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इस छोटे से देश ने Electric Car के क्षेत्र में बवाल मचा दिया है, ये कहानी हर कोई पढ़ना चाहेगा!

छोटू से यूरोपियन देश Norway में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या (Norway electric cars) पेट्रोल कारों से ज्यादा हो गई है. दुनिया का पहला देश जो ऐसा कर पाया. जानकर अपने अंदर दौड़ी सर्च की सुरसुरी. अंदरखाने से जो निकला उसे जान हमें लगा झटका. झटके का खटका (बटन) बंद करते हैं और स्टोरी की गाड़ी चलाते हैं.

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Norway: electric cars outnumber petrol for first time in history but how
Norway का कारनामा.
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सूर्यकांत मिश्रा
19 सितंबर 2024 (Updated: 19 सितंबर 2024, 13:51 IST)
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कल एक खबर देखी और दिल थोड़ा खुश हुआ. फिर तुरंत अंदर का भारतीय जागा और दिल दुखी हो गया. क्योंकि एक छोटे से देश ने (Norway electric cars) वाकई बहुत बड़ा कारनामा कर दिखाया था. दुनिया में पहला देश बना था जिसने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली थी. मन में वही आम भारतीय वाला सवाल कौंधा. यार इतनू से देश ने जब ये काम कर लिया तो हम क्यों नहीं करते? चलो उतना नहीं उसका आधा, पौना भी कर लें तो कमाल हो जाएगा. इसी उधेड़बुन में अपने अंदर दौड़ी सर्च की सुरसुरी. सुरसुरी खत्म हुई तो लगा झटका लेकिन इलेक्ट्रिक वाला नहीं.

क्योंकि इलेक्ट्रिक वाला झटका तो Norway ने दिया था. छोटू से यूरोपियन देश में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या पेट्रोल कारों से ज्यादा हो गई है. दुनिया का पहला देश जो ऐसा कर पाया है. लेकिन अंदरखाने से जो निकला वो हमारे लिए एक झटका है. झटके का खटका (बटन) बंद करते हैं और स्टोरी की गाड़ी चलाते हैं.

Norway की ‘बहुबड़ी’ उपलब्धि

यूरोप का एक छोटा सा देश. ग्लोब में खोजने जाएंगे तो शायद मुश्किल से दिखेगा. हां, रूस के यूरोप वाले बॉर्डर पर देखने से मिल जाएगा क्योंकि ग्लोब को कितना ही घुमाओ, रूस तो नजर आना ही है. इतना बड़ा जो ठहरा. कितना छोटा देश है उसका अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि जनसंख्या 60 लाख के अल्ले-पल्ले. अपना दिल्ली 3 करोड़ से ऊपर है तो गुणा-गणित लगा लीजिए. चलिए, परिचय हो गया अब इनकी उपलब्धि बताते.

Norway: electric cars outnumber petrol for first time in history but how
सांकेतिक तस्वीर

नॉर्वे में आज की तारीख में 28 लाख प्राइवेट कारें रजिस्टर हैं. इनमें इलेक्ट्रिक कारों की संख्या 754,303 और पेट्रोल की है 753,905. मतलब ईवी आगे निकल गया. वैसे अभी भी 10 लाख से ज्यादा कारें डीजल वाली हैं मगर वो पुरानी हैं. गुजरे अगस्त में नॉर्वे में जितनी कारें रजिस्टर हुईं, उनमें से 94.3 फीसदी इलेक्ट्रिक थीं.

क्या बात-क्या बात. बजाओ ताली! क्या ही उपलब्धि है! लेकिन सवाल ये कि आखिर ऐसा हुआ कैसे, जो पूरा नॉर्वे इलेक्ट्रिक कारों का दीवाना हो गया? क्या अपने मस्क भाई की Tesla वहां कौड़ियों के भाव मिल रही है, या करंट कहीं और से आ रहा है? इसका जवाब है नॉर्वे का असल परिचय.

नॉर्वे-नेचुरल गैस और तेल

नॉर्वे नेचुरल गैस का दुनिया में चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है. उससे आगे अमेरिका, रूस और कतर ही हैं. बात करें crude oil की वो दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक देश है. मतलब नेचुरल गैस और क्रूड ऑइल की इस देश में कोई कमी नहीं है. नॉर्वे नेचुरल गैस और क्रूड ऑइल का तकरीबन पूरा हिस्सा ही निर्यात करता है. मतलब दुनिया के लिए सबसे जरूरी प्रोडक्ट का अथाह भंडार और उसका भी पूरा निर्यात. नॉर्वे ने इससे होने वाली कमाई को ही इलेक्ट्रिक कारों के प्रमोशन में लगा दिया.

माने भर-भरकर सब्सिडी. कार की कीमत पर 25 फीसदी, रोड टैक्स पर 50 फीसदी, चार्जिंग स्टेशन लगाने पर 20 फीसदी टैक्स में छूट. इतना ही नहीं, वहां इलेक्ट्रिक कारों के लिए बाकायदा सेटअप बनाया गया है. पूरे देश में चार्जिंग स्टेशन का तगड़ा नेटवर्क डेवलप किया गया है. कई जगह तो पेट्रोल पंप हटाकर चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं. पुरानी कारों को स्क्रैप करने पर भी सरकार मोटा इन्सेनटिव दे रही है.

इतना ही नहीं, बल्कि पेट्रोल पर तगड़ा टैक्स लगाया गया है. आज की तारीख में वहां एक लीटर पेट्रोल का दाम 2.15 डॉलर मतलब 180 रुपये है. ये उस देश की बात हो रही जो खुद इसका उत्पादन करता है. जाहिर सी बात है कि सरकार इलेक्ट्रिक कारों में ही अपने भविष्य की रफ्तार देख रही है. नॉर्वे ने साल 2025 तक अपने आपको पूरी तरह से इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन वाहनों वाला देश बनाना है. लगता है कि ये उसके पहले ही ऐसा कर लेंगे. हालांकि एक दूसरा और बड़ा देश एकदम इसके उलट सोच रखता है. क्यों और कैसे वो आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं

दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Toyota इलेक्ट्रिक कार नहीं बनाना चाहती, वजह दिमाग घुमा देगी!

Norway: electric cars outnumber petrol for first time in history but how
Tesla Y Model 

बढ़िया स्ट्रैटजी मगर एक मगर अभी भी बचा है. इस देश में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में सबसे बड़ा नंबर Tesla Model Y का है. कुल कारों की बिक्री का 23 फीसदी. एक किस्म की बादशाहत क्योंकि अगर इस मॉडल की एक महीने में 1747 कारें बिकी तो वहीं Hyundai और Nissan की सिर्फ 200-200 यूनिट. मॉडल Y का दाम वहां मोटा-माटी 34 हजार Euro है तो Nissan 20 हजार यूरो के आसपास. मगर जलवा Tesla का ही है. वैसे टेस्ला ने वहां अपना तगड़ा चार्जिंग नेटवर्क बनाया है. शायद ये भी एक वजह हो ज्यादा बिक्री की. या फिर…

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