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सिर्फ मदरसों में क्यों 'जाते' हैं मुस्लिम बच्चे, क्या बोले ओवैसी?

ओवैसी ने मदरसों को जरूरी क्यों बताया?

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लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने असदुद्दीन ओवैसी कै इंटरव्यू किया है.
दी लल्लनटॉप के राजनीतिक मंच जमघट (Lallantop Jamghat) में AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शिरकत की. हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने ओवैसी से कई मुद्दों पर सवाल किए. कुछ मुद्दों पर चर्चा भी की. ओवैसी से मदरसों को लेकर भी बात हुई. ओवैसी से पूछा गया कि मुस्लिम समाज के बच्चों को जॉब-ओरिएंटेड शिक्षा की बजाए मदरसों में क्यों भेजा जाता है? यह भी पूछा गया कि मदरसों के मॉडर्नाइजेशन को लेकर क्या योजनाएं है? मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकरओवैसी ने कहा,
"इसको लेकर स्कीम बनाई गई है. लेकिन इसका इंप्लीमेंटेशन सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है. संसद में बजट पास कर दिया है, लेकिन योजना में नहीं दिया जा रहा. अगर संसद में पास बजट को नहीं दिया जा रहा तो संसद की अहमियत क्या रह जाती है? सच्चर कमेटी ने कहा है कि कुल मुस्लिम आबादी के सिर्फ दो प्रतिशत बच्चे ही मदरसों में पढ़ते हैं."
ओवैसी के मुताबिक मदरसे जरूरी भी हैं. उन्होंने कहा,
"मदरसों में कुरान की तालीम दी जाती है, धर्म की शिक्षा दी जानी चाहिए. लड़कियों के लिए स्कूल खोले जा सकते हैं. अगर आप देश के एस्पारिंग जिलों की लिस्ट देखेंगे तो टॉप 10 में अधिकतर जिले मुस्लिम बहुल्य हैं. लेकिन ये चीज दिखाई नहीं जाती है. ये भेदभाव है. ये भेदभाव आजादी कुछ समय बाद शुरू हुआ. क्योंकि कैंसर फैलने में भी थोड़ा समय लगता है."
इसके अलावा कई अन्य मुद्दों पर ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी. ये सब जानने के लिए आपको देखना होगा जमघट का पूरा इंटरव्यू. उसके लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है. थोड़ा सा नीचे स्क्रॉल कीजिए और देखिए हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी के साथ असदुद्दीन ओवैसी की खास बातचीत.