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जहां सरदार पटेल की मूर्ति है, वहां लोगों ने किसे हराया?

नर्मदा की दोनों सीटों पर किसकी नाव पार लगी?

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आदिवासियों के इस इलाके में BJP और AAP का दबदबा

गुजरात के नर्मदा जिले में दो सीटें हैं - डेड‍ियापाड़ा और नांदोद. डेड‍ियापाड़ा विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार चैतरभाई वसावा 40,282 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. उन्हें कुल 1,03,433 वोट मिले हैं. यहां भाजपा के हितेश देवजी वसावा दूसरे नंबर पर रहे हैं, उनके खाते में कुल 63,151 वोट आए हैं. तीसरे नंबर पर कांग्रेस की जेरमाबेन सुखलाल वसावा हैं. उन्हें महज 12,587 वोट ही मिल सके. उनकी जमानत जब्त हो गई.

महेशभाई वसावा का दबदबा रहा था

डेड‍ियापाड़ा सीट पर कभी दिग्गज आदिवासी नेता और भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी BTP के मुखिया छोटू भाई वसावा का दबदबा रहा था. 2017 के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को पछाड़ते हुए छोटू भाई के बेटे महेशभाई वसावा ने यहां जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 83,026 वोट मिले थे, तब बीजेपी के मोतीलाल वसावा के खाते में 61,275 वोट आए थे. हार-जीत का मार्जिन 21,751 रहा था.

इससे पहले डेड‍ियापाड़ा में साल 2012 का चुनाव भाजपा के मोतीलाल वसावा के पक्ष में रहा था. मोतीलाल वसावा ने कांग्रेस के अमरसिंह वसावा को 2,555 वोटों के अंतर से हराया था.

डेड‍ियापाड़ा विधानसभा सीट नर्मदा की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. लेकिन ये भरूच लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. आदिवासी-बहुल सीट है और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.

नर्मदा जिले की दूसरी सीट का हाल

नर्मदा जिले की दूसरी सीट है नांदोद. नांदोद सीट से भाजपा की डॉ दर्शना चंदूभाई देशमुख 28,202 वोटों से इलेक्शन जीत गई हैं. उन्हें 70,543 वोट मिले. कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही. उसके उम्मीदवार हरेशभाई वसावा को 42,341 वोट मिले. नांदोद में तीसरे नंबर पर आए निर्दलीय उम्मीदवार हर्षदभाई वसावा. उन्होंने कुल 35,362 वोट हासिल किए. इसके अलावा AAP उम्मीदवार प्रफुलभाई वसावा 24,463 वोटों के साथ चौथे नंबर पर रहे.

नांदोद सीट का इतिहास जान लीजिए

नांदोद नर्मदा ज़िले में पड़ती है. लेकिन, छोटा उदयपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. आदिवासी-बहुल सीट है और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. आदिवासियों की आबादी क़रीब डेढ़ लाख के क़रीब है. ब्राह्मण, पाटीदार और अन्य की संख्या 32 हजार के आस-पास है. नांदोद सीट बनी 2008 के परिसीमन के बाद. सो इस सीट पर पहली बाच चुनाव हुए 2012 में. और, इस चुनाव में भाजपा के शब्दर्शन तड़वी ने हरेशभाई वसावा को 15,000 से ज़्यादा वोटों से हराया था. फिर 2017 में, कांग्रेस ने सीट अपने पाले की. कांग्रेस के प्रेमसिंह वसावा ने भाजपा के शब्दर्शन तड़वी को हरा दिया था.

 नर्मदा जिले में ही सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा - स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी - लगाई गई है. जिसका असर यहां के लोगों पर पड़ा है. मूर्ति के निर्माण से नर्मदा ज़िले के 72 गांवों के 75,000 आदिवासी प्रभावित हुए हैं. नांदोद में भी स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी का असर पड़ा है. क्योंकि प्रभावित लोगों में नांदोद के लोग भी शामिल हैं.

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