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ग़ाज़ीपुर: योगी आदित्यनाथ को 'कमज़ोर दिल का चूहा' कहने वाले ने मोदी के मंत्री को हरा दिया

बसपा के अफ़ज़ाल अंसारी के खिलाफ खड़े हैं बीजेपी के मनोज सिन्हा.

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मनोज सिन्हा (बाएं) और अफ़ज़ाल अंसारी (दाएं) अफ़जाल सिन्हा को दो बार चुनाव हरा चुके हैं.
सीट का नाम: ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश प्रमुख प्रत्याशी: मनोज सिन्हा (भाजपा) और अफ़ज़ाल अंसारी (बसपा) नतीजा: अफज़ाल अंसारी ने मोदी सरकार में मंत्री रह चुके मनोज सिन्हा को 1,19,392 वोटों से हराया है.  Ghazipur 2019 result 2014 का नतीजा: मनोज सिन्हा 3.06 लाख वोट पाकर जीते थे. सपा की शिवकन्या कुशवाहा 2.74 लाख वोट पा सकी थीं और बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव 2.41 लाख. 2009 का नतीजा: सपा के राधे मोहन सिंह कर 3.79 लाख वोट पाकर जीते थे. अफ़ज़ाल अंसारी 3.09 लाख वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे. यादवों और दलितों के वोट निर्णायक स्थिति में हैं. इसके अलावा पौने दो लाख मुस्लिम वोटर हैं. इस सीट पर ध्रुवीकरण से ज्यादा पुरानी रंजिश का खेल चला करता है. मनोज सिन्हा भी पुराने सांसद हैं और अफजाल अंसारी भी. दोनों स्कूल में साथ पढ़े थे. बलिया से चुनाव लड़े तो एक दूसरे के खिलाफ, गाज़ीपुर से लड़े तो भी. इलाके के लोग बताते हैं कि किसी भी सांसद के कार्यकाल में गाजीपुर में उतना काम नहीं हुआ, जितना मनोज सिन्हा के कार्यकाल में हुआ. कारण? मनोज सिन्हा के पास रेल मंत्रालय आया और आगे चलकर दूरसंचार मंत्रालय भी आया. कई योजनाओं को उन्होंने इस इलाके में अंजाम दिया और मनोज सिन्हा के कैबिनेट में चले जाने से सीट भी हाई-प्रोफाइल हो गई थी. मनोज सिन्हा का समर्थन करने वाले इस फैक्टर को भुनाते हैं. अब अफजाल अंसारी के पास महज़ आंकड़े हैं. खुद अफ़ज़ाल के समर्थक भी कहते हैं कि मनोज सिन्हा ने काम कराया है, लेकिन अगर जाति के आधार पर वोट गिरा तो अफजाल की जीत हो सकती है. इसके अलावा कृष्णानंद राय हत्याकांड, जिसमें अफ़ज़ाल अंसारी और उनके छोटे भाई मोख्तार अंसारी का नाम आया, के बाद, ग़ाज़ीपुर में मुस्लिम बनाम भूमिहार की फांक बहुत बड़ी है. और लोग बताते हैं कि भूमिहार वोटों को साधने का काम मनोज सिन्हा इस चुनाव में कर रहे हैं. गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल का पूरा इंटरव्यूः बीजेपी, मनोज सिन्हा, योगी, अखिलेश पर क्या बोले?
मनोज सिन्हा की "विकास पुरुष" की छवि हावी है या अफ़ज़ाल अंसारी का समीकरण?