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हर्षवर्धन कपूर ने मीडिया की दकियानूसी रिपोर्टिंग को आड़े हाथों लिया

कहा कि ऐसा ही चलता रहा तो कोई भी रिस्क नहीं लेगा.

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हर्षवर्धन कपूर ने लिखा कि मीडिया एक आर्टिस्ट को बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से ही जज करती है.

दो एक्टर्स में क्या फर्क है ये पता उनके स्क्रिप्ट सिलेक्शन से पता चलता है. यानी वो किस तरह की कहानियों से जुड़ते हैं. कैसी कहानियों को अपनी पहचान बनाते हैं. कोई एक्टर कुछ अलग ट्राई करता है, मुख्यधारा से इतर जाकर रिस्क लेता है. फिर चाहे परिणाम संतोषजनक न हो, फिर भी कोशिश करता है. हर्षवर्धन कपूर का स्क्रिप्ट सिलेक्शन भी कुछ ऐसा ही रहा है. राकेश ओमप्रकाश मेहरा, विक्रमादित्य मोटवाने और अनुराग कश्यप जैसे बुलंद फिल्ममेकर्स के साथ फिल्में की. कुछ अलग बनाने की कोशिश की. लेकिन वो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई.

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हर्ष ने हाल ही में उन फिल्मों पर बात की. निराशा जताई. उन फिल्मों पर नहीं, बल्कि हिंदी मीडिया पर. कि कैसे मीडिया सिर्फ उनके बॉक्स ऑफिस आंकड़ों से ही सरोकार रखता है. इस पर ध्यान नहीं देता कि वो कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे थे. हर्षवर्धन ने ट्वीट किया,

अपने जन्मदिन पर मैंने हिंदी प्रेस के कुछ आर्टिकल देखे जहां उन्होंने मेरे सफर को बांधा है. ‘भावेश जोशी सुपरहीरो’, ‘थार’, ‘रे’ और ‘AK Vs AK’ जैसी फिल्मों की काबिलियत पर बात करने की जगह वो सिर्फ ‘भावेश जोशी सुपरहीरो’ और 'मिर्ज़या' के बॉक्स ऑफिस की बात करते हैं.

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‘मिर्ज़या’ से हर्षवर्धन ने अपने फिल्मी एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. करीब 35 करोड़ रुपए के बजट पर बनी फिल्म सिर्फ 10 करोड़ रुपए ही कमा पाई. उनकी अगली फिल्म थी ‘भावेश जोशी सुपरहीरो’. मुंबई के लोकल सुपरहीरो की कहानी. यहां कुछ नया था. फिर भी जनता को पसंद नहीं आया. हालांकि वो बात अलग है कि अब लोग फिल्म के फ्लॉप होने पर हैरानी जताते हैं. हर्ष को इस बात पर नाराज़गी थी कि मीडिया उन्हें सिर्फ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से जानना चाहती है. मीडिया को लेकर उन्होंने एक और ट्वीट किया. लिखा,

ऐसा लगता है कि ये लोग पूरी तरह से क्रिएटिवटी में दिखाए हौसले को नज़रअंदाज़ करते हैं. आर्टिस्ट को इसी बात से जज करते हैं कि उसने कितने पैसे बनाए. ये आने वाली जनरेशन के लिए उदाहरण तैयार करता है. अगर ऐसी दकियानूसी रिपोर्टिंग चलती रही, तो लोगों से रिस्क लेने की उम्मीद मत रखिएगा. 

हर्षवर्धन के आखिरी दो प्रोजेक्ट सीधे OTT पर रिलीज़ हुए थे. अपने एक इंटरव्यू में वो कहते हैं कि इससे क्रिएटिव लिबर्टी ज़्यादा मिलती है, और फिल्म बनाने वालों पर पैसा कमाने का प्रेशर नहीं होता.     

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वीडियो: मूवी रिव्यू - भावेश जोशी सुपरहीरो

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