14 जून 2022, मंगलवार का दिन. केंद्र सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अग्निपथ स्कीम की घोषणा की. इस स्कीम के तहत युवाओं को 4 साल की अवधि के लिए सशस्त्र सेनाओं में भर्ती किया जाएगा. 4 साल बाद 75 फीसद युवाओं को रिलीज कर दिया जाएगा जबकि 25 फीसद को परमानेंट किया जाएगा. अग्निपथ की घोषणा के बाद विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए तो मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरयाणा सहित कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्रालय ने राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भर्ती में रिटायर अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की बात कही. कई कॉरपोरेट हाउसेज ने भी अग्निवीरों को नौकरी देने की बात कही थी. जिसके बाद ये सवाल भी पूछा जाने लगा था कि फिलहाल जो सैन्यकर्मी, सर्विस से रिटायर हो रहे हैं उन्हें कहां-कितना मौका मिल रहा है?
अग्निपथ के पहले सरकार ने पूर्व सैनिकों को कितनी नौकरी दी, सच चौंका देगा!
साल 2021 के जून तक के आंकडों के मुताबिक 170 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से 94 में ग्रुप सी की कुल संख्या के केवल 1.15 प्रतिशत पदों पर और ग्रुप डी के 0.3 प्रतिशत पदों पर पूर्व सैनिक थे. राज्य सैनिक बोर्ड के आंकडों के अनुसार दिसंबर 2019 तक, बिहार, यूपी, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में केवल 1.5 प्रतिशत पूर्व सैनिकों को ही नौकरी दी है.

डायरेक्टर जनरल ऑफ रीसेटेलमेंट (DGR), पूर्व सैनिकों (ESM) के पंजीकरण और उनके प्लेसमेंट का डेटा रखता है. DGR को ये आंकड़ा देश भर के राज्य सैनिक बोर्ड (RSB), जिला सैनिक बोर्ड (ZSB) से मिलती है. 30 जून, 2019 की स्थिति के अनुसार देश के बड़े राज्य जैसे कि उत्तर प्रदेश में 3,81,285 एक्स-सर्विसमैन थे. जबकि वहीं महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 1,82,053 था. तीनों सेनाओं की अलग-अलग बात करें तो आर्मी में 23,17,022; एयर फोर्स में 2,24,529 और नेवी में पूर्व सैनिकों की संख्या 1,33,672 थी. पूरे देश में कुल 26,75,223 पूर्व सैनिक मौजूद हैं.
क्या कहता है DOPT का डेटा?डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DOPT) के प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार की ग्रुप सी की नौकरियों में 10 फीसदी और ग्रुप डी में 20 फीसदी पद पूर्व सैनिकों के लिए रिजर्व होते हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और केंद्रीय सशस्त्र बलों में आरक्षण क्रमशः 14.5 प्रतिशत और 24.5 प्रतिशत है. लेकिन अगर साल 2021 के जून तक के आंकडों को देखा जाए तो 170 सेंट्रल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से 94 में ग्रुप सी की कुल संख्या के केवल 1.15 प्रतिशत पदों पर और ग्रुप डी के 0.3 प्रतिशत पदों पर पूर्व सैनिक थे.

