करीब दो साल पहले रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो कुछ समय बाद कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी थीं. इस दौरान इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गए थे. लेकिन रूस-यूक्रेन वार छिड़ते ही पश्चिमी देशों ने जब रूस पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी थीं. एक पाबंदी रूसी तेल पर भी लगाई गई थी. इसके चलते जब रूस के पास तेल का भंडार बढ़ा तो रूस ने भारत को भारी डिस्काउंट तेल बेचना शुरू कर दिया. भारत ने इस मौके को हाथों-हाथ लिया और रूस से जमकर सस्ता तेल खरीदा और अरबों रुपये की बचत की. लेकिन इस साल भारत को रूस से सस्ता तेल नसीब होने मुश्किल दिखाई दे रहा है. आज के खर्चा पानी में इसी पर विस्तार से बात करेंगे. जानेंगे कि नए साल में रूस से भारत को डिस्काउंट पर कच्चा तेल क्यों नहीं मिल पाएगा. जानेंगे कि पिछले साल भारत ने रूस से कितना तेल खरीदा है और कितना रुपया बचाया है. इसके अलावा समझेंगे कि भारत ने सऊदी अरब से तेल की खरीद क्यों बढ़ा दी है. साथ ही जानेंगे कि पेट्रोलियम मंत्री ने क्यों कहा है कि कई देश भारत को तेल बेचने के लिए लाइन में खड़े हैं.
खर्चा-पानी: सस्ते रूसी तेल के दिन लदे, क्या भारत को अरबों की चपत लगेगी?
नए साल में रूस से भारत को डिस्काउंट पर कच्चा तेल क्यों नहीं मिल पाएगा.
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