पृथ्वी शॉ पर चढ़ बैठे ट्रोल्स को ये जरूर पढ़ना चाहिए
अरे वही, सचिन-सहवाग-लारा वाले लोग.
Advertisement

Prithvi Shaw.. सेंचुरी से शुरुआत करने वाला ओपनर, जो दो पारियों में फेल क्या हुआ... लोग टूट पड़े ( एपी, फाइल फोटो)
उसमें थोड़ा सा सचिन है. थोड़ा सा सहवाग और जब वह चलता है... उसमें थोड़ा सा लारा भी है.रवि शास्त्री. टीम इंडिया के हेड कोच ने ये बात पृथ्वी शॉ के लिए कही थी. पृथ्वी शॉ, टीम इंडिया के ओपनर. साल 2018 में टेस्ट डेब्यू किया था. डेब्यू मैच में ही सेंचुरी मारकर खूब तारीफें भी बटोरी थी. इससे पहले शॉ अपने रणजी ट्रॉफी और दिलीप ट्रॉफी डेब्यू में भी सेंचुरी मार चुके थे. उनसे पहले यह कारनामा सिर्फ सचिन तेंडुलकर ही कर पाए थे. शॉ की कप्तानी में भारत अंडर-19 वर्ल्ड कप भी जीत चुका है. साल 2018 में शॉ को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने पांच ब्रेकआउट स्टार्स में से एक चुना था. नवंबर 2013 में हैरिस शील्ड के एक मुकाबले में शॉ ने 546 रन मारे थे. यह साल 1901 के बाद से किसी भी तरह की ऑर्गनाइज क्रिकेट का सबसे बड़ा स्कोर है. यह सब बातें हम आज क्यों कर रहे हैं? क्योंकि एडिलेड में चल रहे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2020-21 के पहले टेस्ट में शॉ सिर्फ चार रन बना पाए. टेस्ट की पहली पारी में ज़ीरो और दूसरी पारी में चार रन. दोनों पारियां मिलाकर शॉ ने कुल छह गेंदें खेलीं. ऐसा प्रदर्शन निश्चित तौर पर आलोचना के योग्य है. इतने जरूरी टूर पर आप ना रन बना पा रहे हैं, ना गेंद पुरानी कर पा रहे हैं. ड्रेसिंग रूम में शुभमन गिल और ऑस्ट्रेलिया के किसी होटल में रोहित शर्मा बैठे हैं. ऐसे में सवाल तो उठेंगे. उठ भी रहे हैं. मैंने खुद कई सवाल कर डाले. शॉ को टीम में लेने वाले कोहली भी कहीं ना कहीं इन सवालों का ताप सह रहे होंगे.
# विक्टिम हैं शॉ
हो सकता है कि शॉ को अगले टेस्ट से बाहर भी कर दिया जाए. लेकिन क्या ये सही होगा? शॉ के साथ यह व्यवहार उचित माना जाएगा? मुझे नहीं लगता. इसके पीछे तमाम बातें हो सकती हैं लेकिन मैं इस आर्टिकल की पहली लाइन पर जाना चाहूंगा. सचिन, सहवाग, लारा. रवि शास्त्री को शॉ में यह तीनों दिखते हैं. ट्रोल्स इसी लाइन को लेकर शॉ का मजाक उड़ा रहे हैं. तो क्यों ना हम सचिन, सहवाग, लारा और शॉ के टेस्ट करियर की पहली नौ पारियों की तुलना कर लें. शुरुआत सचिन तेंडुलकर से. सचिन की पहली नौ पारियां ऐसी रही थीं. 15 59 8 41 35 57 0 24 88 सचिन ने अपने पहले टेस्ट की दूसरी पारी में बैटिंग नहीं की थी. ऐसे में हमने उनकी पहली 10 पारियों में से वह नौ पारियां ली जिनमें उन्होंने बैटिंग की. विरेंदर सहवाग की पहली नौ पारियां कुछ इस तरह गई थीं. 105 31 13 20 66 74 84 27 106 इस लिस्ट में सहवाग की वह पहली नौ पारियां हैं जिनमें उन्हें बैटिंग मिली. अब नंबर ब्रायन लारा का. 44 5 17 64 58 0 52 4 277 तीनों दिग्गजों की पहली नौ पारियां देखें तो लारा के नाम तीन सिंगल डिजिट स्कोर हैं. सचिन के नाम दो. सहवाग के नाम एक भी नहीं. लेकिन इन सारी पारियों में सहवाग की आखिरी तीन पारियां निकाल दें तो यह सब मिडिल ऑर्डर में बैटिंग करते वक्त आए. लारा और सचिन ने ताउम्र मिडिल ऑर्डर में बैटिंग की. सहवाग ने लॉर्ड्स 2002 से ओपनिंग शुरू की. इससे पहले वह मिडिल ऑर्डर में खेलते थे. क्या अब सिर्फ क्रिकेटप्रेमी देश की जनता को यह भी बताना होगा, कि ओपन करने और मिडिल ऑर्डर में बैटिंग करने में क्या अंतर है? जिन लोगों की आड़ में 21 साल के शॉ ट्रोल हो रहे हैं, वह मिडिल ऑर्डर में खेलते थे. शॉ ओपन करते हैं. इसके बावजूद उनकी पहली नौ पारियों में सिर्फ दो सिंगल डिजिट स्कोर हैं. यानी सचिन के बराबर और लारा से कम.रनों की बात भी कर लें तो सचिन ने पहली नौ पारियों के बाद 327 रन बनाए थे. बिना सेंचुरी के. शॉ के नाम 339 रन हैं, एक सेंचुरी के साथ. लारा के 277 रन की पारी हटा दें तो उनके नाम बचते हैं 244 रन. बचे सहवाग, जो अपनी पहली नौ पारियों में दो सेंचुरी मार चुके थे. ये तमाम चीजें साफ बता रही हैं कि शॉ गलत ट्रैक पर नहीं हैं. बेहद छोटी उम्र से वह खुद को प्रूव करते आ रहे हैं. हां, ठीक है न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में उनके आंकड़े इतने प्रभावी नहीं हैं. लेकिन दुनिया जानती है कि इन पिचों पर बैटिंग आसान नहीं होती. यहां बड़े-बड़े दिग्गजों के पसीने छूट जाते हैं. इन पिचों पर शॉ ने अभी सिर्फ छह पारियां खेली हैं. ऐसे में हमें निश्चित तौर पर धैर्य से काम लेना होगा. पृथ्वी के पास टैलेंट बहुत है, बस उन्हें सपोर्ट की जरूरत है. और अगर टीम मैनेजमेंट उन्हें सपोर्ट कर रहा है तो हमें उन दोनों को अपना-अपना काम करने देना चाहिए.When u have someone like Gill & Rahul but u still choose to go with this absolute legend😑#INDvAUS #PrithviShaw pic.twitter.com/ZmoTPLUKDQ
— Harsh Verma (@HarshVe12545655) December 18, 2020