अकाउंट में लंबे वक्त तक लेन-देन नहीं किया? नुकसान जानकर सीधा बैंक भागेंगे
डेड अकाउंट, यानी लंबे वक्त से इस्तेमाल नहीं हुए बैंक खाते को बंद करा देना ही फायदे का सौदा है.

जिंदा हाथी लाख का, मरा सवा लाख का. बचपन से सुन रहे इस कहावत का भावार्थ है- किसी चीज की कीमत या अहमियत उसके अपने पास होने से पहले और उसके दूर जाने के बाद ही पता चलती है. ये बात बैंक में खाली पड़े अकाउंट पर कुछ-कुछ फिट बैठती है. ऐसे खातों को डेड अकाउंट भी कहा जाता है. कई लोग किसी वजह से अपने बैंक खातों को ऑपरेट करना बंद कर देते हैं. मतलब उनमें पैसा डालना और निकालना छोड़ देते हैं. उन्हें बंद कराने की जहमन नहीं उठाते. ये सोचकर कि खाली खाते की कीमत ही क्या है.
लेकिन हुजूर-ए-वाला, आपका ये सोचना खतरनाक हो सकता है. ये आपके साथ 'हम तो डूबेंगे सनम और तुम्हें भी ले डूबेंगे' वाला खेल कर सकता है. आज बताएंगे कि डेड अकाउंट को बंद कराना क्यों जरूरी है और ऐसा ना करने पर क्या-क्या हो सकता है.
मल्टीपल बैंक अकाउंट क्यों होते हैं?आमतौर पर इसके तीन प्रमुख कारण हो सकते हैं. पहला, आपने अलग-अलग कंपनियों में नौकरी की इसलिए आपके पास कई सारे सैलरी/सेविंग अकाउंट हो गए. दूसरा, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मिलने वाले ऑफर्स. जैसे फलां अकाउंट पर इतना ब्याज और भतेरे पॉइंट वाला डेबिट कार्ड. तीसरा, आपके दोस्त, यार, मित्र, सखा या रिश्तेदार किसी बैंक में काम करते हों तो उनका दवाब. इसके अलावा भी कुछ है तो आप हमें जरूर बताइए. तब तक हम आपको डेड अकाउंट के नुकसान बता देते हैं.
# ज्यादातर बैंक अकाउंट में एक मिनिमम बैलेंस रखना ही पड़ता है. ये 1 हजार रुपये से 25 हजार रुपये के बीच हो सकता है. अब अगर डेड अकाउंट है तो एक तो इतना पैसा आपका बेकार पड़ा रहेगा. जो आपने मिनिमम बैलेंस या 'एवरेज क्वार्टरली बैलेंस' मेंटेन नहीं रखा तो बैंक आपसे जुर्माना वसूलेगा वो अलग. एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई. क्या मुसीबत है भाई.
# कई बैंक अकाउंट पर सालाना कुछ फीस चार्ज करते हैं. वैसे तो ये कुछ सौ रुपये होती है, लेकिन होती तो है. इसके साथ डेबिट कार्ड की वार्षिक फीस भी लगती है. आप भले एटीएम का पिन भूल जाएं लेकिन फीस का मीटर चलता रहता है.
# अब डेड अकाउंट है तो साल भर बाद एटीएम बंद हो जाएगा. इंटरनेट बैंकिंग, फोन बैंकिंग भी बंद हो ही जाएंगे. कहने का मतलब एक एक्स्ट्रा एंट्री बनी रहेगी आपकी लाइफ में जिसका कोई मतलब नहीं होगा. अगर उसमें पैसा हुआ तो बिना ब्रांच विजिट किए निकलेगा भी नहीं.
# आलसी, लापरवाही या फिर क्या करना बैंक अकाउंट ही तो है, अगर ऐसे किसी बहाने की वजह से आपने सालों अकाउंट का इस्तेमाल नहीं किया तो वो बैंकिंग की भाषा में डॉरमेट्री हो जाएगा. आसान भाषा में कहें तो निष्क्रिय. लेकिन पेनल्टी लगती रहेगी जिनका जिक्र हमने ऊपर किया.
# अकाउंट आपके लिए डेड है, लेकिन साइबर अपराधियों और ठगों के लिए नहीं. वो इसका फायदा उठा सकते हैं. किसी अवैध लेन-देन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. हां कानूनी पचड़ा आपके माथे आएगा.
इसलिए भलाई और समझदारी इसी में है कि अगर अकाउंट की जरूरत नहीं तो उसको पूरी तरीके से बंद कर दिया जाए. एक बार ब्रांच जाने से ये काम हो जाएगा. इससे एक छिपा हुआ फायदा और है. सरकार और अर्थशास्त्रीयों को सही आंकड़े जुटाने में मदद मिलती है.
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