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सनी-सलमान की 'जीत' के किस्से: जब सनी देओल नाचते और सेट से सब को भगा दिया जाता

सलमान कहते हैं कि इस फिल्म ने मेरा करियर बचा लिया.

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सलमान और सनी पहले इस फिल्म को करने से हिचकिचा रहे थे.

सलमान खान राजस्थान में शूटिंग कर रहे थे. फिल्म थी ‘करण अर्जुन’. एक टू-हीरो फिल्म जहां सलमान के साथ शाहरुख थे. शॉट देने के बाद सलमान अपनी वैनिटी वैन में आराम कर रहे थे. तभी उनका दरवाज़ा किसी ने खटखटाया. असिस्टेंट ने बताया कि आपसे मिलने साजिद नाडियाडवाला आए हैं. साजिद हिंदी फिल्मों के प्रोड्यूसर थे. लेकिन सलमान के साथ उन्होंने तब तक काम नहीं किया था. साजिद अपने साथ जो फिल्म लेकर आए थे, उससे 25 साल लंबी दोस्ती की शुरुआत होने वाली थी. 

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साजिद ने सलमान को ‘जीत’ फिल्म की कहानी सुनाई. कहा जाता है कि पहली बार सुनकर सलमान ने मना कर दिया. उन्हें लगा कि फिल्म में दूसरे हीरो के आगे उनका किरदार फीका पड़ रहा है. साजिद ने समझाया कि बेफिक्र रहो. ऐसा कुछ नहीं होगा. सलमान ने कुछ दिन का वक्त मांगा. वैन से निकलते हुए साजिद जानते थे कि बात बन जाएगी. क्योंकि कुछ दिन पहले ठीक ऐसा ही जवाब उन्हें एक और एक्टर ने दिया था. साजिद ने सनी देओल को ‘जीत’ का नैरेशन दिया था. उस समय सनी ‘डर’ से उबरे तक नहीं थे. मीडिया में यश चोपड़ा को उनका वादा याद दिलाते. कहते कि यश चोपड़ा अपनी ज़ुबान के खरे नहीं. ‘डर’ के सेट से वो जीन्स शायद, तब भी सनी देओल की अलमारी के किसी कोने में रही होगी. जो उन्होंने गुस्से में फिल्म के सेट पर फाड़ दी थी. फिल्म में उन्हें शाहरुख के किरदार से पिटना था. ये बात बर्दाश्त नहीं हुई. जीन्स की जेब में डाल रखे थे अपने दोनों हाथ. लगाया जोर और उस जीन्स को रिप्ड बना डाला. 

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जो ‘डर’ ने शाहरुख के लिए किया वो सनी के लिए ‘जीत’ ने किया. 

खैर, साजिद की फिल्म ‘डर’ के घाव भरने आई थी. जैसा ‘डर’ में शाहरुख का किरदार था, कुछ-कुछ वैसा ही रोल सनी का ‘जीत’ में था. ‘डर’ के सनी और ‘जीत’ के सलमान दोनों ही अच्छे लोग थे. ‘जीत’ को लेकर सनी पूरी तरह श्योर नहीं थे. साजिद ने कहानी पर यकीन करने को कहा. सनी मान गए. कुछ दिन बाद सलमान का भी जवाब आ गया. वो भी फिल्म करने को तैयार थे. कुछ जगह पढ़ने को मिलता है कि फिल्म की फीमेल लीड में पहले जूही चावला को सोचा गया था. हालांकि उनके पास डेट्स नहीं थीं. इस कारण ये फिल्म गई करिश्मा कपूर के पास. ‘जीत’ बनकर तैयार हुई और 23 अगस्त, 1996 को रिलीज़ हुई. फिल्म ने बम्पर पैसा फोड़ा. नदीम-श्रवण के म्यूज़िक का उसमें बड़ा हाथ था. ‘अभी सांस लेने की फुरसत नहीं’, ‘यारा ओ यारा’, ‘सांसों का चलना’ जैसे गानों ने गदर मचा दिया. बाज़ारों में सुनने को मिलते. छोटे शहरों में तो आज भी आलम ऐसा है कि ‘जीत’ के गानों ने धाक जमा रखी है. 

