पता है कबसे हिमेश भाई की फिल्म का वेट कर रहे थे? जबसे इनकी पिछली फिल्म फ्लॉप हो गई थी. इसीलिए एक दिन पहले ही टिकट करा लिया था. फर्स्ट डे, फर्स्ट शो. सबसे पीछे वाले सीट. हॉल में घुसे तो सोचा फेसबुक पर चेक-इन कर दें. वॉचिंग 'तेरा सुरूर' विद 4 अदर्स. काहे से कुल पांच ही लोग थे न पूरे हॉल में. कोई ना. फिल्म की बात करते हैं. फिल्म पूरी कि पूरी आयरलैंड में शूट हुई है. क्योंकि हिमेश भाई जैसे बड़े लोग इंडिया में डीलिंग नहीं करते. ये बड़ी बड़ी गाड़ियां. ये चौड़ी चौड़ी सड़कें. जैसे फिल्म में हिमेश भाई की छाती. बिलकुल फिसलपट्टी. श्श्श्श. नो ऑब्जेक्टिफिकेशन. हां तो फिल्म की खास बात ये है शुरू ही क्लाइमैक्स से होती है. रघु यानी हिमेश ने सेक्स कर लिया है एक 'कॉल गर्ल' से. गर्लफ्रेंड तारा को बताया. ब्रेक अप हो गया. तारा को टिंडर के बारे में नहीं पता था. उसने ब्रेक अप से उबरने के लिए फेसबुक का सहारा लिया. चैट की अनिरुद्ध ब्राह्मिन नाम के आदमी से. न फोटो लिया, न नंबर. अनिरुद्ध ने कहा डब्लिन आ जाओ, म्यूजिक वाला शो करेंगे. बस तारा चली गई. लेकिन वहां उसको ड्रग स्मगलिंग के लिए धर लिया गया. पिक्चर की शुरुआत में हिमेश का एक ही मकसद था, तारा को पाना. इंटरवल में भी वही मकसद था.

हिमेश जाते हैं डब्लिन तारा को जेल से भगाने. बेगुनाह थी न वो बेचारी. लेकिन रास्ता कठिन था. मार हो जाती है. हिमेश भाई 10-12 लोगों को मार डालते हैं. लेकिन डब्लिन पुलिस उन्हें अरेस्ट नहीं करती. काहे से ही इज द हिमेश. जय माता दी लेट्स रॉक. फिल्म ख़त्म होते होते पता चलता है कि तारा को भगाना सिर्फ रघु का ही नहीं, पूरी भारतीय सरकार का मकसद था. क्योंकि रघु तो मुंबई पुलिस का अंडरकवर असैसिन था. उन आतंकवादियों और गैंगस्टरों को मारने का काम करता है जिन्हें सरकार मार नहीं पाती. बिरयानी खिलाती है. हाउ काइंड ऑफ़ हिमेश भाई. उसने अपनी गर्लफ्रेंड को चीट नहीं किया. जो सेक्स किया, वो देश की सेवा के लिए किया. खुद रघु तारा से कहता है कि मैंने जो भी किया, देश के लिए किया. भारत ,माता के लिए. तारा ने फिल्म में कुल ढाई डायलॉग बोले हैं. शुरू के 10 मिनट अगर मूवी मिस कर दो तो लगेगा कि तारा गूंगी है. फिल्म के सारे डायलॉग तो हिमेश ने बोले हैं. और हिमेश का चार्म ऐसा है कि कबीर बेदी, शेखर कपूर और नसीरुद्दीन शाह सब फिल्म में उनके मकसद को पूरा करने में मदद करने के लिए लिए गए हैं.

आयरलैंड के लोग पूरी फिल्म में ऐसे इंग्लिश बोलते हैं कि हम लोगों को सबटाइटल्स की जरूरत न पड़े. और जो तारा की वकील होती है न, अपने पति को डाइवोर्स देने वाली होती है. लेकिन हिमेश जी की फिल्म में लास्ट में सब ठीक हो जाता है. इसलिए उसका डाइवोर्स भी रुक जाता है. सच इज हिमेश भाई. फिल्म हम रिकमेंड न करें ऐसा तो हो ही नहीं सकता. जरूर देखना. खासकर उस सीन के लिए जिसमें हिमेश के अंदर मनोज कुमार की आत्मा घुस जाती है. और वो एक 'फिरंगी' को बताते हैं कि कैसे उनका देसी तमंचा किसी 'फिरंगी' बंदूक से बहतर है. आंखो में आंसू न आ जाएं और दिल देशभक्ति से उफना न जाए तो बाई गॉड की कसम नाम बदल देना. और एक बात और बता दें. बचपन में रघु चाय बेचता था. फिर ढेर सारे मर्डर किए. फिर सरकार की मदद मिली तो बहुत बड़ा आदमी बन गया. चाय बेचने का बहुत स्कोप है. याद रखना. https://www.youtube.com/watch?v=E1a981dTcRc