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रूस का ये ड्रोन जान लेने के लिए ब्लेड-बारूद मारता है फिर आत्महत्या कर लेता है, ये है पूरी कीमत

खुद को मारकर दुश्मनों को मारने वाला ड्रोन

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Russia attack Ukraine With Iranian Shahed-136 Kamikaze Drones
कामिकाजी ड्रोन ईरान से आया है. (image credit/engadget)
11 अक्तूबर 2022 (Updated: 11 अक्तूबर 2022, 17:18 IST)
Updated: 11 अक्तूबर 2022 17:18 IST
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एक आत्मघाती हमलावर यूक्रेन पर कहर बरपा रहा है. मगर विस्फोटकों भरी जैकेट पहनकर ख़ुद को उड़ा देने वाले दूसरे आत्मघाती हमलावरों से ये बिलकुल अलग है. ये पहले अपने निशाने के आसपास मंडराता है, उसपर टारगेट फिक्स करता है और फिर फट जाता है. ये एक ड्रोन है. 

इसी ड्रोन की मदद से रूस (Russia-Ukraine war) ने एक बार फिर ये यूक्रेन में अग्नि-तांडव कर दिया है. रिपोर्टों के मुताबिक रूस ने इस ड्रोन के जरिए यूक्रेन पर हाल ही में एक के बाद एक 50 से ज़्यादा मिसाइलें दागी हैं. इसे कामिकाजी ड्रोन (kamikaze drones) नाम दिया गया है.

आइए जानते हैं कि ये कामिकाजी ड्रोन आखिर कैसे अचूक निशाना लगाता है और कैसे तबाही मचाता है.

नाम कामिकाजी ही क्यों है 

कामिकाजी (Shahed-136 kamikaze drones) कहिए या सुसाइड ड्रोन या फिर कामिकाजी किलर ड्रोन्स. कई सारे नाम है इसके. वैसे रूसी भाषा में इसको Greran-2 कहा जाता है. दरअसल कामिकाजी एक जापानी शब्द है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने से कहीं ज़्यादा ताकतवर दुश्मन अमरीका को घुटने टिकवाने के लिए जापानी सेनापतियों ने कामिकाजी हमलावरों की फौजी यूनिट तैयार की थी. कामिकाजी ऐसे पायलट थे जो अपने लड़ाकू विमान उड़ाते हुए अमरीकी युद्धपोतों में क्रैश करवा देते थे. खुद भी मर जाते थे और अमरीकी वॉर शिप्स को भी तबाह कर देते थे. इसके बाद से किसी भी आत्मघाती अभियान के लिए कामिकाजी विशेषण इस्‍तेमाल किया जाने लगा. कामिकाजी किलर ड्रोन्स भी ऐसे ही काम करते हैं इसलिए इनके लिए ये सबसे मुफीद नाम है.

कितने किस्म के होते हैं 

कामिकाजी ड्रोन दो तरह के होते हैं. एक है स्विचब्लैड 300 और दूसरा स्विचब्लैड 600. स्विचब्लैड 300 का वजन तकरीबन 2.26 किलोग्राम होता है तो दूसरी तरफ स्विचब्लैड 600 तकरीबन 22 किलोग्राम भारी होता है. पहला वाला जहां 15 मिनट तक हवा में कारनामे कर सकता है तो दूसरे वाले के पास 40 मिनट तक हवा में उड़ने का जुगाड़ रहता है. जहां स्विचब्लैड 300 लोगों को मारने के लिए बनाया गया है, वहीं स्विचब्लैड 600 मार करता है तो टैंक और दूसरे भारी फ़ौजी वाहन नेस्तोनाबूद हो जाते हैं. स्विचब्लेड को बनाने वाले एरोवायर्नमेंट के अनुसार छोटा वेरिएंट स्विचब्लेड 300 दो फुट लंबा है और अपने कम वजन के कारण इसको इसे ढोना आसान होता है. मोर्टार से मिलती जुलती ट्यूब से भी इसको लॉन्च किया जा सकता है. आशंका है कि यूक्रेन में स्विचब्लैड 600 ने ही तबाही मचाई है. स्विचब्लैड 600 पहले 40 मिनट में 40 किलोमीटर की दूरी तय करता है और उसके बाद 185 किलो मीटर प्रतिघंटा की तेज गति से अपने शिकार पर हमला करता है. इस तरह के स्विचब्लैड ड्रोन में कैमरा, गाइडेंस सिस्टम, विस्फोटक होते हैं.

कैसे झपटता है अपने टारगेट पर 

इसे आप एक किस्म का रोबोटिक स्मार्ट बम समझ लीजिए. बस टारगेट सेट कर दीजिए और दाग दीजिए. शिकार चाहे पहाड़ियों में छिपा बैठा हो या किसी इमारत में या फिर कोई घने जंगल में ही क्यों ना बैठा हो, ये उसे तलाश ही लेता है. इनको उड़ने के लिए प्रोग्राम भी किया जा सकता है मतलब इनकी दिशा और गति में भी जरूरत के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है. एक तरफ इसकी इसके धारदार ब्लेड तेज घाव करती हैं तो दूसरी तरफ इसमें मौजूद विस्फोटक, टैंक से लेकर बख्तरबंद वाहन और आर्मर के भी चीथड़े उड़ा सकता है. जैसा कि नाम से साफ पता चलता है, ये ड्रोन टकराते ही विस्फोट कर देता है. नाम भले इसका ड्रोन हो, असल में यह एक उड़ने वाला हथियार है जो किसी भी तरह के जंग के लिए उपयुक्त है.

क्या बस यही इसकी खासियत है 

नहीं, ये तो सिर्फ झलक थी. असली फिल्म अभी बाकी है. कमिकाजी ड्रोन की खासियत है अपने शिकार को पहचानने की इसकी अद्भुत क्षमता. इसकी सबसे खतरनाक बात ये है कि यह उस वक्त तक अपने टारगेट के आसपास मंडराता रहता है, जब तक कि वह पूरी तरह से अचूक हमला करने की स्थिति में ना आ जाए. बोले तो पहले अपने टारगेट को तलाश करेगा, फिर हैलो बोलेगा और तब जाकर फटेगा. 

Joy on Twitter: "Bob Biswas never committed any crime because he always  smiled, said Nomoshar, Ek Minute before doing so https://t.co/JdK0HRWOw9" /  Twitter

कामिकाजी ड्रोन तभी हमला करता है जब यह पूरी तरह तय हो जाए कि निशाना चूकेगा नहीं. इसे निर्देशित क्रूज मिसाइल और मानवरहित विमान (Unmanned aerial vehicle) का मिश्रण समझ लीजिए. मान लीजिए शिकार बहुत स्मार्ट हुआ तो इनमें ऑपरेटर्स के लिए वेवऑफ की भी सुविधा है. मतलब ड्रोन भेजने के बाद भी हमले को रोका जा सकता है. एक बात और, इनकी कीमत इसी तरीके के दूसरे ड्रोन जैसे अमेरिकी रीपर ड्रोन से कम भी होती है. अनुमान के मुताबिक इसकी कीमत सिर्फ पाँच लाख रुपए के आसपास होती है.

सोचिए तो, सिर्फ पाँच लाख रुपए में जहन्नुम सी तबाही! 

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