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वाराणसी में EVM कहां ले जाई जा रही थीं, चुनाव आयोग ने बता दिया

सपा और उसके गठबंधन सहयोगियों ने EVM चोरी का आरोप लगाया था.

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ईवीएम की कथित चोरी से जुड़े वीडियो के स्क्रीनशॉट. (ट्विटर)
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ट्रक में EVM ले जाए जाने के मामले पर सरकार का पक्ष सामने आया है. यूपी सरकार का कहना है कि ये EVM प्रशिक्षण के मकसद से ले जाई जा रही थीं. जिला प्रशासन का भी कहना है कि कुछ राजनीतिक लोगों ने गाड़ी को रोककर अफवाह फैलाई थी कि उसमें रखी EVM चुनाव में इस्तेमाल की गई थीं. इसे लेकर मंगलवार 8 मार्च को समाजवादी पार्टी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग को भी कटघरे में खड़ा किया है. क्या बोले अखिलेश? समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि काउंटिंग से पहले ही चुनाव से जुड़ी EVM को स्ट्रॉन्ग रूम्स से निकालकर कहीं और ले जाया जा रहा है. उनका दावा था कि वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ करने के मकसद से ऐसा किया गया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश ने कहा,
“मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) के प्रमुख सचिव डीएम को फ़ोन कर रहे हैं कि जहां बीजेपी की हार हो रही है, वहां काउंटिंग स्लो करें. क्या वजह है कि बिना सुरक्षा के EVM जा रही हैं? बनारस में 3 ट्रक EVM लेकर जा रहे थे. एक ट्रक पकड़ा गया, दो भाग गए... बरेली में भी SDM और अधिकारियों की गाड़ी में EVM और बैलेट पेपर पकड़े गए हैं.”
अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को भी घेरा. कहा कि इस सबके लिए आयोग जिम्मेदार है. उन्होंने ये भी दावा किया था कि ये सब जानकारी उन्हें चुनाव आयोग के ही अधिकारी ने दी है. सपा प्रमुख ने उस अधिकारी का नाम बताने से इन्कार कर दिया. कहा कि अगर चुनाव आयोग उनसे पूछेगा तो वो अधिकारी का नाम बताएंगे. चुनाव आयोग का जवाब चुनाव आयोग ने इस मसले पर स्पष्टीकरण जारी किया है. आयोग ने कहा है कि वाराणसी में गाड़ी से बरामद की गई EVM मशीनें अधिकारियों के लिए मतगणना की ट्रेनिंग के मकसद से लाई गई थीं, इनका मतदान में इस्तेमाल नहीं किया गया. इंडिया टुडे के मुताबिक आयोग ने अपने एक पत्र में कहा है,
'वाराणसी में 8 मार्च को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVM) गाड़ी में ले जाने का मामला संज्ञान में आया है. इस पर राजनीतिक प्रतिनिधियों ने आपत्ति जताई है. जिला निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक EVM प्रशिक्षण के लिए लाई गई थीं. मतगणना अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए जिले में 9 मार्च को प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है. इसके लिए ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) मंडी में स्थित अलग खाद्य गोदाम के स्टोरेज से प्रशिक्षण स्थल - यूपी कॉलेज- ले जाई जा रही थीं. 9 मार्च को काउंटिंग ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की दूसरी ट्रेनिंग में इसका इस्तेमाल किया जाना था. हैंड्स ऑन ट्रेनिंग के लिए हमेशा इन मशीनों का उपयोग किया जाता है. मशीनों के बारे में राजनीतिक दल जो भी कह रहे हैं, वो सिर्फ अफवाह है.'
सरकार ने क्या जवाब दिया? इससे पहले इस पूरे प्रकरण पर यूपी सरकार का जवाब भी आया था. आजतक से जुड़े सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया है,
"प्रशिक्षण के लिए EVM UP कॉलेज में ले जाई जा रही थीं. कुछ राजनीतिक लोगों ने वाहन को रोक कर उसे चुनाव में प्रयुक्त EVM कह कर अफवाह फैलाई है. कल काउंटिंग ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की द्वितीय ट्रेनिंग है और हैंड्स ऑन ट्रेनिंग के लिए ये मशीन हमेशा इस्तेमाल होती हैं. जो EVM चुनाव में प्रयुक्त हुई थीं, वे सब स्ट्रॉन्ग रूम में CRPF के कब्जे में सील बंद हैं. उसमें CCTV की निगरानी है जिसे सभी राजनीतिक दलों के लोग देख रहे हैं."
अन्य मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हंगामे के बीच जिला निर्वाचन अधिकारी और पुलिस ने प्रत्याशियों को स्ट्रॉन्ग रूम में बुला लिया ताकि वे चुनाव में इस्तेमाल हुई EVM का मिलान कर संतुष्ट हो सकें. इससे पहले सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने अखिलेश के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी थी. प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी और मनीष शुक्ला ने कहा था,
“एग्जिट पोल के रुझान देखकर अखिलेश यादव जी का बदहवास हो जाना स्वाभाविक है. पहले उनका ओपिनियन पोल पर भरोसा नहीं था. अब एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं है. मीडिया पर भरोसा नहीं है. प्रशासनिक मशीनरी पर भरोसा नहीं है. निर्वाचन आयोग पर भरोसा नहीं है. 10 मार्च को EVM से भी भरोसा उठ जाएगा.”
सोमवार 7 फरवरी को तमाम न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल सामने आए थे. इनमें से ज्यादातर में यूपी में बीजेपी की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है. ये तक कहा गया है कि सत्तारूढ़ दल इस बार भी 300 से ज्यादा सीटें जीत सकता है. वहीं सपा गठबंधन को 140 से 160 सीटें मिलने की बात इन एग्जिट पोल्स में कही गई है.

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