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IAS परमपाल कौर का मामला क्या है? BJP से चुनाव लड़ रहीं, AAP सरकार ने इस्तीफा रोक रखा है

भारत सरकार ने उनके VRS को मंजूरी दे दी है. हालांकि पंजाब सरकार ने अब उन्हें नोटिस जारी कर वापस ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया है.

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IAS Parampal Kaur bjp
बठिंडा से चुनाव लड़ रही हैं परमपाल कौर (फाइल फोटो)
8 मई 2024
Updated: 8 मई 2024 20:17 IST
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पंजाब सरकार ने बठिंडा से लोकसभा चुनाव लड़ रहीं IAS अधिकारी परमपाल कौर का इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. परमपाल कौर बीजेपी की उम्मीदवार हैं. 2011 बैच की IAS अधिकारी परमपाल पिछले महीने इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुई थीं. भारत सरकार ने उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) को मंजूरी दे दी है. हालांकि पंजाब सरकार ने अब उन्हें नोटिस जारी कर वापस ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार ने कहा है कि ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी में शामिल होने से पहले उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग वर्मा को अपना इस्तीफा सौंपा था. हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था. इसके बावजूद वो बीजेपी में शामिल हुईं और उम्मीदवार बनकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. मुख्यमंत्री ने उनके इस फैसले पर सार्वजनिक रूप से सवाल खड़े किए और कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. इसके बाद केंद्र सरकार ने एक पत्र जारी कर बताया कि परमपाल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है.

अब पंजाब सरकार और केंद्र सरकार के बीच परमपाल कौर को लेकर तलवारें खिंच गई हैं. राज्य सरकार ने नोटिस जारी कर बताया कि नियम-16(2) के तहत तीन महीने के नोटिस पीरियड से उन्हें छूट नहीं मिली है. साथ ही उनके VRS पर भी कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि कौर ने PSIDC (पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) की मैनेजिंग डायरेक्टर पद को खुद छोड़ दिया, लेकिन राज्य सरकार ने नियमों के अनुसार नोटिस पीरियड में कोई छूट नहीं दी है.

"सिर्फ राज्य सरकार का अधिकार"

नोटिस में ये भी कहा गया है कि 3 महीने के नोटिस पीरियड में छूट देने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार के पास है. पंजाब सरकार का कहना है कि परमपाल कौर ने भारत सरकार को लिखे पत्र में अपनी मां की तबियत और पारिवारिक स्थिति जैसी चीजों का हवाला दिया था, जिसके कारण केंद्र ने नियम-3 के तहत उनके इस्तीफे को स्वीकार किया.

नोटिस में परमपाल पर ‘झूठे कारण’ बताकर VRS लेने का आरोप भी लगा है. पंजाब सरकार के नोटिस के मुताबिक, राज्य में IAS अधिकारियों की कमी है. परमपाल सक्रिय रूप से राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हैं, जो कि उनके आवेदन में VRS लेने के आधार के ठीक उलट है.

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पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर 1 जून को वोटिंग होनी है. परमपाल पिछले करीब एक महीने से चुनाव प्रचार में जुटी हैं. परमपाल के इस्तीफे की खबर 3 अप्रैल को आई थी. वो इस साल 31 अक्टूबर 2024 को रिटायर होने वाली थीं.

नोटिस जारी होने के बाद उन्होंने 8 मई को मीडिया से कहा कि जो कार्रवाई उन्हें (पंजाब सरकार) करनी है वो कर सकते हैं, वो जॉइन नहीं करने वाली हैं. परमपाल ने कहा कि केंद्र ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. उनकी जो मर्जी है, वो करते रहें.

केंद्र ने राज्य सरकार को निर्देश दिया

दी ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट बताती है कि केंद्र ने भी 8 मई को पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वो परमपाल कौर का वीआरएस तत्काल प्रभाव से स्वीकार करे.

सेंट्रल सिविल सर्विसेस (कंडक्ट) रूल्स के मुताबिक, केंद्र सरकार के अधिकारियों या कर्मचारियों के चुनाव लड़ने पर रोक है. कोई भी व्यक्ति नौकरी में रहते हुए राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं हो सकता या किसी भी तरीके से राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता है. इसलिए पहले भी कई अधिकारी VRS लेकर चुनाव में हिस्सा लेते रहे हैं.

परमपाल कौर शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता सिकंदर सिंह मलूका की बहू हैं. 11 अप्रैल को वो अपने पति गुरप्रीत सिंह मलूका के साथ बीजेपी में शामिल हुईं थीं. बठिंडा सीट पर परमपाल के खिलाफ कांग्रेस के जीत मोहिंदर सिद्धू और आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुडियन लड़ रहे हैं.

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