
वायरल पोस्ट में दावा है कि बालाकोट में मरे आतंकवादियों की तस्वीरें आ गई हैं
क्या है वायरल पोस्ट में फेसबुक पर विक्रम लाखड़ा नाम के व्यक्ति हैं. आप नहीं जानते इन्हें? कोई बात नहीं. कोई भी नहीं जानता था इनको. तो लाखड़ा जी ने अपने 'फ़ोर मिनट्स ऑफ़ फ़ेम' के लिए एक पोस्ट लिखा. पोस्ट में सामूहिक कब्रों की तस्वीर है. 3 और तस्वीरें हैं जिनमें एक कमरे में ढेरों डेड-बॉडीज़ रखी हुई हैं. इस पोस्ट को 2 हज़ार से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है. पोस्ट में लिखा है -
सबूत मांगने वालों यह रहा सबूत देख लो और पहचान लो तुम्हारे बाप को

विक्रम लाखड़ा की पोस्ट
क्या है सच्चाई? पाकिस्तान के बालाकोट में बम गिरे. इसकी पुष्टि भारतीय सेना और भारत सरकार से लेकर पाकिस्तानी सरकार, सेना और इंटरनेशनल मीडिया तक ने की है. इस बात में कोई शंका नहीं है. लेकिन ये तस्वीरें बालाकोट की नहीं कराची की हैं. और 4 साल पुरानी हैं. हमारी पड़ताल में 27 जून 2015 की खबरों में यही तस्वीरें हमें मिलीं. ये बात तो सच है कि पाकिस्तान में सामूहिक कब्रें खोदी गईं. पर ये बम से नहीं, बल्कि गर्मी की वजह से मरे हुए लोगों के लिए थीं. 2015 में कराची में पारा 45 के पार हो गया था. ये रमज़ान के समय हुआ. ऊपर से बिजली में भी कटौती हो रही थी. इसलिए गर्मी की वजह से इतनी मौतें हुईं कि सामूहिक कब्रें खोदने की नौबत आ गई. ये खबरें हमें न्यू यॉर्क टाइम्स
के साथ-साथ कई पाकिस्तान न्यूज वेबसाइट्स में भी मिलीं.

न्यू यॉर्क टाइम्स में 2015 में यह खबर छपी थी (न्यूज़ फोटो एजेंसी गैटी इमेजेज़ से तस्वीर ली गई है)
इन पुरानी तस्वीरों को बालाकोट की बताकर फैलाया जा रहा है. ये पोस्ट सरासर झूठ है. कराची में भीषण गर्मी की और भी तस्वीरें मिलीं.

कराची में भीषण गर्मी कि तस्वीर (1)

कराची में भीषण गर्मी कि तस्वीर (2)

साल 2015 में उसी दौरान हुई मौतों के बाद अस्पतालों में रोते परिजन
झूठ बोलने की जरूरत है नहीं बालाकोट में हुई कार्रवाई सच है. इसमें कोई शक नहीं. पर कितने आतंकवादी मरे, ये साफ-साफ बताया नहीं जा सकता है. ऐसा सेना ने खुद कहा है. अब अपने दिव्य ज्ञान से मरने की तस्वीरें ले आने वाले, एक सच्ची कार्रवाई पर भी सवाल उठाने का मौका दे रहे हैं. खुद को राष्ट्रभक्त समझने वाले ये 'क्यूट' लोग इनडायरेक्टली देश की क्रेडिबिलिटी पर ही सवाल उठवा रहे हैं.