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अपने प्रत्याशियों की लिस्ट निकालने के बजाय सपा चुपके-चुपके ये क्या खेल कर रही है?

समाजवादी पार्टी क्यों गुपचुप ढंग से फ़ॉर्म A और B बांट रही?

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव. (तस्वीर- पीटीआई)
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Election) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पहले और दूसरे चरण के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी पहले फेज के लिए 53 टिकट घोषित कर चुकी है. राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने भी टिकटों का ऐलान किया है, जिनमें समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवारों के नाम भी शामिल हैं. लेकिन इस बीच एक बात जो सभी को हैरत में डाल रही है कि सपा ने अभी तक अपनी कोई लिस्ट जारी क्यों नहीं की? जबकि सपा के उम्मीदवारों को फॉर्म ए और फॉर्म बी मिलने लगे हैं, ताकि वे अपने क्षेत्र में जाकर नामांकन कर सकें. चुपचाप टिकट फाइनल किए गए आजतक से जुड़े कुमार अभिषेक के मुताबिक, रविवार को मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से अतुल प्रधान और हस्तिनापुर सीट से योगेश वर्मा का टिकट सपा ने फाइनल कर दिया, लेकिन इन दोनों ही सीटों का ऐलान उसने सार्वजनिक रूप से नहीं किया. समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रत्याशियों के ऐलान नहीं होने से कई जगह कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई है. मथुरा जिले की मांट विधानसभा से तो RLD और सपा दोनों के उम्मीदवार अपना दावा पेश कर रहे हैं. दोनों का ही कहना है कि उन्हें मांट से टिकट मिला है. सपा ऐसा क्यों कर रही है? कई सीटों पर चुपचाप टिकट दिए जाने की वजह कुछ पार्टी नेताओं द्वारा बताई गई है. कुमार अभिषेक के मुताबिक, ऐसा कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी विवाद से बचने के लिए टिकटों का ऐलान नहीं कर पा रही है. पार्टी नहीं चाहती कि टिकट न मिलने से नाराज नेता सपा से भागना शुरू कर दें. समाजवादी पार्टी में इन दिनों दूसरे दलों से भी कई बड़े नेता आए हैं. सभी कहीं न कहीं इस आस में बैठे हैं कि पार्टी का टिकट उन्हें मिलेगा, लेकिन सपा नए और पुराने नेताओं में बैलेंस बनाकर चल रही है. अखिलेश यादव चाहते हैं कि नए और पुराने सभी नेता पार्टी से जुड़े रहें. इसलिए जिन नेताओं को सपा का टिकट मिलना है, उन्हें अखिलेश यादव ने बता दिया है कि वह चुनाव की तैयारी करें.
Imran Masood
इमरान मसूद (बीच में) अखिलेश यादव से मुलाकात करते हुए (फोटो: समाजवादी पार्टी/ ट्विटर)

जानकार बताते हैं कि इस रणनीति का एक फायदा ये भी है कि आखिरी वक्त में जब टिकट की घोषणा होगी तो नाराज नेताओं के पास दूसरी पार्टी में जाकर टिकट लेने का विकल्प नहीं बचेगा. इमरान मसूद और देव राणा जैसे कई बड़े नेता सपा में आए, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया और आखिरी वक्त में उनके पास अब कोई चारा भी नहीं बचा है. बीजेपी को कहीं फायदा न मिल जाए समाजवादी पार्टी से जुड़े कुछ सूत्र यह भी बताते हैं कि पिछले दिनों स्वामी प्रसाद मौर्या सहित कई मंत्री, विधायक और बड़े नेताओं ने सपा का दामन थामा. इसके बाद से सपा हाईकमान को लगता है कि ओबीसी समुदाय के इतने बड़े नेताओं के एक साथ आने से पार्टी को लेकर वह माहौल बन गया है, जिसकी चुनाव से पहले उसे जरूरत थी. लेकिन अगर टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने अब बीजेपी में जाना शुरू कर दिया, तो जो माहौल बना है, उसपर पानी फिर जाएगा. इसलिए समाजवादी पार्टी सार्वजनिक रूप से टिकट की घोषणा करने से बच रही है.