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'INDIA' गठबंधन में कांग्रेस के अकेले पड़ते जाने के पीछे असली खेल क्या है?

Delhi Election में INDIA गठबंधन की पार्टियां कांग्रेस के बजाय AAP का सपोर्ट कर रही हैं. सपा तक कांग्रेस के साथ नहीं दिख रही. वहीं RJD न्यूट्रल है, लेकिन Lalu Yadav ममता बनर्जी को गठबंधन की कमान देने की बात कर चुके हैं. तो क्या ये INDIA ब्लॉक के घटक दलों की कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति है?

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इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले बनाया गया था. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)

चुनाव के बीच दिल्ली का सियासी रण रोचक हो गया है (Delhi Assembly Election 2025). लोकसभा चुनाव में साझेदार रहे कांग्रेस और AAP आमने सामने आ गए हैं. तल्खी इस हद तक बढ़ गई है कि कांग्रेस अपनी धुरविरोधी BJP से ज्यादा AAP पर हमलावर है. वहीं लगभग 6 महीने पहले कांग्रेस की छतरी तले 'INDIA' गठबंधन बनाने वाली अधिकतर पार्टियां अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ी दिख रही हैं. इनमें राहुल गांधी के दोस्त अखिलेश यादव और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी जैसे बड़े नाम शामिल हैं. ममता बनर्जी 'INDIA' की बागडोर अपने हाथ में लेने की इच्छा को लेकर पहले से चर्चा में हैं. उधर महाराष्ट्र में कांग्रेस की साझेदार रही शिवसेना (UBT) भी AAP के समर्थन में है. हालांकि RJD इस मसले पर न्यूट्रल है. 

इन सारे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच एक और चीज नोटिस करने लायक है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का रवैया. जहां दिल्ली कांग्रेस के नेता AAP पर गरम हैं, वहीं केंद्रीय नेतृत्व नरम. पहले बात कांग्रेस के इसी पहलू की करेंगे. फिर 'INDIA' गठबंधन और कांग्रेस के बीच की दूरी को समझेंगे.

AAP पर दिल्ली कांग्रेस गरम, राहुल गांधी नरम

दिल्ली में कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व लगातार AAP पर हमले कर रहा है. संदीप दीक्षित ने ही सबसे पहले केजरीवाल के खिलाफ ‘शीशमहल’ का मुद्दा उठाया था. उन्होंने AAP प्रमुख पर ‘BJP का एजेंट’ होने का आरोप भी लगाया. जवाब में AAP नेता संजय सिंह और मुख्यमंत्री आतिशी ने संदीप दीक्षित पर एक BJP नेता से ‘पैसे लेने’ तक के आरोप लगा दिए. 

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन भी आम आदमी पार्टी पर लगातार हमलावर रहे हैं. उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 'देशद्रोही' तक कहा और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसके सबूत दिखाने की बात की. फिर अचानक खबर आई कि माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी है. कहा गया कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस नेताओं को केजरीवाल पर आक्रमक हमले से बचने की सलाह दी है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसके लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कांग्रेस के एक बड़े नेता को फोन किया था. 

इन चर्चाओं को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि बीजेपी की तरफ से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है. अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली की गली-गली घूम रहे हैं. लेकिन राहुल गांधी समेत कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता की दिल्ली में कोई रैली या जनसभा अभी तक नहीं हुई है.

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क्रेडिट- 'INDIA' टुडे
AAP से क्यों बौखलाई कांग्रेस?

आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस पर BJP से मिले होने का आरोप लगा रही है. दिल्ली की सत्ता पर लंबे वक्त तक काबिज रही कांग्रेस ने इस बार अरविंद केजरीवाल और सीएम आतिशी के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारे हैं. नई दिल्ली से केजरीवाल के खिलाफ जहां संदीप दीक्षित चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं कालकाजी से आतिशी के खिलाफ अलका लांबा चुनावी मैदान में हैं. 

इसके अलावा कांग्रेस ने दलित और मुस्लिम वोटों पर खास फोकस किया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 7 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक संख्या में हैं. और ये सातों सीटें फिलहाल AAP के खाते में हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 12 सीटों पर भी AAP का कब्जा है. कांग्रेस ने अब तक 48 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं. इनमें आसिम अहमद खान शामिल हैं, जो AAP की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. AAP का बड़ा दलित चेहरा रहे कैलाश गौतम भी कांग्रेस जॉइन कर चुके हैं.