बिजनेस स्टेंडर्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार कोल इंडिया(PSU) ने पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के खाली होने के पीछे स्किल सर्टिफिकेट न होने को वजह बताया है. ग्रुप सी और ग्रुप डी के पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित 251 पदों में से कोई भी पद नहीं भरा जा सका है.
विभाग | सेंट्रल PSU | पब्लिक सेक्टर बैंक | केंद्र सरकार | CAPF |
ग्रुप सी में कुल पद | 2,72,848 | 2,71,741 | 10,84,705 | 8,81,397 |
ग्रुप सी में पूर्व सैनिकों की संख्या | 3,138 | 24,733 | 13,976 | 0.47 |
प्रतिशत | 1.15 | 9.10 | 1.29 | 0 |
ग्रुप डी में कुल पद | 1,34,733 | 1,07,009 | 3,25,265 | 0 |
ग्रुप डी में पूर्व सैनिकों की संख्या | 404 | 22,839 | 8,642 | 0 |
प्रतिशत | 0.30 | 21.34 | 2.66 | 0 |
केंद्रीय मंत्रालयों में तस्वीर और भी निराशाजनक है. 32 मंत्रालयों में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित 22,168 पदों में से केवल 1.60 प्रतिशत ही भरे गए हैं. बिजनेस स्टेंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के सबसे बड़े रोजगार प्रदाता भारतीय रेलवे ने सशस्त्र बलों के पदों पर रिटायर्ड सैनिकों में से सिर्फ 1.4 प्रतिशत (केवल 16,264) पदों को भरा है. भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व सैनिकों की लगभग 24,242 पदों के लिए भर्ती अभी चल रही है.
10 डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स में, जहां केंद्र ने अग्निपथ योजना के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है, ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों में से क्रमशः केवल 3.45 प्रतिशत और 2.71 प्रतिशत रिटायर्ड सैनिक हैं.
बिजनेस स्टेंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक जून 2021 तक के आंकडों के अनुसार, पैरामिलिट्री फोर्स के पांच विंग सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) द्वारा पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों में से केवल 0.62 प्रतिशत ही भरे गए हैं. यानी यहां भी पूर्व सैनिकों की संख्या काफी कम है. जबकि अग्निपथ योजना के लागू होते ही केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि CAPF के 10 प्रतिशत पद अग्निवीरों के लिए आरक्षित होंगे. बिजनेस स्टेंडर्ट की रिपोर्ट के अनुसार CAPF के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूर्व सैनिकों को भर्ती नहीं करने के पीछे मुख्य कारण संगठनात्मक बाधाओं और सेना से अलग नौकरी प्रोफ़ाइल का हवाला दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि बाहरी आक्रमण से लड़ने वाले रक्षा बलों की भूमिका, आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अर्धसैनिक बलों से अलग है. सेना से आने वालों को यहां फिर से ट्रेनिंग देनी होगी.
राज्य सरकारों में पूर्व सैनिकों की नौकरी की स्थिति क्या है?राज्य सैनिक बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2019 तक बिहार, यूपी, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य, जहां से भारतीय सशस्त्र बलों में 80 फीसद भर्ती होती है. यहां नौकरी के लिए रजिस्टर्ड 2,00,000 पूर्व सैनिकों में से केवल 1.5 प्रतिशत को ही नौकरी मिली है. बिजनेस स्टेंडर्ट की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सैनिक बोर्डों के अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश राज्यों में पूर्व सैनिक कोटे के तहत सभी पदों के लिए आरक्षण है, लेकिन वे सेना द्वारा जारी ग्रेजुएट सर्टिफिकेट को मान्यता देने के लिए इच्छुक नही होते हैं. वो आगे कहते हैं कि एक सैनिक, एक एयरमैन या एक सेलर कक्षा 10 के बाद सेना में शामिल होता है. सशस्त्र बल उन्हें 15 साल की सेवा के बाद ग्रेजुएट सर्टिफिकेट प्रदान करते हैं. कई राज्य इन प्रमाणपत्रों को मान्यता नहीं देते हैं. यहां तक कि अगर वे मान्यता प्राप्त हैं तो भी पूर्व सैनिक प्रतियोगी परीक्षाओं को निकाल पाने में विफल होते हैं क्योंकि प्रश्नपत्र ग्रैजुएट लेवल के होते हैं.
राज्य | एक्स-सर्विसमेन रजिस्टर्ड | कुल रोजगार मिला | प्रतिशत |
उत्तर प्रदेश | 86,192 | 1,616 | 1.8 |
बिहार | 43,845 | 6 | 0.01 |
पंजाब | 60,772 | 1,150 | 1.8 |
राजस्थान | 53,373 | 1,415 | 2.6 |

राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में 18 नवंबर 2019 को रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा था कि सरकार बेरोजगार पूर्व सैनिकों का आंकड़ा नहीं रखती है. उन्होंने कहा था कि हर साल 32 से 37 हजार पूर्व सैनिक रोजगार के लिए आर्मी वेलफेयर प्लेसमेंट ऑर्गनाइजेशन(AWPO) के जरिए आवेदन करते हैं. जिन सैनिकों के पास रोजगार नहीं है उनकी डिटेल्स सरकार नहीं रखती है.