दर्शकों पर ईंट फेंकने वाला पेसर, जिससे विवियन रिचर्ड्स भी डरते थे!
कहानी हेलमेट फाड़ने वाले सिल्वेस्टर क्लार्क की.
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Sylvester Clarke का लोगों में खौफ था (गेटी फाइल)
फ़ैन्स. जिनके मन की बात सब नहीं समझ सकते. ऐसा हम नहीं शाहरुख ने कहा था, अपनी पिच्चर फ़ैन में. इसी पिच्चर में शाहरुख ने शाहरुख को यह चेतावनी भी दी थी कि गौरव यानी फ़ैन है, तभी आर्यन यानी सुपरस्टार है. और आज का हमारा क़िस्सा कुछ हद तक इसी फिल्म जैसा है. इसमें स्टार है, फ़ैन हैं और है एक ईंट. जो जाकर गिरी थी एक सर पर, सर किसका और ईंट किसकी? ये भी बताएंगे, थोड़ा धैर्य रखिए. पहले शुरू से शुरू करते हैं.
विवियन रिचर्ड्स. स्टीव वॉ, ग्राहम गूच, ज़हीर अब्बास, डेविड गॉवर... ये वो नाम हैं जिन्होंने सालों तक गेंदबाजों को डराया है. हजारों रन बनाए और कई दफा तो पूरे डॉमिनेशन के साथ पूरी बोलिंग लाइनअप को परेशान किया. लेकिन इन तमाम नामों में सिर्फ यही एक चीज कॉमन नहीं है. इनमें एक और बात कॉमन है. ये डरते थे. एक बोलर से. वो बोलर जिसके बारे में रिचर्ड्स खुलकर कहते थे कि ये इकलौता बोलर है जिसके सामने मुझे दिक्कत होती है.
और ये वही बोलर था जिसकी एक गेंद ने गूच के हेलमेट को बीच से चीर दिया था. जबकि अब्बास के हेलमेट पर यह इतनी जोर से लगा कि हेलमेट तीन इंच गहरे धंस गया. इसी बोलर की एक गेंद पर गॉवर की पैडिंग और थंबगार्ड के साथ अंगूठे का एक बड़ा हिस्सा लगभग थर्ड स्लिप में जा गिरे. साइमन ह्यूज ने इसकी सिर्फ तीन गेंदें खेलीं. और तीसरी गेंद पर जो हुआ उसके बारे में रिटायर होने के बाद ह्यूज ने लिखा था,
'मनुष्य द्वारा बनाए गए दो मिलीमीटर फाइबर जितने क़रीब से मैं मरने से बचा.'जबकि स्टीव वॉ का क़िस्सा अलग ही है. ये बोलर जिसे दुनिया सिल्वेस्टर क्लार्क के नाम से जानती है, सालों तक सरी के लिए काउंटी क्रिकेट खेला था. और वॉ की बुरी याद ऐसे ही एक मैच से है. जब वह समसेट की ओर से खेलते थे. सरी के खिलाफ मैच से हफ्ते भर पहले ही वॉ को अपनी टीम में बिखराव दिखने लगा था. ड्रेसिंग रूम में मैच की तैयारी करते प्लेयर्स के चेहरे पर मुर्दा शांति पसरी थी. और फिर जब वॉ की बैटिंग आई, तो उन्हें पता चला कि यहां पितृदेव संरक्षणम् भी किसी काम नहीं आने वाला. द गार्डियन के मुताबिक वॉ ने बाद में इस अनुभव के बारे में कहा था,
'यह मेरे करियर का सबसे अजीब और बुरा स्पेल था. यह कुछ ऐसा था जिसकी आप तैयारी नहीं कर सकते. यह शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का उत्पीड़न था और जैसे ही आप कमजोर पड़ते हैं और सोचने लगते हैं कि अब क्या होगा, आप या तो आउट हो जाते हैं और या फिर चोटिल.'# Sylvester Clarke Brick Story यहां तक आने के बाद आपको लग रहा होगा कि ये सब माया है. मैं जो कुछ भी बोल रहा उसमें सच्चाई कम और फिक्शन ज्यादा है. क्योंकि शायद आपने अभी तक सिल्वेस्टर क्लार्क की क्रिकइंफो प्रोफाइल देख ली होगी. सिर्फ 11 टेस्ट और 10 वनडे. ये भी कोई प्रोफाइल है महराज! इससे ज्यादा तो ऐवरेज प्लेयर भी खेल जाता है. फिर ये धाकड़ प्लेयर इतना कम क्यों खेला? इस सवाल का जवाब भी है हमारे पास. दरअसल सिल्वेस्टर उस दौर में क्रिकेट खेलते थे जब वेस्ट इंडीज़ के पास एक-दो या तीन नहीं... पांच-पांच खूंखार पेसर थे. एंडी रॉबर्ट्स, कॉलिन क्राफ्ट, जोएल गार्नर, मैल्कम मार्शल और माइकल होल्डिंग. और इनके होते हुए सिल्वेस्टर का हाल अमोल मुज़ुमदार जैसा था. टैलेंट की कोई कमी नहीं, लेकिन- जगह कहां है? हां, तो अब बारी उस क़िस्से की. जिसे शुरू में बताकर मैंने आपको इतनी देर फंसाया. बात 1980-81 की है. वेस्ट इंडीज़ की टीम पाकिस्तान टूर पर थी. चार टेस्ट मैच की सीरीज के तीन मैच निपट चुके थे. मेहमान टीम 1-0 की लीड के साथ मुल्तान पहुंची. यहां 30 दिसंबर को पहला टेस्ट शुरू हुआ. वेस्ट इंडीज़ की टीम पहली पारी में 246 पर सिमट गई. लेकिन जवाब में पाकिस्तान की शुरुआत भी गड़बड़ाई. और इस गड़बड़ाने की शुरुआत हुई सिल्वेस्टर द्वारा. सिल्वेस्टर ने शफ़ीक अहमद और सादिक़ मोहम्मद की ओपनिंग जोड़ी को अकेले ही निपटा दिया. मैच के दूसरे दिन मुल्तान की जनता बेचैन हो गई. और बेचैनी में लोग क्या करते हैं? कुछ ऐसा जिस पर बाद में पछतावा हो. मुल्तान की जनता ने भी ऐसा ही किया. और ऐसा करने में उनकी प्रेरक बनी कराची की पब्लिक. वही पब्लिक जिसने वेस्ट इंडीज़ के प्लेयर्स के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए उन्हें फल खाने को दिए थे, वो भी चलते मैच में, उनकी पीठ पर फेंककर.
