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यूपी सरकार के कोरोना मैनेजमेंट पर सवाल उठा तो जवाब में CM योगी अमेरिका को खींच लाए

योगी ने कहा- क्या सिर्फ भारत में थी ऑक्सीजन की कमी?

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जमघट में इंटरव्यू के दौरान सौरभ द्विवेदी (बाएं) और योगी आदित्यनाथ (दाएं), बीच की तस्वीर प्रतीकात्मक है. (साभार- पीटीआई और लल्लनटॉप)
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और देश एक बार फिर कोरोना वायरस की चपेट में है. सरकार भले ही तीसरी लहर की घोषणा नहीं कर रही है, लेकिन हर दिन लाखों की तादाद में दर्ज हो रहे मामले बता रहे हैं कि हालात तीसरी लहर जैसे ही हैं. हालांकि मौतों के मामले में ये अघोषित तीसरी लहर पिछली प्रचंड लहर से कुछ कमजोर लग रही है. उस समय के हालात इतने संकटपूर्ण थे कि अस्पतालों में ऑक्सीजन तक नहीं बची थी. केंद्र और राज्य सरकारों ने भले ही आधिकारिक तौर पर स्वीकार ना किया हो, लेकिन हकीकत में ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से तब कई लोगों की मौत हुई थी. ऐसे में चुनावी माहौल में दी लल्लनटॉप के विशेष कार्यक्रम 'जमघट' की शुरुआत हुई तो कोरोना का मुद्दा भी सवालों से अछूता नहीं रहा. पहले एपिसोड में हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने इंटरव्यू किया यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का. उनसे सरकार के कामकाज और तमाम बड़े विवादों से लेकर जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सीधे सवाल पूछे गए. इनमें यूपी में कोरोना मैनेजमेंट का मुद्दा भी शामिल रहा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछा गया,
उत्तर प्रदेश की सरकार अपनी पीठ थपथपाती है कि हमने बहुत अच्छा कोविड मैनेजमेंट किया. लेकिन कोविड की दूसरी लहर में ये मैनेजमेंट बुरी तरह फेल होता दिखा. उस वक़्त हमारी टीमें रिपोर्टिंग को निकली थीं. हमने उस वक़्त बेबस चीखों को सुना. और हमारे सामने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाई कोर्ट की टिप्पणियां भी मौजूद हैं.
इसके जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,
हाई कोर्ट ने तो ये भी कहा था कि हर गांव में दो-दो एंबुलेंस दीजिए. हाई कोर्ट ने तो ये भी कहा था कि हर वार्ड में एक एक RT-PCR का लैब खोलिए. क्या ये सब व्यावहारिक लगता है? जब धरातल की जानकारी नहीं होती तो व्यक्ति कुछ भी बोल सकता है. कोविड प्रबंधन किसका अच्छा था ये देश और दुनिया ने जाना. फ़ाइज़र कंपनी ने अमेरिका के अंदर कहा कि अगर आपको कोविड प्रबंधन देखना हो तो वो UP के अंदर देखो. यूपी की जनसंख्या 25 करोड़ है. अमेरिका की जनसंख्या 33 करोड़ है. ज़्यादा ज़रूरी क्या होना चाहिए? मीडिया की सुर्खियां बना रहना या लोगों की जान बचाना? अमेरिका के अंदर मौत हुई हैं 6 लाख 50 हज़ार और यूपी के अंदर 22,900 मौत हुईं. आबादी में बहुत बड़ा फ़र्क़ नहीं है. आप देखिए कोरोना प्रबंधन किसका अच्छा है. अब भारत की बात करते हैं. यूपी से 8 गुना मौतें महाराष्ट्र में हुई है. जबकि महाराष्ट्र की आबादी UP से कम है. आंकड़े पर्याप्त हैं.
जब मुख्यमंत्री से इस बात का जिक्र किया गया कि आपके मंत्री ने विधानमंडल में दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है, तो इस पर योगी आदित्यनाथ ने कहा,
ये आपदा है. क्या ऑक्सीजन की परेशानी सिर्फ़ भारत के अंदर ही थी? दूसरी लहर के दौरान अमेरिका के अंदर भी ऑक्सीजन की क्राइसिस हुई. सरकार ने इसके लिए काम किया. अलग से ऑक्सीजन लाने के लिए ट्रेनें चलवाईं. लेकिन क्या हमें इतना ग़ैर ज़िम्मेदार हो जाना चाहिए कि सिर्फ़ हम जलती लाशों को दिखाएं? क्या हम एक मरीज़ को ठीक होते हुए नहीं दिखा सकते?
सीएम योगी के मुताबिक कोरोना काल में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने पूरी ज़िम्मेदारी के साथ काम किया और अभी भी कर रहे हैं.