''जब बात फैमिली पे आए, तो डिस्कशन नहीं करते. एक्शन करते हैं.''
'शहज़ादा' ट्रेलर- साउथ इंडियन फिल्म की हिंदी रीमेक, जो हिंदी से ज़्यादा साउथ इंडियन फिल्म लगती है
जब वही चीज़ हिंदी में भी रिपीट करनी है, तो अलग से बनाने की बजाय 'अला वैकुंठपुरमुलो' को ही हिंदी में क्यों नहीं रिलीज़ करते?

ये कथन डॉमिनिक टॉरेटो उर्फ विन डीज़ल का है. इसका रिसाइकल्ड वर्जन सुनाई आता है Kartik Aaryan की नई फिल्म Shehzada के ट्रेलर में. जो कि Allu Arjun की ब्लॉकबस्टर फिल्म Ala Vaikunthapurramuloo की ऑफिशियल हिंदी रीमेक है. मेरा सवाल ये है कि इस फिल्म में कुछ ओरिजिनल है कि नहीं?
खैर, फिल्म की बेसिक स्टोरीलाइन दो दोस्तों के बारे में है. वाल्मिकी और रणदीप जिंदल. दोनों लंबे समय से दोस्त हैं. मगर जिंदल शहर का सबसे रईस आदमी बन जाता है. वाल्मिकी उसके लिए काम करता है. वाल्मिकी को लगता है कि जिस मुफलिसी में उसने ज़िंदगी गुज़ारी है, उसके बेटे के साथ वैसा नहीं होना चाहिए. संयोग ऐसा बनता है कि वाल्मिकी और जिंदल दोनों की पत्नियां एक ही अस्पताल में, एक ही दिन दो लड़कों को जन्म देती हैं. वाल्मिकी बच्चों की अदला-बदली कर देता है. यानी जिंदल के बेटे को अपने घर ले आता है. और अपने बेटे को जिंदल के घर भेज देता है. ताकि उसके बेटे को अच्छी लाइफ मिल सके.
इस घटना की गवाह सिर्फ एक नर्स है. जो कोमा में है. 20-25 साल बाद वाल्मिकी के घर रहने वाले लड़के को पता चलता है कि वो जिंदल का बेटा है. अब वो जिंदल को इस बात का यकीन कैसे दिलाता है, यही इस फिल्म की कहानी है. ये हमें इसलिए पता है क्योंकि हमने 'अला वैकुंठपुरमुलो' देखी है.
अमूमन हिंदी बेल्ट में जब किसी साउथ फिल्म को रीमेक किया जाता है, तो उसे नॉर्थ इंडियन जनता के हिसाब से ढाला जाता है. मगर 'शहज़ादा' इसका ठीक उल्टा करती है. वो एक साउथ इंडियन फिल्म के हिंदी रीमेक को साउथ इंडियन फ्लेवर के साथ ही पेश करती है. अव्वल तो ये कि जिन लोगों ने ओरिजिनल फिल्म यानी 'अला वैकुंठपुरमुलो' देख रखी है, वो 'शहज़ादा' क्यों देखना चाहेंगे? उन्हें ये फिल्म ऐसा क्या नया दिखाने वाली है?
दूसरी बात ये कि 'शहज़ादा' में साउथ इंडियन फ्लेवर को बनाए रखने के पीछे क्या आइडिया है? आइडिया ये है कि पिछले दिनों पब्लिक ने हिंदी फिल्मों से कहीं ज़्यादा साउथ की फिल्मों को पसंद किया है. मगर जब हमें वही चीज़ हिंदी में भी रिपीट करनी है, तो उसे अलग से बनाने की बजाय, 'अला वैकुंठपुरमुलो' को ही हिंदी में रिलीज़ कर दिया जाना चाहिए. ये बेटर आइडिया नहीं है क्या! खैर, ऐसा हमारा सोचना है. क्योंकि हम फिल्म इंडस्ट्री में नहीं, फिल्म जर्नलिज़्म में काम करते हैं.
'शहज़ादा' आपको पैसे कमाकर दे सकती है. क्योंकि ये कार्तिक आर्यन की पिक्चर है. वो कर्तिक आर्यन, जिन्होंने लॉकडाउन के फौरन बाद 'भूल भुलैया 2' नाम की फिल्म की. जिसने हिंदी इंडस्ट्री के सबसे बुरे दौर में भी 250 करोड़ रुपए से ज़्यादा की कमाई की. मगर ये फिल्म किसी एंगल से सिनेमा नाम के आर्ट की बेहतरी में कुछ योगदान देती नज़र नहीं आ रही. ये किसी भी चीज़ को देखने का बहुत गलत और जजमेंटल तरीका है. इसलिए हम फिल्म की रिलीज़ का इंतज़ार करेंगे. उसके बाद किसी कनक्लूजन पर पहुंचेंगे.
'शहज़ादा' में कार्तिक आर्यन ने लीड रोल किया है. उनके साथ इस फिल्म में कृति सैनन, परेश रावल, मनीषा कोईराला, रोनित रॉय, राजपाल यादव, सचिन खेड़कर और अंकुर राठी जैसे एक्टर्स भी नज़र आएंगे. पिक्चर को डायरेक्ट किया है 'देसी बॉयज़' और 'ढिशूम' जैसी फिल्में बना चुके रोहित धवन ने. जो कि डेविड धवन के बेटे और वरुण धवन के भाई हैं. 'शहज़ादा' 10 फरवरी, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज़ के लिए शेड्यूल्ड है.