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तालाब में मिले 'नरकंकाल' के पीछे राजा भैया ने क्या कहानी बताई?

स्कूटर राजा भैया की जीप से छुआ और आदमी को मार दिया गया?

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बकौल रघुराज प्रताप सिंह वो अपने घर के पास स्थित तालाब में मछलीपालन करते हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले दी लल्लनटॉप अपने राजनीतिक मंच जमघट के तहत अलग-अलग नेताओं का इंटरव्यू कर रहा है. इसी क्रम में हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट से विधायक और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से सवाल पूछे. दरअसल, रघुराज प्रताप सिंह के घर के पास बने तालाब में एक नरकंकाल मिलने की बात सामने आई थी. इस बारे में हमारे संपादक ने पूछा,
"2003 की बात है. आपके पिता के महल पर छापा पड़ता है. आपकी कोठी पर छापा पड़ता है. 600 बीघा का तालाब. उसकी खुदाई होती है. उस खुदाई में नरकंकाल मिलने की बात सामने आई.क्या ये सच बात है?"
इसके जवाब में रघुराज प्रताप सिंह ने कहा,
"600 बीघे के तालाब को खोद देना असंभव है. तालाब के पास हैं गंगा जी. गरीब लोग अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठा पाते. ऐसे में वो गंगा जी में पार्थिव शरीरर को प्रवाहित कर देते हैं. गंगा जी का रास्ता बदलता रहता है. ऐसे में गंगा जी के पास बालू में कोई ना कोई हड्डी या नरकंकाल मिल ही जाएगा. अभी भी मिल जाएगा. ये कोई ऐसी दुर्लभ चीज नहीं है. हमको फंसाने के लिए हड्डियां ले आए. इस तरह का तमाशा था वो."
हमारे संपादक ने आगे पूछा,
"इसी समय दो मृत्यु के संबंध में आपका नाम जोड़ा गया. लोगों ने कहा कि ये जो बेती के तालाब में नरकंकाल मिला, ये नरसिंहगढ़ गांव के संतोष मिश्रा का था. संतोष का कसूर था कि उनका स्कूटर राजा भैया की जीप से छू गया. तो राजा भैया के लोग उन्हें उठा ले गए. इतना मारा कि वो मर गए और शव को बेती तालाब के पास दफना दिया."
रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि ये सब किस्से कहानी हैं. इन आरोपों में कोई दम नहीं. इसी तरह के और भी फर्जी मुकदमे किए गए, कहानियां गढ़ी गईं. उन्होंने बताया कि उनके पिता को फर्जी मुकदमे मे गिरफ्तार किया गया था और पुलिसवालों ने एके-47 प्लांट की थी. तब उनके पिता ने मजाक में कहा था कि चलिए कोई कट्टा प्लांट नहीं किया, नहीं दो बेइज्जती हो जाती. रघुराज प्रताप सिंह ने ये भी बताया कि वो और उनके पिता हथियारों के जानकार और शौकीन हैं. उन्होंने आगे बताया कि उनके पास कई पिस्टल हैं. एक नाम भी बताया-वाल्थर पीपी. बकौल रघुराज प्रताप सिंह, उन्होंने कभी भी पिस्तौल का प्रयोग किसी को डराने-धमकाने के लिए नहीं किया.