'INDIA' गठबंधन में फूट की स्क्रिप्ट पटना से निकली

ये तो AAP और कांग्रेस के लव-हेट रिलेशन की कहानी थी. अब 'INDIA' गठबंधन के घटक दलों की AAP को समर्थन देने के पीछे की रणनीति को समझते हैं.

'INDIA' ब्लॉक से कांग्रेस को किनारे करने का संकेत सबसे पहले मीडिया को लालू यादव के दिए एक बयान से मिला. कुछ दिन पहले ममता बनर्जी की ओर से INDIA ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जताई गई थी. मीडिया ने जब लालू यादव से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा,

ठीक है, दे देना चाहिए. हम सहमत हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इस पर आपत्ति करेगी, लालू यादव ने कहा,

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता... ममता को (नेतृत्व) दे दो.

नीतीश कुमार के साथ 'INDIA' गठबंधन की पहल करने वाले और राहुल गांधी को इसका ‘दूल्हा’ तक बनाने की सिफारिश करने वाले लालू यादव के सुर आखिर क्यों बदल गए? इसका सिरा 'INDIA' गठबंधन के दूसरे घटक दलों की कांग्रेस से दूरी से जुड़ता है. 

लालू यादव के इस बयान को उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स से जोड़ कर देखा गया. बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लालू यादव को मजबूत नहीं मजबूर कांग्रेस पसंद है. जो बिहार में उनके रहमो-करम पर बनी रही. उनका मकसद कांग्रेस को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कम से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार करना है.

अब सवाल उठता है कि क्या 'INDIA' गठबंधन के दूसरे घटक दल भी लालू यादव की रणनीति को अपना रहे हैं. या फिर सच में 'INDIA' गठबंधन का भविष्य खतरे में है. 

'INDIA' गठबंधन के घटक दलों के AAP को समर्थन देने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावल कहते हैं, 

'INDIA' गठबंधन के घटक दलों का मानना था कि AAP और कांग्रेस को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए था. लेकिन कांग्रेस ने इससे इनकार कर दिया. क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि गुजरात, पंजाब और दिल्ली में AAP का जो वोटबैंक है वो असल में कांग्रेस का है. 

यूपी के ‘दो लड़कों’ के बीच ‘तीसरे’ की एंट्री

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस साथ-साथ आए थे. राहुल और अखिलेश की जोड़ी को 'यूपी के लड़के' नाम दिया गया. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में तो ये जोड़ी कोई कमाल नहीं दिखा सकी. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इनकी जुगलबंदी ने उत्तर प्रदेश में BJP का रथ थाम दिया. इस चुनाव में BJP 62 से 32 सीट पर सिमट गई. वहीं SP-कांग्रेस गठबंधन को 43 सीटें मिलीं. 

हालांकि इस चुनावी सफलता के बावजूद 'यूपी के लड़कों' की दोस्ती दिल्ली चुनाव आते-आते कमजोर पड़ती दिखी. INDIA ब्लॉक के नेतृत्व पर छिड़ी बहस के बीच SP ने कांग्रेस की जगह AAP का समर्थन कर दिया. इसके बाद उत्तर प्रदेश में भी सपा-कांग्रेस गठबंधन पर सवाल उठने लगे. हालांकि कांग्रेस ने मिल्कीपुर के विधानसभा चुनाव में SP का समर्थन किया है. लेकिन लगे हाथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने ये दावा कर दिया कि उनकी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने के लिए भी तैयार है.

इन सियासी घटनाओं पर इंडिया टुडे से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई बताते हैं, 

SP समेत 'INDIA' गठबंधन के दूसरों दलों का ऑफिशियल बयान है कि दिल्ली में AAP मजबूत है इसलिए वो AAP का समर्थन कर रहे हैं. जहां कांग्रेस मजबूत होगी वहां कांग्रेस का समर्थन करेंगे. लेकिन इससे इतर एक सच ये भी है कि महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद ये पार्टियां कांग्रेस को ये मैसेज देना चाहती हैं कि अब गठबंधन में कांग्रेस का टर्म डिक्टेट करना उनको बर्दाश्त नहीं होगा.

