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अनुराग कश्यप के 'बॉलीवुड टॉक्सिक' वाले बयान पर, 'छावा' डायरेक्टर ने उन्हें लताड़ दिया

अनुराग कश्यप ने कुछ दिनों पहले बयान दिया था कि बॉलीवुड इंडस्ट्री का माहौल बहुत टॉक्सिक हो गया है. इसलिए उन्होंने मुंबई छोड़ दी है.

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लक्ष्मण उतेकर ने कहा कि बतौर फिल्ममेकर किसी को क्रांति लाने की ज़रूरत नहीं है. बस सभी को अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए.

बीते दिनों फिल्ममेकर Anurag Kashyap ने बॉलीवुड छोड़ने का बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बॉलीवुड का माहौल इतना टॉक्सिक हो गया है कि वो अब यहां फिल्म नहीं बनाना चाहते. अब उनके इसी बयान पर Chhaava के डायरेक्टर Laxman Utekar ने उन्हें प्यार से झाड़ लगाई है. उन्होंने कहा कि कोई ज़बरदस्ती नहीं है. अगर किसी का मन इंडस्ट्री में नहीं लगता तो वो बेशक यहां से जा सकता है.

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यू-ट्यूब चैनल Mama’s Couch को दिए इंटरव्यू में जब लक्ष्मण से अनुराग कश्यप के उस बयान को लेकर बात की गई तो वो बोले,

''चले जाओ छोड़कर, बेशक चले जाओ, कोई ज़बरदस्ती नहीं कर रहा है. देखिए, ये इंडस्ट्री ऐसी है कि आपको यहां मेंटली और क्रिएटिवली खुश रहना पड़ेगा. तभी आप कुछ अच्छा बना सकते हो. अगर आपका मन नहीं है यहां रहने का तो आप महान फिल्म कैसे बनाओगे? आप चले जाओ, इससे अच्छा.''

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लक्ष्मण ने अनुराग के इस दावे पर भी बात की कि अनुराग की बनाई फिल्में दर्शकों को समझ में नहीं आतीं. उन्होंने कहा,

''वो गलत बोल रहे हैं, जब वो कहते हैं कि ऑडियंस को सेंसिबिलिटी नहीं है उनकी फिल्म एक्सेप्ट करने की...बल्कि उनकी सेंसिबिलिटी नहीं है ऑडियंस का टेस्ट एक्सेप्ट करने की. आज 700-800 करोड़ तक बिज़नेस कर रही हैं फिल्में, आप कैसे कह सकते हैं कि सिनेमा मर रहा है. आप कलेक्शन तो देखिए, 'बाहुबली' का, RRR का, 'पुष्पा' का... 1200 करोड़ तक का कलेक्शन किया है. या 'छावा' का ही देख लीजिए. सेंसिबिलिटी आपकी बदलनी चाहिए, क्योंकि आप वहीं पर अटके हुए हैं.''

उन्होंने आगे कहा,

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''आज ऑडियंस के पास अपने फोन में दुनिया भर का सिनेमा है. वो आपसे ज़्यादा अपडेटेड हैं. उन्हें पता है क्या देखना है और क्या नहीं. हर तीन साल में सिनेमा बदल रहा है. सिनेमेटोग्राफी बदल रही है. स्टोरीटेलिंग बदल रही है. सब कुछ बदल रहा है. बतौर फिल्ममेकर आपको बदलना होगा. आप भूतकाल में ही रहकर ये नहीं कह सकते कि दर्शकों के पास सेंसिबिलटी नहीं है.''

इसी इंटरव्यू में लक्ष्मण ने कहा कि आज कल के कुछ फिल्ममेकर्स रिएलिटी से दूर रहते हैं. उन्होंने कहा,

''उनको पता ही नहीं है लोगों को क्या देखना है. क्यूंकी वो रहते हैं ऐसे जुहू-ब्रांद्रा जैसे पॉश एरिया में. वहां रहना बुरा नहीं है. मैं भी वहां रहना चाहता हूं. इन लोगों की छुट्टियां लंदन, न्यूयॉर्क, दुबई में होती हैं. उनको पार्ले, थाने, चेम्बूर जैसे एरिया का पता ही नहीं है. जब आप अपना देश घूमे ही नहीं हो, अपने देश को जानते ही नहीं हो तो कैसे पता चलेगा कि लोग क्या देखना चाहते हैं.''

उन्होंने आगे कहा,

''ऐसे फिल्ममेकर्स हैं जिनको लगता है कि उन्हें मोक्ष मिल गया है. उनको लगता है कि मेरी फिल्म लोगों को समझ नहीं आएगी. तो फिर बनाई क्यों? किसके लिए बनाई? उसे तुम खुद घर पर देखो. अगर तुमको लगता है कि मैंने असाधारण फिल्म बनाई और लोगों को समझ नहीं आई तो डॉक्टर ने बोला था क्या ऐसी फिल्म बनाने को.''

लक्ष्मण ने आगे जोड़ा,

''बतौर फिल्ममेकर आपको क्रांति लाने के लिए किसी ने नहीं बोला है. दुनिया बदलने के लिए किसी ने नहीं बोला, सरकार बदलने के लिए किसी ने नहीं बोला. वहां पर हैं लोग. आप यहां पैसे कमाने के लिए आए हैं. ऐसे ज्ञानी मत बनो. अपना काम करो चुप चाप. अच्छी फिल्म बनाओ. आपका काम है लोगों का मनोरंजन करना, वही करो, लोगों को उपदेश मत दो.''

ख़ैर, लक्ष्मण उतेकर की फिल्म 'छावा' ब्लॉकबस्ट हुई. इसके पहले वो 'इंग्लिश विंग्लिश' और 'डियर ज़िंदगी' जैसी फिल्मों में बतौर सिनेमेटोग्राफर काम कर चुके हैं. रिपोर्ट्स हैं कि जल्द ही वो मैडॉक फिल्म्स की अगली फिल्म को डायरेक्ट करेंगे. जिसमें श्रद्धा कपूर होंगी. 

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