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अनोरा: सेक्स वर्कर की कहानी जिसने ऑस्कर्स में नया इतिहास रच दिया!

Anora के ज़रिए Sean Baker ने 1954 में Walt Disney का बनाया रिकॉर्ड तोड़ दिया.

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'अनोरा' को ज़ी5 पर देख सकते हैं.

साल 2024 में Cannes Film Festival हुआ. ये ऐसा फिल्म फेस्टिवल है जिसे हर सिनेप्रेमी फॉलो करता है. यहां दमदार सिनेमा उभरकर आता रहा है. कान का सबसे बड़ा प्राइज़ होता है Palme d’Or. पिछले साल के कान फिल्म फेस्टिवल में Sean Baker की फिल्म Anora ने ये अवॉर्ड अपने नाम किया था. कान में प्रीमियर होने के बाद ‘अनोरा’ अलग-अलग देशों में रिलीज़ होने लगी. हर तरफ से फिल्म के हिस्से तारीफ आई. तारीख कुछ महीने आगे बढ़ी. खबर चलने लगी कि ‘अनोरा’ इंडिया में रिलीज़ होने वाली है. खुद शॉन ने 09 नवंबर की तारीख घोषित कर दी. मगर ‘अनोरा’ कभी भी भारतीय सिनेमाघरों में नहीं उतरी. दूसरी ओर फिल्म ने 03 मार्च को 97वें Academy Awards (Oscars 2025) में इतिहास रच दिया.

‘अनोरा’ को छह कैटेगरीज़ में नॉमिनेशन मिला था. ऑस्कर की शाम खत्म होने पर फिल्म पांच ट्रॉफी अपने साथ लेकर गई. इसमें बेस्ट पिक्चर, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्ट्रेस, बेस्ट एडिटिंग और बेस्ट ओरिजनल स्क्रीनप्ले के अवॉर्ड शामिल थे. पूरी दुनिया फिल्म पर प्यार लुटा रही है. रही बात इंडिया की तो अपने सब्जेक्ट की वजह से ये यहां के सिनेमाघरों में रिलीज़ नहीं होने वाली. शॉन बेकर की फिल्म के केंद्र में अनोरा नाम की एक सेक्स वर्कर है. अपने मूड के हिसाब से बर्ताव करती है. पैसा नहीं है इसलिए रेलवे स्टेशन के पास बने मकान में रहना पड़ता है. अनोरा की ज़िंदगी में एंट्री होती है वान्या की. वान्या उस किस्म का लड़का है जिस पर कभी किसी किस्म की ज़िम्मेदारी नहीं पड़ी, मानो उसे मन ही मन पता है कि कितनी भी ऊंचाई से गिरे, उसे संभालने के लिए पैसों का गद्दा नीचे बिछा हुआ है.

वान्या और अनोरा मिलते हैं. बेतहाशा पार्टी करते हैं. सेक्स करते हैं. जोश में आकर शादी तक कर डालते हैं. वान्या के लिए ये बड़ी बात नहीं. मगर अनोरा उससे बिल्कुल विपरीत है. वो इसे आम ज़िंदगी की तरफ लिए जाने वाले किसी पहले कदम की तरह देखती है. वान्या रूस के एक अमीर आदमी का बेटा है. जब उनको ये खबर मिलती है तो वो किसी भी हालात पर वान्या की शादी रद्द करवाना चाहते हैं. ऐसा होता है या नहीं, और इस दौरान क्या ड्रामा घटता है, यही फिल्म की कहानी है.

शॉन बेकर की फिल्म पर दुनिया क्यों लहालोट हुए जा रही है, उसकी दो बड़ी वजहें हैं. पहली तो वो अपने सब्जेक्ट को एक इंसान की तरह देखते हैं. फिल्म देखते हुए ये कहीं भी महसूस नहीं होता कि शॉन ने अनोरा को उसके काम से ही जोड़कर देखा हो. उनके दिमाग में वो एक इंसान थी जो पैसा कमाने के लिए एडल्ट इंडस्ट्री में थी. बस इतनी सी बात है. सुनने, पढ़ने में बहुत सिम्पल है, बस हम इतनी आसानी से पालन नहीं कर पाते. फिल्म आपको अनोरा के इतने करीब ले जाती है कि आप उसे पर्सनल लेवल पर जानने लगते हैं. कि अपने साथ काम करने वालों में वो किसे पसंद नहीं करती, क्यों रात को सोते समय सारे परदे लगाकर सोती है. ये बहुत छोटी चीज़ें हैं मगर आपके किरदार को ह्यूमन बनाने का काम करती है. ऑडियंस के लिए वो पढ़ने वाला कोई कॉन्सेप्ट नहीं रहता. मगर ऐसा भी नहीं है कि फिल्म व्हाइट या ब्लैक किस्म की बाइनरी ड्रॉ करने की कोशिश करती हो. अनोरा खुद कुछ पॉइंट्स पर ग्रे वाले हिस्से में जाती हुई दिखती है. 

