The Lallantop
Advertisement

10000 mAh बैटरी वाले चीनी स्मार्टफोन से Apple, Samsung और Google का खून क्यों नहीं खौल रहा?

स्मार्टफोन बनाने वाली हर चीनी कंपनी आजकल बड़ी बैटरी लगाकर दे रही. 5000-6000-7000 mAh तो इनके लिए अब नॉर्मल बात है. लेकिन Apple, Samsung और Google मुश्किल से 5000 mAh पहुंच रहे. कोई फैजल काहे नहीं बन रहा?

Advertisement
As Chinese smartphones boast massive 7,000mAh+ batteries, US and European consumers are stuck with smaller capacities,
चीनी कंपनियां बैटरी में कमाल कर रही हैं.
pic
सूर्यकांत मिश्रा
9 जुलाई 2025 (Updated: 9 जुलाई 2025, 06:17 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

चाइनीज स्मार्टफोन कंपनियों का नया शगल है फोन की बैटरी. इसे सनक भी कह सकते है क्योंकि तकरीबन हर चीनी कंपनी अभी इसी दौड़ में भाग रही कि कौन स्मार्टफोन के अंदर 10000 mAh की बैटरी देगा. 5000-6000-7000 mAh तो इनके लिए अब नॉर्मल बात है. हालांकि, इसका फायदा यूजर को मिल रहा. बड़ी बैटरी और फास्ट चार्जिंग की वजह से उसका काम आसान हो रहा. मगर अब सबसे बड़ा सवाल. अमेरिकी और साउथ कोरियन कंपनियां ऐसा क्यों नहीं कर रहीं. Apple, Samsung और Google मुश्किल से 5000 mAh पहुंच रहे.

ये तीनों कंपनियां तकनीक में कहीं पीछे नहीं. एक तरफ Apple है जिसका अपना ईको सिस्टम है. गूगल तो एंड्रॉयड का मालिक ही है. Samsung इन दोनों का सप्लायर ठहरा. तो फिर इनका खून काहे नहीं खौल रहा? कोई ‘फैजल’ काहे नहीं बन रहा. बताते हैं.

अमेरिकी नियम आड़े आ गया

तीनों टेक दिग्गजों को अपने स्मार्टफोन में बड़ी बैटरी लगाने में उतना ही टाइम लगेगा जितना इस लाइन को पढ़ने में आपको लगा है. मतलब तकनीकी स्तर पर तो कोई दिक्कत है ही नहीं. गरारी तो फंसी है US Federal Transportation Regulation के नियम 49 CFR के 173.185 क्लॉज में. इस नियम के मुताबिक स्मार्टफोन में बैटरी का साइज 20Wh (लगभग 5,000mAh) से ज्यादा नहीं हो सकता है.

ये भी पढ़ें: iPhone, Galaxy वाले देखते रहे, realme ने पहला 10000 mAh बैटरी वाला फोन लॉन्च कर दिया

अगर बैटरी का साइज इससे ज्यादा है तो वो international air transport association (IATA) के खतरनाक प्रोडक्ट (Dangerous Goods) वाली श्रेणी में आ जाता है. ऐसे प्रोडक्ट Class 9 क्लासिफिकेशन में आ जाते हैं और उनको जहाज में अलग से ले जाना पड़ता है. 5500 mAh को लिमिट के ऊपर और 6000 को तो एकदम बाहर माना जाता है. यूरोपियन यूनियन के नियम भी ऐसे ही हैं.

US Federal Transportation Regulation
US Federal Transportation Regulation

बस बात इतनी ही है. अब जो आपके मन में आ रहा है उसका जवाब भी हम आपको देते हैं. आपको लग रहा होगा कि चलो ये कंपनियां नियम के दायरे में हैं, मगर चीनी कंपनियां क्या अपना खुद का जहाज उड़ा रही हैं. 

नहीं, वो स्मार्ट हो रखी हैं.

उदाहरण के लिए, Xiaomi 15 Ultra का चीनी वेरियंट 6000mAh बैटरी के साथ आता है. मगर ग्लोबल वाला 5410mAh के साथ. Vivo X200 Pro भी 6000mAh और 5200mAh वाले वेरियंट के साथ आता है. हाल ही में लॉन्च हुए Nothing Phone 3 के इंडियन वेरियंट में 5500 mAh बैटरी लगी है तो अमेरिका वाले में 5150 mAh. खेल समझ गए आप.

अब एक सवाल हमारे मन में भी आया. क्या चीनी स्मार्टफोन की ये बड़ी बैटरियां वाकई खतरनाक हैं? हाल की घटनाओं को देखकर ऐसा नहीं लगता. चिंताओं के बावजूद, हालिया आंकड़े इन बड़ी बैटरियों में ब्लास्ट से जुड़ी घटनाओं में कोई बढ़ोतरी नहीं दिखाते हैं. इसके उलट Samsung के छोटी बैटरी वाले कई फ्लैग्शिप फोनों में ब्लास्ट हुए हैं. Samsung Galaxy Note 7 कौन ही भूल सकता है. इतना फटा कि कंपनी को मार्केट से प्रोडक्ट ही वापस बुलाना पड़ा था.

वीडियो: गाजियाबाद में कांवड़ियों का हंगामा, गाड़ी टकराने पर ड्राइवर को जमकर पीटा

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement