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अब ठग भी महंगाई से परेशान! लाखों छोड़ 5 हज़ार में टावर लगवा रहे हैं

साइबर ठगों ने स्कैम करने के लिए मोबाइल टावर (mobile tower scam) लगाने वाला तरीका एक बार फिर से अपनाया है. मगर इस बार कोई कॉल नहीं किया जा रहा. कोई मेल या मैसेज भी नहीं भेजा जा रहा. कागज पत्री वाला देसी तरीका और रकम...

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मोबाइल टावर स्कैम फिर आ गया
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सूर्यकांत मिश्रा
12 जून 2025 (Published: 08:17 AM IST) कॉमेंट्स
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ऐसा क्यों लग रहा है कि साइबर ठगों के पास ठगी के नए आइडिया की कमी हो गई है. एक बार फिर पुराने से भी पुराने तरीके का इस्तेमाल करके लोगों से पैसे लूट रहे हैं. लेकिन ठग तो ठग हैं. सब पुराना रखेंगे तो कौन ही जाल में फंसेगा इसलिए इस बार ठगी की रकम में खेल किया गया है. ना, वैसा नहीं जैसा आप शायद समझ रहे. इस बार रकम लाखों या करोड़ों में नहीं बल्कि कुछ हजारों में मांगी जा रही. रकम इतनी कम है कि लोग विश्वास करके दे भी रहे हैं. बताते हैं कैसे.

दरअसल साइबर ठगों ने स्कैम करने के लिए मोबाइल टावर (mobile tower scam) लगाने वाला तरीका एक बार फिर से अपनाया है. मगर इस बार कोई कॉल नहीं किया जा रहा. कोई मेल या मैसेज भी नहीं भेजा जा रहा. कागज पत्री वाला देसी तरीका और रकम...

मोबाइल टावर वाली धोखाधड़ी

साइबर ठग पहले भी बढ़िया किराया देने के बदले घर की छत या खाली जमीन पर मोबाइल टावर लगवाने का लालच देते रहे हैं. मगर ऐसा करने के लिए जो डिपॉजिट की रकम मांगी जाती थी, वो बहुत होती थी. लाखों रुपये ठग लिए जाते थे. मगर अब ऐसा नहीं है. मोबाइल टावर लगाने के लिए महज 5000 रुपये मांगे जा रहे हैं.

इतना ही नहीं, इसके लिए सरकारी जैसा लगने वाला लेटर या नोटिस भी भेजा जा रहा है. माने एक तो डिपॉजिट के लिए बहुत कम पैसे की मांग, ऊपर से कागज पत्री वाला सिस्टम. ठगों के द्वारा ऐसा लेटर भेजा जाता है, जो सरकारी आदेश की तरह नजर आता है. इसकी भाषा भी बिल्कुल सरकारी दस्तावेज के जैसे लगती है. पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी किसी आदमी या एजेंसी का अकाउंट नंबर नहीं बल्कि वकील के नाम का इस्तेमाल होता है. जाहिर सी बात है कि आदमी गच्चा खा ही जाएगा.  

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इसके साथ ही फर्जी टेलिकॉम कंपनी की तरफ से एक व्यक्ति को नौकरी देने का भी वादा भी किया जाता है. यही वजह है कि लोग आसानी से इन ठगों के जाल में फंस जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. ये सब फर्जी है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि TRAI मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई लेटर या NOC जारी नहीं करती है. दूरसंचार विभाग (DoT) भी कई बार मोबाइल टावर लगाने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के बारे में आगाह कर चुका है.

PIB फैक्ट चेक
PIB फैक्ट चेक

न्यूज एजेंसी PIB फैक्ट चेक ने ऐसे पत्रों को फर्जी बताते ठगों से सावधान रहने की सलाह दी है. मोबाइल टावर एक तयशुदा प्रोसेस और दुनियाभर की मंजूरियों के बाद लगते हैं. इसलिए 5000 या 50 हजार वाले लालच से दूर रहें. 

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