माइकी मैडिसन ने अनोरा का रोल किया था. शॉन ने उन्हें पहली बार Quentin Tarantino की फिल्म Once Upon A Time in Holllywood में नोटिस किया था, और उसके बाद सब कुछ बदल गया. अपने रोल के लिए माइकी ने खुद स्ट्रिप क्लब जाना शुरू किया. वो वहां बैठकर डांसर्स का बर्ताव देखा करतीं. खुद से पोल डांस करना सीखा. उनकी कमिटमेंट के चलते उन्होंने सिर्फ 25 साल की उम्र में बेस्ट एक्ट्रेस का ऑस्कर जीत लिया. माइकी ने Variety के Actors on Actors सेशन के दौरान बताया था कि फिल्म के लिए इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर का इस्तेमाल नहीं किया गया. दरअसल फिल्मों पर एक्टर्स की सहजता को ध्यान में रखकर इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर का कॉन्सेप्ट आया है. ताकि एक्टर्स आराम से ऐसे सीन्स को फिल्मा सकें.

माइकी का कहना था कि उन्होंने खुद फिल्म के सेक्स सीन डायरेक्ट किए थे. अगर कोई इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर होता तो वो हिस्सा वास्तविकता से दूर जाने लगता. हालांकि उनके बयान के बाद सोशल मीडिया पर मेकर्स की आलोचना भी हुई थी. बहरहाल ‘अनोरा’ को इतनी बड़ी फिल्म बनाने की दूसरी वजह खुद शॉन बेकर हैं. वो फिल्म के राइटर, एडिटर और डायरेक्टर हैं. एक फिल्म पर इतने सारे रोल करने के चक्कर में इंसान अपनी ऑब्जेक्टिविटी खोने लगता है. जैसे मान लीजिए कि कोई राइटर फिल्म में पूरी तरह से घुस गया. अब वो उसे ऑडियंस की तरह नहीं देख पा रहा. उसे अपना लिखा कोई सीन पसंद आया, तो इस केस में ऐसा मुमकिन है कि वो ये नहीं देख पाए कि क्या वो सीन वाकई फिल्म के लिए ज़रूरी है. उस सीन के साथ क्या होगा, इसका चुनाव डायरेक्टर करेगा. मगर यहां शॉन ही कर्ता-धर्ता थे.

ऐसे में शॉन के विज़न और ऑब्जेक्टिविटी की तारीफ होनी चाहिए. उन्होंने वही फिल्म बनाई जो उनके दिमाग में थी. वो इससे भटके नहीं. शॉन बड़े स्टूडियो वाले डायरेक्टर नहीं हैं. लगातार इंडी फिल्में ही बनाते रहे हैं. यानी वो फिल्में जिन पर बड़े स्टूडियो वालों का पैसा नहीं लगा, जहां जुगाड़ से प्रोड्यूसर आदि ढूंढकर फिल्म बनाई जाती है. ‘अनोरा’ को जहां भी अवॉर्ड मिले, शॉन ने हर एक मौके पर सिनेमा और इंडी फिल्मों के महत्व पर बात करने में कंजूसी नहीं बरती.

शॉन ने एक ही रात में चार ऑस्कर जीतकर नया इतिहास रचा है. वो ऑस्कर के इतिहास में पहले शख्स बन गए जिन्होंने एक ही फिल्म के लिए चार ऑस्कर जीते हों. इससे पहले ऐसा वॉल्ट डिज़्नी के साथ भी हुआ था. उन्होंने साल 1954 के ऑस्कर अवॉर्ड्स में चार अवॉर्ड जीते थे लेकिन वो अलग-अलग फिल्मों के लिए थे. जबकि शॉन ने एक ही फिल्म के लिए ये अवॉर्ड जीते हैं. बता दें कि 'अनोरा' को ज़ी5 पर रेंट किया जा सकता है.                
 

वीडियो: द सब्स्टेंस और द ब्रूटलिस्ट... ऑस्कर 2025 के लिए नॉमिनेट हुई फिल्मों को इस प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं