योगी सरकार ने बुधवार को यूपी के 20 सीनियर IAS ऑफिसर्स का ट्रांसफर किया था, जिसमें सबसे बड़ा नाम नवनीत सहगल का है. नवनीत के अलावा अनीता सिंह, डिंपल वर्मा, दीपक अग्रवाल और हरिओम का भी ट्रांसफर किया गया है, पर अभी तक इन्हें कोई कार्यभार नहीं दिया गया है. ये सारे अफसर अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं और फिलहाल वेटिंग लिस्ट में हैं.
योगी आदित्यनाथ ने कर दिया अखिलेश के इन 20 करीबी अधिकारियों का फैसला
इस लिस्ट में रमा रमण का भी नाम है, जो अरबपति इंजीनियर यादव सिंह के मामले में फंसे हैं.

आइए आपको बताते हैं इनमें से बड़े ऑफिसर्स के बारे में:
नवनीत सहगल
अखिलेश सरकार में प्रमुख सचिव रहे नवनीत धमार्थ कार्य, सूचना और पर्यटन विभाग, सीईओ यूपीडा और उपसा के साथ कई बड़े पदों पर थे. वह बसपा सरकार में भी कई बड़ी पोस्ट्स पर काम संभाल रहे थे. सपा सरकार आने पर पहले तो इन्हें छोटे पद दिए गए, लेकिन जल्द ही बड़ी पोस्ट्स पर वापसी कराई गई.
योगी सरकार में इनकी जगह अवनीश अवस्थी को लाया गया है, जो पद्मश्री विजेता लोकगायिका मालिनी अवस्थी के पति हैं. अवनीश इससे पहले केंद्र सरकार में थे और योगी आदित्यनाथ की मांग पर वापस लौटे हैं. पहले अवनीश को सीएम का मुख्य सचिव नियुक्त किए जाने की बात हो रही थी, लेकिन ये पद मृत्युंजय कुमार नारायण के खाते में चला गया. अब अवनीश को यूपी का प्रमुख सचिव बनाया गया है.
रमा रमण
पिछली सरकार में रमा रमण प्रमुख सचिव, अवस्थापना और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट और नोएडा में NRI डिपार्टमेंट प्रेसिडेंट थे. इन्हें अभी वेटिंग में रखा गया है. अरबों की संपत्ति वाले नोएडा के इंजीनियर यादव सिंह के घोटाले वाले मामले में रमा रमण का भी नाम आया था. CBI जांच के बाद इन्हें नोएडा के चेयरमैन पद से हटाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी.
अखिलेश सरकार पर आखिरी वक्त तक रमा को बचाने के आरोप लगे, जिसकी वजह से कोर्ट ने सरकार को फटकार भी लगाई थी. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे में पैसों के हेरफेर में भी रमा का नाम था. बीएसपी सरकार में भी ये कई बड़ी पोस्ट्स पर थे. योगी सरकार में इनकी जगह मेरठ के कमिश्नर अलोक सिन्हा को लाया गया है, जो 1998-99 में नोएडा अथॉरिटी के डिप्टी सीईओ रहे हैं. नोएडा में FDDI की स्थापना के पीछे भी आलोक ही थे.
दीपक अग्रवाल
दीपक अग्रवाल अखिलेश यादव सरकार में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रहे और इस सरकार में अभी वेटिंग लिस्ट में लटके हैं. इन्हें किसी भी डिपार्टमेंट में कोई पोस्ट नहीं दी गई है.
गुरदीप सिंह
भूतत्व और खनन विभाग के मुख्य सचिव रहे गुरदीप को भी वेटिंग लिस्ट में रखा गया है. इनकी जगह राजस्व परिषद के सदस्य राज प्रताप सिंह को लाया गया है.
विजय कुमार यादव
विजय गाजियाबाद के विकास प्राधिकरण प्रमुख के पद पर थे. पद पर रहते हुए वह कई विवादों में घिरे थे. योगी सरकार ने विजय यादव को भी वेटिंग लिस्ट में डाल रखा है.
डिंपल वर्मा
यादव सरकार में डिंपल वर्मा प्रमुख सचिव (बाल विकास और पुष्टाहार) की पोस्ट पर थीं. पद पर रहते हुए इन पर पंजीरी घोटाले का आरोप लगा था. यूपी सरकार करीब पौने दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पंजीरी बांटती है. इस योजना में हर महीने करीब 58 करोड़ रुपए का खर्च आता है. योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पंजीरी के करोड़ों रुपए के टेंडर सस्पेंड कर दिए गए और अब डिंपल को विभाग के प्रमुख सचिव पद से भी हटा दिया गया है. इन्हें कोई नया पद अलॉट नहीं हुआ है.
इन अफसरों के अलावा संस्कृति विभाग के सचिव और निदेशक डॉ. हरिओम और अनीता सिंह को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. ये दोनों भी अभी वेटिंग लिस्ट में हैं.
दी लल्लनटॉप के लिए ये स्टोरी आदित्य झा ने की है.
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