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पूरे साल मोदी 'मां-बेटे' को याद करते रहे, क्या हुआ इन चुनावों में लड़ रहे मां-बेटों का?

उन सीटों का हाल जिसमें मां/पिता और उनके बच्चे लड़े.

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देखिए कौन बचा पाता है विरासत और कौन खोता है अपना गढ़?
लोकसभा चुनाव 2019. इलेक्शन हो चुका है. रिजल्ट्स आ रहे हैं. इन चुनावों कई सारे मां-बेटे और बाप-बेटे की जोड़ी चुनाव मैदान में है. आइए जानते हैं क्या हैं इन सीट्स के रूझान/नतीजे-
1. राहुल गांधी-सोनिया गांधी
सोनिया गांधी रायबरेली से जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं.
सोनिया गांधी रायबरेली से जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के अमेठी और केरल के वायनाड से चुनाव लड़े. उनकी मां सोनिया गांधी अपनी पुरानी सीट रायबरेली से एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाई.
नतीजे: राहुल वायनाड से 4 लाख 31 हजार वोटों से जीत गए हैं. जबकि अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी से 55 हजार वोटों से हार गए हैं. सोनिया रायबरेली से 1 लाख 67 हजार वोटों से जीत गईं हैं. 
राहुल पहली बार दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. अमेठी से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी का आरोप है कि राहुल गांधी हार के डर से वायनाड चले गए हैं.


2. वरुण गांधी-मेनका गांधी
भाजपा नेता वरुण गांधी एक बार फिर पीलीभीत वापस गए हैं जबकि उनकी मां मेनका गांधी सुल्तानपुर.
भाजपा नेता वरुण गांधी एक बार फिर पीलीभीत वापस गए हैं जबकि उनकी मां मेनका गांधी सुल्तानपुर.

वरुण गांधी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि उनकी मां और मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी सुल्तानपुर से चुनाव मैदान में हैं.
नतीजे: पीलीभीत से वरुण गांधी 2 लाख 55 हजार वोटों से और मेनका सुल्तानपुर से 14 हजार वोटों से जीत गईं हैं. 
वरुण 2009 में पहली बार पीलीभीत से ही जीतकर संसद पहुंचे थे. 2014 में सुल्तानपुर से जीते थे. उनकी मां मेनका गांधी पीलीभीत से 3 बार संसद पहुंच चुकी हैं. 2019 में मां बेटे दोनों की सीटें आपस में बदल दी गई हैं.


3. अखिलेश यादव-मुलायम सिंह यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आजमगढ़ से पिता की विरासत बचाने की जिम्मेदारी है. मुलायम वापस मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आजमगढ़ से पिता की विरासत बचाने की जिम्मेदारी है. मुलायम वापस मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं.

3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं.
नतीजे: मैनपुरी से मुलायम 94 हजार वोटों से और आजमगढ़ से अखिलेश 2 लाख 59 हजार वोटों से जीत गए हैं.
अखिलेश पहली बार साल 2000 में कन्नौज से जीतकर संसद पहुंचे थे. जब मुलायम ने सीट खाली की थी. एक बार फिर से अखिलेश पिता की सीट पर चुनाव लड़ने वापस आ गए हैं. लेकिन सीट कन्नौज की जगह आजमगढ़ है.
2014 में मुलायम आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों जगह से जीते थे. लेकिन उन्होेंने आजमगढ़ की सीट नहीं छोड़ी थी. इस बार मुलायम मैनपुरी तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं.


4. भूपेंद्र सिंह हुड्डा- दीपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से जबकि दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से मैदान में हैं.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से, जबकि दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से मैदान में हैं.

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं.
नतीजे: भूपेंद्र हुड्डा भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक से 1 लाख 64 हजार वोटों से हार गए हैं. दीपेंद्र भी भाजपा के अरविंद शर्मा से 7 हजार के नजदीकी अंतर हार गए हैं.
दीपेंद्र हुड्डा 3 बार से रोहतक से चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2014 में 'मोदी लहर' के बावजूद दीपेंद्र रोहतक के रूप में हरियाणा की एकमात्र सीट जीतने में कामयाब रहे थे. रोहतक से उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा 4 बार खुद सांसद रहे और दो बार उनके दादा चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा सांसद रहे.


