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'उन्हें एक अच्छा ग्रुप...' पुलेला गोपीचंद के साथ विवाद को लेकर क्या बोलीं सायना नेहवाल?

Saina Nehwal की सफलता में उनके कोच Pullela Gopichand का बहुत बड़ा हाथ रहा है. हालांकि, 2014 में सायना ने गोपीचंद एकेडमी छोड़ दी थी. लेकिन वह 2017 में यहां वापस लौट गई थीं.

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सायना नेहवाल ने 2012 लंदन ओल‍ंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. (फोटो-PTI)
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सुकांत सौरभ
17 मई 2025 (Published: 11:12 PM IST)
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सायना नेहवाल (Saina Nehwal). इंडियन बैडमिंटन को वर्ल्ड में एक नई पहचान दिलाने वाली प्लेयर रही हैं. ओलंपिक्स ब्रॉन्ज मेडलिस्ट सायना को यहां तक पहुंचाने में उनके कोच पुलेला गोपीचंद (Pullela Gopichand) का बहुत बड़ा हाथ रहा है. हालांकि, 2014 में सायना ने गोपीचंद एकेडमी छोड़ दी थी. लेकिन वह 2017 में यहां वापस लौट गई थीं. पर दोनों के बीच इस समय कई तरह के विवाद की थ्योरीज चल रही थीं. इसके बारे में सायना ने लल्लनटॉप के साथ इंटरव्यू में विस्तार से बताया.

सायना ने पूरा घटनाक्रम बताया

सायना ने लल्लनटॉप के प्रोग्राम ‘गेस्ट इन द न्यूजरूम’ (Guest in the Newsroom) में पुलेला गोपीचंद के साथ अपने करियर की शुरुआत को लेकर कहा, 

बैडमिंटन में इंटरनेशनल लेवल पर प्रकाश पादुकोण सर के बाद एक लंबा गैप आ गया था. गोपी सर ने 2003 में ऑल इंग्लैंड जीतने के बाद ये डिसाइड किया कि उन्हें कोचिंग करनी है. उन्हें पता था कि कैसे इंटरनेशनल स्टेज पर चैंपियन बनना है. गोपी सर घुटनों में प्रॉब्लम के कारण कोच बन गए. उन्हें एक अच्छा ग्रुप मिल गया. 6-7 लोगों का जिनमें मैं भी शामिल थी.

2014 में सायना ने गोपीचंद की एकेडमी छोड़ दी. वह बेंगलुरु चली गईं. इस पूरे प्रकरण को लेकर बाद में ये कहा गया कि दोनों के बीच विवाद के कारण ऐसा हुआ. साथ ही ये भी कहा गया कि इसके पीछे पीवी सिंधु के प्रति उनका फोकस था. इसे लेकर सायना ने बताया, 

अटेंशन की बात तो ठीक है. क्योंकि अपकमिंग प्लेयर थीं वो तो काफी लोग ये बातें तो करेंगे ही. पर कितनी बार उन्होंने मुझे हराया भी है. अगर सिचुएशन देखी जाए, तो उन्होंने मुझे आज तक सिर्फ एक बार हराया है. तब मैं घुटने की इंजरी से रिकवर होकर लौटी थी. 2007 इंडिया ओपन में. वो भी 8-9 बार में. यानी 9-1 हेड-टू-हेड. मैं ये कहना चाह रही हूं कि उनके कारण से मैं हटी ये सही नहीं है.

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इसके बाद सायना ने वहां से हटने की असली वजह बताई. सायना ने कहा, 

मैं बहुत कॉम्पी‍टिटिव थी. मैं ये कैसे ले लेती कि 8 वर्ल्ड चैंपियन मेडल मैं नहीं जीत सकी. वो भी तब जब मैं उस लेवल पर खेल रही थी. क्या 9वीं बार भी मैं हारने के लिए तैयार थी. इसलिए मुझे मूव करना पड़ा. पर बाहर जो चर्चा चल रही थी. वो मुझे पता है. शायद मैं बाहर होती तो मैं भी यही सोचती. पर उस समय तक उसको भी एक ही वर्ल्ड चैंपियनश‍िप मेडल आया था. 2013 में ग्वांगझू में. लोग ये नहीं सोच रहे हैं कि मैं एक साल में नंबर 2 से 9 नंबर पर चली गई थी.'

हालांकि, 2017 में वह वापस पुलेला गोपीचंद की एकेडमी में लौट गई थीं. बताते चलें कि सायना नेहवाल ने देश को वर्षों तक गौरवान्वित किया. वह देश के करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा रही हैं. खासकर यंग शटलर्स के लिए. उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इ‍ि‍तहास रच‍ दिया था. सायना वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी दो मेडल जीती हैं. साथ ही उबर कप में भी पदक जीतने वाली टीम का भी वो दो बार हिस्सा रही हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स में सायना ने पांच मेडल्स जीते हैं. इनमें तीन गोल्ड हैं. वहीं एशियन गेम्स में भी उनके नाम दो मेडल्स हैं. 

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