ने राजकोट-अहमदाबाद हाइवे के पास चोटीला के एक गांव में चल रहे रैकेट का भंडाफोड़ किया था. इस दौरान पांच अभियुक्तों की गिरफ़्तारी भी हुई थी.
पांचवी तस्वीर
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें जुलाई, 2018 की इंडिया टुडे की एक फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट
मिली. उस वक़्त ये तस्वीर केरल में PFI के दफ़्तर की बताकर शेयर की जा रही थी. इसके अनुसार, ये तस्वीर पंजाब के पटियाला में स्थित एक कृपाण फ़ैक्ट्री की थी. लल्लनटॉप ने भी इस दावे की पड़ताल की थी. वीडियो आप यहां देख सकते हैं:


हमने पांचों तस्वीरों का फै़क्ट आपको बताया. ये सभी तस्वीरें पुरानी हैं. सबसे हालिया तस्वीर 29 जुलाई, 2019 की शामली की है. इनका हालिया घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है. वायरल दावे में मशीनगन के बरामद होने की बात लिखी गई है. लेकिन हमारी पड़ताल के दौरान LMG मशीनगन का कोई सबूत हमें नहीं मिला.
ये पुरानी ख़बरें हैं, जिन्हें इन दिनों दोबारा वायरल किया जा रहा है. निज़ामुद्दीन मरकज़ में शरीक हुए मुस्लिमों से जोड़कर कई पुराने वीडियोज़ और तस्वीरें वायरल की जा रही हैं. इनमें से कई दावों का भारत से ही कोई नाता नहीं है. ऐसे दावों की पड़ताल लल्लनटॉप ने की है. आप नीचे क्लिक करके उन दावों की पड़ताल भी पढ़ सकते हैं.

पड़ताल: क्या मुस्लिम व्यक्ति ने कोरोना वायरस फैलाने के लिए ब्रेड के पैकेट में थूक लगाया?

पड़ताल: क्या निज़ामुद्दीन में मुसलमान बर्तन जूठा कर कोरोना वायरस फैला रहे हैं?

नतीजा
हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला. इनमें से सिर्फ एक तस्वीर बिजनौर की है. बिजनौर की घटना 11 जुलाई, 2019 की है. बाकी तस्वीरें अलग-अलग स्थानों और अलग घटनाओं से संबंधित हैं. इनको अभी का बताकर शेयर किया जा रहा है, जो पूरी तरह से झूठ है.

अगर आपको भी किसी ख़बर पर शक है
तो हमें मेल करें- padtaalmail@gmail.com
पर.

हम दावे की पड़ताल करेंगे और आप तक सच पहुंचाएंगे.

कोरोना वायरस से जुड़ी हर बड़ी वायरल जानकारी की पड़ताल हम कर रहे हैं. इस लिंक पर क्लिक करके जानिए वायरल दावों की सच्चाई.