5. जयंत चौधरी-अजीत चौधरी
रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह इस बार मुजफ्फरनगर से किस्मत आजमा रहे हैं. जबकि उनके वारिस जयंत चौधरी परंपरागत सीट बागपत से चुनाव मैदान में हैं.
रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह इस बार मुजफ्फरनगर से किस्मत आजमा रहे हैं. जबकि उनके वारिस जयंत चौधरी परंपरागत सीट बागपत से चुनाव मैदान में हैं.

रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह अपनी परंपरागत बागपत सीट छोड़कर मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि उनके बेटे जयंत चौधरी मथुरा छोड़कर बागपत से मैदान में हैं.
नतीजे: जयंत चौधरी भाजपा के सत्यपाल सिंह से 23 हजार वोटों से हार गए हैं. जबकि अजीत सिंह भाजपा के संजीव बालियान से 6 हजार वोट से हारे हैं. 
2014 में बागपत से अजीत चौधरी डॉ. सत्यपाल सिंह से हार चुके हैं. जयंत के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पिता का बदला ले पाने की है. सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में RLD के हिस्से 2 सीटें आई हैं, दोनों पर बाप-बेटे मैदान में हैं.


6. हेमा मालिनी-सनी देओल
हेमा मालिनी मथुरा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. जबकि सनी देओल पहली बार गुरदासपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.
हेमा मालिनी मथुरा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. जबकि सनी देओल पहली बार गुरदासपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

हेमा मालिनी 2014 में मथुरा से जीतकर संसद पहुंची थीं. भाजपा ने एक बार फिर से मथुरा से हेमा को टिकट दिया है. जबकि सनी देओल पहली बार पंजाब के गुरदासपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
नतीजे:  हेमा 2 लाख 93 हजार वोट से और सनी देओल 82 हजार वोटों से जीत गए हैं. 
सनी देओल ने गुरदासपुर से राजनीति में डेब्यू किया है. पिता धर्मेंद्र भी गुरदासपुर में सनी का प्रचार करते नजर आए थे. उनसे पहले इस सीट पर केवल विनोद खन्ना ही कमल खिलाने में सफल रहे थे. धर्मेंद्र मथुरा सांसद हेमा मालिनी का प्रचार करने भी आए थे.


 
7. एचडी देवगौड़ा, प्रज्ज्वल रेवन्ना और निखिल कुमारस्वामी
जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा अपनी परंपरागत हासन सीट प्राज्वल के लिए छोड़ दी है और खुद तुमकुर से चुनाव मैदान में हैं. जबकि निखिल कुमारस्वामी मंड्या से चुनाव लड़ रहे हैं.
जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा अपनी परंपरागत हासन सीट प्राज्वल के लिए छोड़ दी है और खुद तुमकुर से चुनाव मैदान में हैं. जबकि निखिल कुमारस्वामी मंड्या से चुनाव लड़ रहे हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा कर्नाटक के तुमकुर से चुनाव मैदान में हैं. जबकि उनके दो पोते मंड्या से निखिल कुमारस्वामी और हासन से प्रज्ज्वल रेवन्ना चुनाव मैदान में हैं.
नतीजे: एचडी देवेगौडा लगभग 13 हजार वोटों से हार गए हैं.
मंड्या से निखिल कुमारस्वामी 1 लाख 25 हजार वोट के मार्जिन से हार गए हैं.
प्रज्ज्वल रेवन्ना  हासन से 1 लाख 41 हजार वोट से जीत गए हैं. 
देवगौड़ा के दो बेटे पहले से राजनीति में हैं. एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं, जबकि दूसरे बेटे एचडी रेवन्ना PWD मंत्री हैं. कुमारस्वामी और रेवन्ना दोनों के बेटे भी अब राजनीति के मैदान में आ गए हैं.


वीडियो देखिए: मोदी, मायावती, शिवपाल और डिंपल के कन्नौज चुनाव में गड़बड़ पर क्या बोले अखिलेश यादव?