किसी इमरजेंसी में जरूरत पड़ने पर पैसे पाने का सबसे आसान तरीका पर्सनल लोन है. पर्सनल लोन के पैसों से आप क्या कर रहे हैं, महंगी घड़ी खरीद रहे हैं या महंगा फोन, कोई कुछ नहीं पूछेगा. पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन होते हैं. यानी ऐसे लोन के लिए आपको बैंक के पास कोई गारंटी नहीं रखनी पड़ती है. यही वजह है कि पर्सनल लोन पर ब्याज दर सबसे अधिक होती है. ये चार्जेज कितने होंगे ये पूरी तरह बैंकों पर निर्भर करता है. हां, अगर क्रेडिट स्कोर मजबूत है या बैंक से अच्छे संबंध हैं तो चार्जेज में कुछ रियायत मिल सकती है.
लोन देते वक्त बैंक आपको इन चार्जेज के बारे में नहीं बताएगा, लेकिन आपने नहीं जाना तो भारी झटका लगेगा
कस्टमर को लोन देने में बैंकों को भी कई चीजों में पैसे खर्च करने पड़ते हैं. ये चार्ज बैंक आपसे ही वसूलता है.

एक पर्सनल लोन लेने पर कितने तरह के अन्य चार्जेज लगते हैं. इसे समझने के लिए दी लल्लनटॉप ने लोन देने वाली NBFC कंपनी PayMe के फाउंडर और सीईओ महेश शुक्ला से बात की. बैंकों के अलावा लोन देने वाली कंपनियों को गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFC) कहते हैं. महेश ने बताया कि लोन देते समय बैंक ग्राहकों से प्रोसेसिंग फीस, प्री-क्लोजर फीस, लेट फीस जैसे चार्जेज लेते हैं. ग्राहकों को लोन लेते समय इन चार्जेज के बारे में गहराई से पता कर लेना चाहिए. आइए इन चार्जेज के बारे में अच्छे से समझ लेते हैं.
प्रोसेसिंग चार्जबाकी लोन की तरह पर्सनल लोन पर भी प्रोसेसिंग फीस लगती है. प्रोसेसिंग फीस के नाम पर कम से कम और अधिकतम कितना चार्ज लेना है, इसका फैसला बैंक ही करते है. महेश शुक्ला के मुताबिक, कस्टमर को लोन देने में बैंकों को भी कई चीजों में पैसे खर्च करने पड़ते हैं. सिबिल स्कोर निकालने में, KYC कराने में, लोन की रकम खाते में क्रेडिट कराने जैसे खर्चे. ये सारे खर्च ही बैंक प्रोसेसिंग फीस के जरिए कस्टमर्स से लेते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि ज्यादातर बैंक या NBFC ये सारे खर्चे प्रोसेसिंग चार्ज में ही वसूल लेते हैं. पहले कई ग्राहक प्रोसेसिंग फीस देने में आनाकानी करते थे. उनका तर्क होता था कि लोन प्रोसेस करने के नाम पर इतना चार्ज करना गलत है. इसलिए बैंक पारदर्शिता लाने के लिए प्रोसेसिंग फीस को अलग अलग खर्चों में बांटने लगे. जैसे कि KYC चार्ज, वेरिफिकेशन चार्ज और अन्य चार्जेज.
फिलहाल, ग्राहकों को लोन की रकम का 0.5 से 3 फीसदी तक प्रोसेसिंग फीस के नाम पर देना पड़ता है. उदाहरण के तौर पर, अगर एक लाख रुपये का लोन ले रहे हैं तो करीबन 3 फीसदी यानी तीन हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस हो सकती है.
वेरिफिकेशन चार्जबैंक लोन देने से पहले ये देखता है कि आप कहां रहते हैं, आपका रहन सहन कैसा है. इसके आधार पर वह तय करता है कि आपको लोन दिया जा सकता है या नहीं. आपकी क्रेडिट रिपोर्ट भी देखी जाएगी. आपने पहले कोई लोन लिया है क्या? अगर हां, तो उसे समय से चुकाया था या नहीं. इस जांच पड़ताल में जो खर्च आता है, बैंक वो पैसे ग्राहक से लेता है. इसे वेरिफिकेशन चार्ज भी कहते हैं.
बैंक कई बार ग्राहकों को इंश्योरेंस लेने का विकल्प देते हैं. किसी कारण से ग्राहक लोन के पैसे न दे पाए तो बैंक इसकी वसूली बीमा कंपनी से करते हैं. महेश शुक्ला ने बताया,
समय से पहले लोन खाता बंद करने पर“अगर एक लाख रुपये का लोन ले रहे हैं तो इंश्योरेंस चार्ज 100 रुपये से कम ही आएगा. वैसे तो ये इंश्योरेंस वैकल्पिक होता है लेकिन मेरी सलाह है कि ग्राहकों को लोन इंश्योरेंस ले लेना चाहिए. किसी कारण से आपकी नौकरी चली जाए या एक्सिडेंट हो जाए तो आपके लिए ईएमआई भरना मुश्किल होगा. ऐसे में लोन का बीमा रहा तो बैंक आपको परेशान नहीं करेगा और आपके पैसे की भरपाई भी हो जाएगी.”
अगर कस्टमर लोन अकाउंट कुछ ही महीनों में बंद करा देता है तो इससे लोन देने वाली कंपनियों को घाटा होता है. घाटे की भरपाई के लिए ही कंपनियां प्री क्लोजर चार्ज लेती हैं. यानी समय से पहले खाता बंद कराने पर लगने वाला चार्ज. प्री क्लोजर के नाम पर कितना चार्ज लगेगा ये लोन की समयसीमा पर भी निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर, मान लेते हैं किसी ने 3 साल का लोन लिया है और 6 महीने के अंदर बंद करा रहा है. इस शख्स को 2 फीसदी तक का प्री क्लोजर चार्ज देना पड़ सकता है. हालांकि, अगर बैंक से अच्छे संबंध हैं, मतलब उस बैंक के साथ लंबे समय से लेन देन कर रहे हैं तो ये फीस माफ भी हो सकती है.
EMI भूलने पर कितना चार्जग्राहकों को लोन लेते समय ये जरूर देखना चाहिए कि अगर किसी महीने EMI छूटी तो लेट फीस के नाम पर कितने रुपये देने पड़ेंगे. एक EMI छूटने पर 200 से 500 रुपये ज्यादा भरने पड़ते हैं. लोन के कागज में ये चार्ज लिखे होते हैं. कई बार लोग कागज पर साइन करने पहले उसे पढ़ते नहीं है और बाद में लेट फीस देने में बुरा लगता है.
GST चार्जऊपर हमने जितनी भी फीस बताई है, उन सभी पर 18 फीसदी GST भी देना पड़ता है. याद रहे कि लोन के रकम पर कोई GST नहीं लगती. लेकिन लोन के अलावा प्रोसेसिंग फीस, लेट फीस या प्री क्लोजर फीस लग रही है तो उस पर 18 फीसदी GST भी देना होगा. इसे उदाहरण से समझते हैं. किसी ने एक लाख रुपये का लोन लिया. उस पर 3 हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस लगी है. इसका 18 फीसदी यानी 540 रुपये GST के लिए भी देना होगा. 540 रुपये सुनकर अगर ये सोच रहे हैं कि इतने में क्या हो जाएगा तो जरा ध्यान से देखिए. ये रकम एक लाख रुपये के लोन पर है. अगर ज्यादा रकम का लोन लिया है तो सारे चार्ज कई गुना बढ़ जाएंगे.
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