जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट पर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ढाई लाख से ज़्यादा के अंतर से पीछे हैं. उन्हें कुल 2 लाख 28,777 वोट मिले हैं. उनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़े नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ़ अहमद को 4 लाख 92,213 वोटों के साथ निर्णायक बढ़ मिल गई है.
J&K Loksabha Results: महबूबा मुफ्ती अपने गढ़ अनंतनाग से बहुत बुरा हार सकती हैं
एग्ज़िट पोल में भी अनुमान लगाया गया था कि इस सीट पर मियां अल्ताफ़ अहमद सबसे मज़बूत कैंडिडेट हैं. अनुमान सही निकला.

इंडिया टुडे के Axis My India एग्ज़िट पोल में भी अनुमान लगाया गया था कि इस सीट पर मियां अल्ताफ़ अहमद ही सबसे मज़बूत कैंडिडेट हैं.

2014 का जनादेश
2014 में वोटिंग पर्सेंटेज 28.84% रहा था. महबूबा मुफ़्ती को 2 लाख से ज्यादा और NC के मिर्ज़ा महबूब बेग़ को 1 लाख 35,012 वोट मिले थे. महबूबा 2004 में पहली बार इस सीट से चुनी गई थीं, दस साल बाद 2014 में फिर इसी सीट से चुन कर संसद गईं.
2019 का जनादेश
पिछली बार अनंतनाग लोकसभा सीट पर मात्र 8.76% वोट पड़े थे. NC के हसनैन मसूदी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 40,180 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष ग़ुलाम अहमद मीर थे. उन्हें 33,504 वोट पड़े थे. महबूबा मुफ़्ती तीसरे पायदान पर रही थीं. 30,524 वोटों के साथ.
प्रदेश में कुल 5 सीटें हैं. इनमें से तीन पर नज़र बनी हुई थी. श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग-राजौरी. अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद से ये पहले आम चुनाव हैं. कहा जा रहा था कि यहां मुक़ाबला तीन मोर्चों पर है. PDP प्रमुख महबूबा मुफ़्ती बनाम NC के मियां अल्ताफ़ बनाम अपनी पार्टी के ज़फ़र इक़बाल मन्हास. हालांकि, असली टक्कर मुफ़्ती बनाम अल्ताफ़ ही थी.
पहले तो तय था कि अनंतनाग-राजौरी सीट पर मतदान 7 मई को होना था, लेकिन इसे 25 मई तक टाल दिया गया. मौसम की स्थिति और ख़राब सड़क की वजह से.
अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या क़रीब 18 लाख है, और 16 विधानसभा क्षेत्र आते हैं: त्राल, शोपियां, देवसर, पंपोर, नराबादू, डोरु, पहलगाम, वाची, पलवामा, लगाम, कोकरनाग, बिजबेहारा, राजपोरा, होमशालीबुग, शानगुस और अनंतनाग. इनमें से 11 कश्मीर घाटी के दक्षिण में और सात खंड पीर पंजाल घाटी के राजौरी और पुंछ जिलों में पड़ते हैं.
इस इलाक़े में गुज्जर और पहाड़ियों का एक बड़ा वोट बैंक है. मियां अल्ताफ़ अहमद पीर पंजाल रेंज के दोनों ओर, गुज्जर और पहाड़ी आबादी में काफ़ी असर रखते हैं. स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि उनकी नज़र इन्हीं वोटों पर थी, और उनके जीतने की बड़ी वजह भी यही है.
एक ट्रिविया: अप्रैल में अहमद ने स्वास्थ्य की वजह से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. स्पष्ट फ़ैसला नहीं ले रहे थे. फ़ौरन उमर अब्दुल्ला उनके गांव बाबानगरी पहुंचे. एक घंटे की बैठक के बाद अल्ताफ़ ने एक वीडियो बयान जारी किया कि वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
वहीं, महबूबा की दावेदारी में मूल निवासी वाला फ़ैक्टर था. उम्मीदवारों में से केवल वही हैं, जो अनंतनाग सीट की मूल निवासी हैं. उन्हें उम्मीद थी कि ज़्यादा वोटिंग परसेंट उनके पक्ष में काम करेगा. इस बार उन्होंने जमकर प्रचार किया था. उनकी बेटी इल्तिज़ा मुफ़्ती भी अपनी मां के चुनाव प्रचार में शामिल हुई थीं. हालांकि, ये काम नहीं आया.
सूबे के पत्रकारों का कहना है कि यूं तो हालात शांतिपूर्ण हैं, मगर दक्षिण कश्मीर और ख़ासकर पीर पंजाल इलाक़े के पुंछ और राजौरी में आतंकवादी गतिविधियां हो रही हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मीर एहसान की रिपोर्ट के मुताबिक़, इसी चुनाव प्रचार के दौरान दक्षिण कश्मीर में दो हमले हुए थे. इसमें शोपियां और पहलगाम के गांवों में सरपंच की मौत हो गई थी. दो पर्यटक भी घायल हुए थे. पुंछ और राजौरी इलाक़े में अक्सर सैनिकों हमलों की ख़बरें आती रहती हैं.
PDP का ‘गढ़’वैसे तो 1999 से लेकर आजतक, लोकसभा की दावेदारी में PDD और NC के बीच कांटे की टक्कर देखी गई है. मगर विधानसभा के लिहाज़ से इस इलाक़े में PDP की अच्छी पकड़ है. 2014 के विधानसभा चुनाव में अनंतनाग की 16 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर PDP जीती थी.
इस सीट पर महबूबा मुफ़्ती का लिटमस टेस्ट था. वो इस सीट से अपने चौथी जीत की राह तक रही थीं. उनके लिए आगामी विधानसभा चुनाव की संभावनाएं पूरी तरह से लोकसभा में उनके प्रदर्शन पर निर्भर करती हैं. अब इतनी बुरी हार के बाद देखना होगा कि वो अपनी राजनीतिक साख कैसे बचाती हैं.
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