लोकसभा की वो सीट जिस पर ननद बनाम भाभी का मुकाबला हुआ. जिस सीट पर कहा गया ये चुनाव तो शरद पवार Vs अजित पवार है. महाराष्ट्र की उस सबसे चर्चित लोकसभा सीट बारामती के नतीजे दिलचस्प होते दिख रहे हैं. सुप्रिया सुले एक बार फिर सांसद बनने की ओर बढ़ रही हैं. वो NCP की सुनेत्रा पवार से 74 हजार से ज्यादा मतों से आगे चल रही हैं. खबर लिखे जाने तक सुप्रिया सुले को 4 लाख 67 हजार वोट मिले हैं. जबकि सुनेत्रा को करीब 3 लाख 92 हजार वोट मिले हैं.
Baramati Lok Sabha Result: ननद-भाभी की लड़ाई में जीता कौन, शरद पवार या अजित पवार?
ये लड़ाई Supriya Sule और Sunetra Pawar से ज्यादा Sharad Pawar Vs Ajit Pawar बताई जा रही थी.

सुप्रिया सुले शरद पवार की बेटी हैं. और सुनेत्रा पवार अजित पवार की पत्नी हैं. अजित पवार शरद पवार के भतीजे हैं तो सुप्रिया और सुनेत्रा का रिश्ता ननद भाभी का हुआ. ननद-भाभी की इस सियासी लड़ाई ने बारामती को लोकसभा चुनाव में सबसे हॉट सीटों में एक बना दिया है. इस सीट पर सुनेत्रा पवार के मैदान में उतरने के बाद एक कहानी ये भी चली कि ये सियासी लड़ाई महज संयोग नहीं है. इसके पीछे सोची समझी रणनीति है. कहा तो ये भी जा रहा है कि अमित शाह ने रणनीति के तहत अजित पवार की पत्नी को शरद पवार की बेटी के खिलाफ चुनाव में उतरवाया है. हाल में एक इंटरव्यू के दौरान जब इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने शरद पवार से पूछा कि “ऐसा कहा जा रहा है कि अमित शाह के इशारे पर सुनेत्रा पवार को बारामती से उतारा गया है.” तो उन्होंने जवाब दिया-"ऐसा मैंने भी सुना है."
इस मसले पर हमने राजदीप सरदेसाई से बात भी की. वो कहते हैं,
“बीजेपी शरद पवार के किले को पूरी तरह से ढहाना चाहती है. सीधे पवार को घेरना मुश्किल है इसलिए निशाने पर उनकी बेटी है. बेटी अगर चुनाव हारती है तो साख शरद पवार की जाएगी.”
लेकिन अब तक आए नतीजों को देखा जाए तो शरद पवार इस चक्रव्यूह को भेदते हुए नज़र आ रहे हैं.
सीट का इतिहासकांग्रेस ने 1967 में शरद पवार को बारामती विधानसभा से टिकट दिया . 27 साल के पवार पहली बार बारामती विधानसभा सीट से MLA बने. तब से आज तक विधानसभा की ये सीट पवार परिवार के पास ही है. 1967 से 1991 तक शरद पवार ही यहां से विधायक रहे. इस बीच उन्होंने 1984 में बारामती में लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें जीत मिली. 1991 में उपचुनाव लड़ा, तब भी जीत मिली.
1991 के बाद शरद पवार ने बारामती को एक तरह से अजित पवार को सौंप दिया और खुद राष्ट्रीय राजनीति का रुख कर लिया. 1996 में शरद पवार ने बारामती से लोकसभा चुनाव लड़ा. 96 से 2009 तक वो इसी सीट से सांसद रहे. 2009 में उन्होंने बारामती लोकसभा सीट को अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सौंप दिया. तब से सुप्रिया बारामती की सांसद हैं.
2014 में सुप्रिया सुले दूसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रही थी. सीटिंग सांसद ने दूसरी बार भी जीत दर्ज की. उन्हें 5 लाख 21 हजार वोट मिले थे. उन्होंने RSPS के महादेव जगन्नाथ जांकर को हराया था. महादेव को 4 लाख 51 हजार वोट मिले थे. सुप्रिया सुले ने 2019 में तीसरी बार बारामती से जीत दर्ज की थी. उन्हें 6 लाख 86 हजार मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के राहुल कंचन. उन्हें 5 लाख 30 हजार वोट मिले थे.
वीडियो: पत्रकारों ने बताया कैसे बारामती बन गया शरद पवार और उनके परिवार का अभेद्य किला?