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क्रेडिट - 'INDIA' टुडे

कांग्रेस के खिलाफ विरोध के सुर महाराष्ट्र में भी उठे. उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी AAP का समर्थन किया है. अटकलें तो यहां तक हैं कि उद्धव ठाकरे AAP के पक्ष में प्रचार के लिए आ सकते हैं. पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने बाकायदा बयान दिया है कि 'दिल्ली में केजरीवाल मजबूत हैं’ और BJP को हराने की स्थिति में हैं, इसलिए शिवसेना उनका समर्थन कर रही है. 

लेकिन राजनीति में सबकुछ इतना सुलझा हुआ होता कहां है. विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस की मजबूती शिवसेना को भी रास नहीं आएगी. इंडिया टुडे से जुड़े साहिल जोशी बताते हैं,

शिवसेना ने पहले भी कहा था कि लोकसभा में वो कांग्रेस को आगे बढ़ाएगी. लेकिन विधानसभा चुनाव में उनका समर्थन क्षेत्रीय दलों को जाएगा. जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद भी शिवसेना ने कहा था कि कांग्रेस के मुकाबले क्षेत्रीय दल BJP को हराने में ज्यादा सक्षम हैं.

शिवसेना और कांग्रेस के बीच बढ़ती दूरी और उद्धव गुट के AAP को समर्थन करने के सवाल पर आदेश रावल बेहद दिलचस्प बात कहते हैं, 

देवेंद्र फडणवीस शिवसेना उद्धव गुट और एकनाथ शिंदे गुट के मर्जर की कोशिश कर रहे हैं. और किसी भी दिन इनके बीच सुलह की खबर आ सकती है. शिवसेना शिंदे गुट के सिंबल पर दोनों गुटों का मर्जर हो सकता है.

बिखर रहा है 'INDIA' गठबंधन

दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि 'INDIA' गठबंधन अब बिखर चुका है. उनसे पहले अखिलेश यादव, उमर अब्दुल्ला और ममता बनर्जी भी इसी तरह की बात दोहरा चुके हैं. लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक 'INDIA' गठबंधन की कोई भी बैठक नहीं हुई है. इसको लेकर उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा, 

बदकिस्मती ये है कि 'INDIA' ब्लॉक की कोई मीटिंग नहीं बुलाई जा रही है. तो इसमें लीडरशिप और एजेंडे को लेकर या हम साथ रहेंगे या नहीं, इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है.

उधर कांग्रेस की सबसे भरोसेमंद सहयोगी मानी जाने वाली RJD ने अब तक दिल्ली चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन तेजस्वी यादव ने 'INDIA' ब्लॉक के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने 8 जनवरी को कहा कि 'INDIA' गठबंधन तो लोकसभा चुनाव तक ही बना था.

गठबंधन के बिखरने के दावों पर राजदीप सरदेसाई कहते हैं, 

'INDIA' गठबंधन एक लिमिटेड पर्पज के लिए लोकसभा चुनावों के लिए ही बनाया गया था. राज्यों के चुनाव के लिए इसकी मीटिंग में कोई चर्चा नहीं हुई थी. 

वहीं साहिल जोशी का भी मानना है,  

कई राज्यों में इनकी (क्षेत्रीय दलों) सीधी लड़ाई कांग्रेस से ही हैं. ऐसे में राज्यों के चुनाव के लिए इस गठबंधन की कोई प्रासंगिकता नहीं है. 

अरविंद केजरीवाल समेत बाकी सहयोगियों के बयानों से फिलहाल लगता यही है कि 'INDIA' गठबंधन अब कागजों पर ही बच गया है. लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के निकल जाने से गठबंधन के बिखराव का जो सिलसिला शुरू हुआ था, अब वो अपनी अंतिम परिणति तक जाता दिख रहा है. हालांकि इस सियासत की अपनी अलग इक ज़बाँ है, लिहाजा भविष्य को लेकर कोई सीधा दावा करना जल्दबाजी होगी. 

वीडियो: दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP की अंतिम सूची में कितने विधायकों के टिकट काटे गए? अरविंद केजरीवाल किस सीट से चुनाव लड़ेंगे?