बीजेपी तो भगवा पार्टी कही जाती है और गेरुआ तो सिर्फ संन्यासी पहनते हैं. ये ऑरेन्ज का करीब रंग है और अमेरिका में ससुरा एक कॉमेडी शो बहुत देखा जाता है. 'ऑरेन्ज इज द न्यू ब्लैक' नाम से.
लेकिन काजोल का आलिंगन करके शाहरुख क्यों कह रहे हैं कि 'रंग दे तू मोहे गेरुआ'? :evil: इश्क करने वाला वीर्यवान रोमांटिक हीरो संन्यासी बनने का अरमान काहे पाले है? संन्यासी तो मोह माया से दूर होता है. तो गेरुआ प्यार का रंग है, या संन्यास का? या पॉलिटिक्स का?
टेंशन न लो. हमने पड़ताल कर डाली है. पढ़कर स्मार्ट बन जाओगे. खड़ताल बजाओगे. 8-)
https://www.youtube.com/watch?v=AEIVhBS6baE
पहले 'ऑरेन्ज इज द न्यू ब्लैक' का संदर्भ समझ लो. ब्लैक जो है, वो हमेशा फैशन में रहता है. तो जब ऑरेन्ज का फैशन हो तो कहते हैं कि 'ऑरेन्ज इज द न्यू ब्लैक.' रेड का हो तो रेड इज द न्यू ब्लैक. वहीं से इस टीवी सीरीज का नाम निकला है. पर इंडिया में 'गेरुआ' चल रिया है मार्केट में. शाहरुख ब्लैक कपड़े पहने हैं. काजोल भी ब्लैक लहंगे में हैं. पसमंजर में पहले ब्लैक, फिर ग्रीन और एंड में ब्लू प्रधान है. लेकिन लफ्जों में जिसका चरचराटा है वो है गेरुआ. गौर से देखिए लहंगे का बॉर्डर भी गेरुआ है और जो चुन्नी पीछे उड़ रही है वो भी. सबटाइटल में इसे लिखा गया है, 'कलर ऑफ लव'. तो क्या गेरुआ ही नया ब्लैक है? :twisted:

गेरुआ और ऑरेन्ज में फर्क? संतरे का कलर कहलाता है ऑरेन्ज और ऑरेन्ज में अगर 'लिटल बिट ऑफ' येलो मिला दो, तो बन जाता है गेरुआ. ये चीज क्या है? बिहार के पूर्णिया में जगह भी गेरुआ नाम की. लेकिन किंग खान जिसकी बात कर रहे हैं उसका कच्चा रूप होता है खड़िया जैसा. उसे कहते हैं गेरू. माइनिंग से निकलता है. वहीं से गेरुआ शब्द आया है. धुरधुरा सा पत्थर होता है. फोड़कर पानी मिलाओ तो बन जाता है लिक्विड कलर. किसी पंसारी के यहां मिल जाएगा.

ये है ओरिजिनल गेरुआ
पोलियो और साक्षरता के सरकारी विज्ञापनों के लिए पहले गेरुआ से ही दीवारें पोती जाती थीं. लेकिन लोग मानते हैं कि सफेदी के बजाय गेरुआ इसलिए पोता जाता था ताकि पान की पीक से दीवारें गंदी न हों. वैसे किसी कागज में ऐसा नहीं लिखा है. ;) संन्यासी क्यों पहनते हैं गेरुआ? भाई सबसे ज्यादा तो संन्यासी ही गेरुआ वस्त्र पहनते हैं. इसकी रिलीजियस वजह है. भगवान शंकर के एल्डर सन कार्तिकेय धरती का राउंड लगा रहे थे. तभी उनको ब्रेकिंग न्यूज मिली कि मां-पिता की परिक्रमा करके गणेश कंपटीशन जीत गए हैं. कार्तिकेय नाराज होकर कौंच पर्वत पर चले गए. मां पार्वती उन्हें मनाने गईं, लेकिन वह नहीं माने. इससे गुस्सा होकर पार्वती ने कहा कि जो मैंने दिया है, उसे तू वापस कर. कार्तिकेय ने कहा हर आदमी में बीज पिता से आता है और रक्त माता से. इतना कहकर उन्होंने बॉडी का खून धरती पर गिरा दिया. इसी से गेरू बना. कई लोग गेरू को मां पार्वती से बना मानते हैं, कुछ कार्तिकेय से.

इसीलिए संन्यासी गेरुआ पहनते हैं. बहुत मुश्किल नियम है. गेरुआ कपड़े पर अगर वीर्य का एक कण भी लग जाए तो आप जहां हैं वहीं से, इस वस्त्र को दांत से दबा कर काशी तक जाएं, तभी प्रायश्चित होगा. मतलब नाइटफॉल भी हो जाए तब भी क्योटो नगरी जाकर प्रायश्चित करना होगा.
पुराणों की मान्यता है कि गधे ने भी गेरू रंग पहना हो तो उसे प्रणाम करें. गधे को नहीं, कपड़े को. वैसे ये अलग बात है कि आज कल गेरू को गधे भी पहन रहे हैं और प्रणाम भी पा रहे हैं. :-P

नित्यानंद स्वामी. नाम तो सुना ही होगा!
सवाल फिर भी वही है कि प्रेम क्रीड़ा करते हुए शाहरुख गेरुआ में रंगे जाने की आकांक्षा क्यों कर रहे हैं. आमिर खान बसंती रंग मांग रहे हैं तो उसके पीछे देशभक्ति की भावना है, वीर रस वाली. गेरुआ गाने के सबटाइटल पढ़िए. रंग दे तू मोहे गेरुआ को 'colour me in the colour of love' कहा गया है. लेकिन आज कल तो प्यार का रंग गुलाबी माना जाता है. वैलेंटाइंस डे का सुरूर होगा. लेकिन टीवी पर शो आता है जो कहता है 'इश्क का रंग सफेद'.
गाना लिखा है अमिताभ भट्टाचार्य. वह कहते हैं:
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूं निकली है दिल से ये दुआ रंग दे तू मोहे गेरुआ रांझे की दिल से है दुआ रंग दे तू मोहे गेरुआतो इसका एक मतलब 'प्योरिटी' से हो सकता है. मतलब इश्क में बंदा रांझा हो गया है और प्रेम को पवित्र भाव से स्वीकार करके प्रसन्न है. मैंने किसी से पूछा तो उन्होंने भी कहा कि भारत में त्याग, तपस्या और प्रेम अलग-अलग नहीं माने गए हैं. इस लॉजिक से कोई कह सकता है कि Gerua may be the colour of love and hence it is the new black. इसका हिंट अमिताभ अगले अंतरा में देते हैं:
हो तुमसे शुरू, तुम पे फना है सूफियाना, ये दास्तान मैं कारवां, मंजिल हो तुम जाता जहां को हर रास्ता तुमसे जुदा जो दिल जरा संभल के दर्द का वो सारा कोहरा छन गया दुनिया भुला के तुमसे मिला हूं निकली है दिल से ये दुआ रंग दे तू मोहे गेरुआबिहार में इलेक्शन जीत गई होती फूल वाली पार्टी तो न्यूज चैनलों पर ये गाना चल सकता था. अभी अगला चुनाव तो थोड़ा दूर है.