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फिल्म के गाने सिर्फ छोटे शहरों तक ही सीमित नहीं रहे. फिल्म का एक गाना है जो उस वक्त तो हिट हुआ, लेकिन अब तगड़ा मीम बन चुका है. ये गाना था ‘यारा ओ यारा’. सनी देओल पैरों से धम-धम कर के धरातल हो हिला देते हैं. हाथों से अदृश्य मुक्के चलाते हैं. करीब छह मिनट के गाने में सनी देओल ने जो किया, वो खुद भी उसे डांस नहीं मानते. सनी शुरू से जानते थे कि वो देओल परिवार के सबसे बेस्ट डांसर नहीं हैं. ‘जीत’ फिल्म की टीम स्विट्ज़रलैंड पहुंची. वहीं पर ‘यारा ओ यारा’ शूट होना था. कोरियोग्राफ करने वाले थे चिन्नी प्रकाश. वो इससे पहले अमिताभ बच्चन को ‘जुम्मा चुम्मा’ और संजय दत्त को ‘तम्मा तम्मा’ करवा चुके थे. सनी देओल ने इससे पहले खुलकर डांस नहीं किया था. मन में झिझक थी. कि लोग हंसेंगे. 

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मेकर्स को गाने के लिए ऐसा हीरो चाहिए था जिसे बिल्कुल भी नाचना नहीं आता हो.  

उन्होंने एक नियम तय कर लिया. वो चिन्नी प्रकाश और कुछ गिने-चुने लोगों को साथ रखकर ही रिहर्सल करेंगे. ज़्यादा लोगों का आना वर्जित था. प्रैक्टिस पूरी हो गई. उसके बाद आया शूटिंग का दिन. आम तौर पर एक फिल्म के सेट पर असंख्य लोग मौजूद रहते हैं. लाइट, साउंड से लेकर हर डिपार्टमेंट के लोग. लेकिन उस दिन सेट का नियम बदला गया. सेट खाली करवा दिया गया. फिर से गिने-चुने लोग थे. सनी को चिंता थी कि लोग उन्हें डांस करते देख बस हंसते रह जाएंगे.

साजिद नाडियाडवाला एक इंटरव्यू में बताते हैं कि सनी के कहे अनुसार सेट पर चुनिंदा लोग ही रहे. सनी अपना शॉट देते और आकर पूछते कि क्या मैंने ठीक से किया. वो लोग उनके सामने तो कहते कि सब सही है. लेकिन उन्हें डांस करते देख बुरी तरह हंसते. ‘जीत’ के किस्सों की शुरुआत हुई थी उसके दो हीरोज़ से – सनी देओल और सलमान खान. सनी पर बात हो गई. अब सलमान से जुड़ा किस्सा बताते हैं. 

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सलमान बताते हैं कि करियर बचाने के लिए उन्होंने ये फिल्म की.  

साल 1994 में सलमान खान की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ आई. टिकट खिड़की पर भूचाल मचा दिया. साथ में सलमान को चौंकन्ना भी कर दिया. अब वो ऐरी-गैरी फिल्म नहीं करना चाहते थे. यही सोचकर ‘वीरगति’, ‘ये मझधार’ और ‘खामोशी’ जैसी फिल्में चुनी. तीनों में से कोई भी फिल्म नहीं चली. इनके बीच आई ‘करण अर्जुन’ ज़रूर हिट हुई. लेकिन वो अकेले सलमान की फिल्म नहीं थी. लोग उसे शाहरुख-सलमान फिल्म की तरह देख रहे थे. सलमान के पास एक फॉर्मूला था. कि अगर फिल्म नहीं चलेगी तो ये करना है. ‘मैंने प्यार किया’ के बाद खाते में सफल फिल्में आईं. लेकिन उस मुकाम तक नहीं पहुंची. 

सलमान को लगने लगा कि मामला गड़बड़ा रहा है. उन्होंने साइन की ‘साजन’. दो हीरो वाली पिच्चर. सलमान ने फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में बताया था कि जब भी उन्हें महसूस होता कि करियर नीचे जा रहा है, फिल्में चल नहीं रहीं, गड़बड़ चल रही है, तो वो दूसरे हीरो के कंधे पर जाकर बैठ जाते. ‘साजन’ के समय वो कंधा बना संजय दत्त का. साल 1995 में भी उन्हें ऐसा ही कंधा चाहिए था. साजिद नाडियाडवाला से उन्होंने कुछ दिनों का समय मांगा था. सनी देओल के करियर में ‘घातक’ और ‘घायल’ जैसी कोहराम फिल्में आ चुकी थीं. सलमान ने तय किया कि उन्हें कमबैक करने के लिए सनी देओल का कंधा चाहिए. साजिद के ऑफिस ये संदेश पहुंच गया था कि सलमान खान ‘जीत’ करने वाले हैं.

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