"88 हजार से ज़्यादा वोट, ये सिर्फ वोट नहीं मेरे ऊपर जनता का भरोसा है. कानून के शासन में यकीन रखने वाले नागरिकों ने हमारे संघर्ष और अन्याय के खिलाफ उठने वाली आवाज का समर्थन किया. मैं यह मानती हूं कि फ़ौरी संख्या विभाजन में जो हमारे साथ आज नहीं हैं उनका भी भरोसा जीतना हमारा लक्ष्य रहेगा. धनबल और बाहुबल के खिलाफ लड़कर मेरा राजनीतिक जन्म हुआ है. और आगे भी धनबल और बाहुबल के समक्ष घुटने ना टेकने का मेरा संकल्प और मजबूत हुआ है."पिछले चुनाव में सिद्धार्थनाथ सिंह ने ऋचा सिंह को ही 25,336 वोटों से हराया था. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थनाथ यूपी सरकार में MSME, कपड़ा मंत्री हैं. इलाहाबाद पश्चिम सीट के इतिहास को देखते हुए उनकी छवि एक साफ-सुथरे नेता के रूप में उभरी थी. यूपी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी दो बार (2004 उपचुनाव और 2007 चुनाव) यहां किस्मत आजमाई और दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
UP Election Results: योगी के कपड़ा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को सपा दे पाई टक्कर?
2017 से पहले इस सीट पर लगातार दो बार बसपा ने जीत हासिल की थी
उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार प्रयागराज की सबसे चर्चित सीटों में एक है इलाहाबाद पश्चिम. योगी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने लगातार दूसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. उन्होंने समाजवादी पार्टी की ऋचा सिंह को 29,933 वोटों से हरा दिया. 1.18 लाख वोटों के साथ जीत के बाद सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि सुशासन और विकास को विजय दिलाने के लिए प्रयागराज पश्चिम की देवतुल्य जनता का ऋणी हूं. सिद्धार्थनाथ सिंह को कुल 53.29 फीसदी वोट मिले. कई सीटों की तरह यहां भी दोतरफा मुकाबला देखने को मिला. बसपा और कांग्रेस मुकाबले से काफी दूर नजर आए. ऋचा सिंह सपा की चर्चित नेता हैं और वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. इस बार के चुनाव में उन्हें 88,826 वोट मिले. अपनी हार के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि जाति और धर्म के समीकरणों में उलझे वर्तमान राजनीतिक दौर में जनता ने इससे ऊपर उठकर उन पर भरोसा किया, यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है. ऋचा सिंह ने लिखा,
अतीक अहमद का था दबदबा
2017 से पहले इस सीट पर लगातार दो बार बसपा का कब्जा था. साल 2012 में इस सीट पर बसपा की पूजा पाल ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. उन्होंने बाहुबली उम्मीदवार अतीक अहमद को 8,885 वोटों से हराया था. उससे पहले 2007 के विधानसभा चुनाव में पूजा पाल ने सपा के खालिद अजीम उर्फ अशरफ को 10 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी. पूजा पाल से पहले इस सीट से अतीक अहमद लंबे समय तक विधायक रहे थे. यहां उनका ऐसा वर्चस्व रहा कि 1989 से 2002 के बीच वे 5 बार यहां से विधायक चुने गए थे. साल 2004 में सपा के टिकट पर अतीक अहमद फूलपुर से लोकसभा सांसद बन गए. इसी साल इलाहाबाद पश्चिम सीट पर उपचुनाव हुआ और अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ को टिकट दिलवाया. हालांकि अशरफ इस उपचुनाव में हार गए. उन्हें बसपा के राजू पाल ने मात दी. कुछ ही दिनों बाद जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या हो गई. इस हत्या का आरोप अतीक अहमद और उनके लोगों पर लगा. 2006 में इस सीट पर दोबारा उपचुनाव हुआ और अतीक के भाई अशरफ विधायक बन गए. हालांकि एक साल बाद ही 2007 के चुनाव में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने उन्हें हराकर सीट पर कब्जा कर लिया. इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट 1980 में बनी थी. 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान आए आंकड़ों के मुताबिक, यहां मतदाताओं की कुल संख्या करीब 4.20 लाख है. इस क्षेत्र में व्यापारी वर्ग के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से भी अधिक है. इसके अलावा दलित और ओबीसी समुदाय की आबादी भी 20-20 फीसदी से अधिक है.