गुजरात की गोधरा (Godhra) विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मौजूदा विधायक और प्रत्याशी सी के राऊलजी (C K Raulji) 35,198 के अंतर से जीत गए हैं. कांग्रेस की रश्मिताबेन चौहान (Rashmitaben Chauhan) 61,025 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहीं. उन्हें इस इलाके के 51.65% से ज्यादा मतदाताओं ने वोट किया है. वहीं आम आदमी पार्टी के राजेश भाई पटेल को 11,827 वोट मिले हैं. उन्हें मिले मतों की संख्या बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों को मिले वोटों के मुकाबले काफी कम है.
जिस गोधरा में 2002 में दंगे हुए थे, वहां चुनाव कौन जीता?
यहीं के विधायक ने बिलक़िस के बलात्कारियों को 'संस्कारी ब्राम्हण' कहा था.


2002 गुजरात दंगों के बाद से ही ये सीट हमेशा से चर्चा में रही है. बड़ी संख्या में यहां मुस्लिम वोटर हैं.
बीजेपी ने मौजूदा विधायक सीके राउलजी को टिकट दिया. वहीं कांग्रेस से रश्मिताबेन चौहान और AAP के राजेश पटेल और AIMIM के मुफ़्ती हसर कचाबा मैदान में थे.
सीके राउलजी गोधरा से पांच बार के विधायक हैं. 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन 2017 का चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट से लड़ा. और, कांग्रेस के परमार राजेंद्रसिंह बलवंतसिंह के ख़िलाफ़ बहुत कम मार्जिन से जीते. मात्र 258 वोटों से. सीके राउलजी वही विधायक हैं, जिन्होंने बिलक़िस बानो के बलात्कारियों के बचाव में बयान दिया था. दोषियों की की रिहाई पर उन्हें ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था. इस बयान के लिए उनकी भरसक आलोचना हुई थी. जब हमारी ग्राउंड टीम ने राउलजी से बात की, तो बिलक़िस बानो के सवाल पर उन्होंने चुप्पी धर ली.
इस बार क्यों चर्चा में रहा 'गोधरा'?साल 2002 में गोधरा कांड और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों ने न केवल बीजेपी की दिशा तय की, बल्कि नरेंद्र मोदी के राजनैतिक क़द बढ़ाने में भी भूमिका निभाई.
इसी बार की बात कर लें, तो चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2002 में दंगाइयों को सबक़ सिखाया, तभी 'स्थाई शान्ति' क़ायम हो पाई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गोधरा आए, तो उन्होंने भी 2002 के गोधरा कांड से लेकर अयोध्या तक याद किया. एक चुनावी सभा में कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने जैसे ही AIMIM का ज़िक्र किया, सुन रही भीड़ ने हंगामा शुरू कर दिया. हालात इस क़दर बिगड़े कि इमरान को सभा छोड़ना पड़ी.
लल्लनटॉप से गोधरा वालों ने राहुल, केजरीवाल और ओवैसी के चुनाव पर क्या कहा?