हालांकि कम तो मुल्तानी भी नहीं थे. उन्होंने मैच के पहले ही दिन विंडीज़ के चेंजिंग रूम पर हमला किया था. लेकिन अब बात बढ़ने जा रही थी. और इस बढ़ती बात में सिल्वेस्टर फाइन लेग पर फील्डिंग कर रहे थे. और तभी एक संतरा आकर उनकी पीठ पर लगा. और इस संतरे से चोट भले ना लगी हो लेकिन इसने सिल्वेस्टर के धैर्य की मटकी चकनाचूर कर दी. सिल्वेस्टर काफी देर से खुद पर पड़ रही चीजें देख रहे थे. क्राउड लगातार उन पर तमाम तरह की चीजें फेंक रहा था. और इनमें हार्ड रॉक बोले तो पत्थर से लेकर सूफी सॉफ्ट संतरे तक शामिल थे. और फिर जब ये संतरा सीधे सिल्वेस्टर पर लैंड हुआ तो सिल्वेस्टर ने पलटवार की सोची. और गुस्से में बाउंड्री मार्क करने के लिए रखी ईंट को फ़ैन्स की ओर उछाल दिया. और ये उछली ईंट जाकर गिरी 22 साल के शफ़ीक़ अहमद के सर पर. पेशे से छात्र शफ़ीक़ का सर फट गया. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां सर्जरी के बाद उन्हें थोड़ा आराम पहुंचा. हालांकि इस सर्जरी से पहले मुल्तान में हालात बिगड़ चुके थे. पहले से चिढ़ी जनता अब बेकाबू हो रही थी. और इन हालात में मैच को 20 मिनट के लिए रोककर माहौल ठंडा करने की कोशिश की गई.Sylvester Clarke would have been 64 today. What a great man.
Is there anybody that follows us here that faced him in his pomp?!#3Feathers pic.twitter.com/cVCCQ4F2SJ — Surrey Cricket (@surreycricket) December 11, 2017
और इसमें विंडीज के दिग्गज एल्विन कालीचरण का बड़ा रोल था. कालीचरण ने फाइन लेग की ओर जाकर घुटनों के बल बैठकर लोगों से शांत होने की अपील की. और उनकी इस अपील के बाद लोग माने और फिर मैच शुरू हो पाया. मैच के बाद विंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने इस घटना पर कहा,🔥 Nobody liked facing Sylvester Clarke.
How do you think you would have fared against that kind of pace? WATCH IN FULL ➡️ https://t.co/5MTxUn8PS4 pic.twitter.com/FkqsiPNx0H — Surrey Cricket (@surreycricket) January 8, 2021
'यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. मुझे नहीं पता कि क्या आजकल गलत तरह के लोग खेल देख रहे हैं. खुद पर आ रहे पत्थरों से क्लार्क की आंख जा सकती थी. उसे इसका अफसोस है. हम सभी को इसका अफसोस है. लेकिन भले ही लोग हमें कितना भी उकसाएं, हमें अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए.'इस घटना के बाद सिल्वेस्टर क्लार्क और विंडीज के मैनेजर जैकी हेंड्रिक्स ने अस्पताल जाकर शफ़ीक़ से मुलाकात कर माफी मांगी. हालांकि इसके बाद भी क्लार्क पर तीन मैच का सस्पेंशन लगा. और इस घटना के बाद वह वेस्ट इंडीज़ के लिए सिर्फ एक टेस्ट खेल सके. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1982 में हुए इस टेस्ट के बाद उन्होंने विंडीज़ से विद्रोह कर साउथ अफ्रीका टूर पर गई टीम में खेलने का न्यौता स्वीकार कर लिया. और इसके चलते विंडीज़ क्रिकट बोर्ड ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया. और इस प्रतिबंध के चलते उनका इंटरनेशनल करियर खत्म हो गया. हालांकि इसके बाद भी वह क्रिकेट खेलते रहे. सिल्वेस्टर ने सालों तक इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका में डोमेस्टिक क्रिकेट खेली और अपने फर्स्ट क्लास करियर का अंत 942 विकेट्स के साथ किया. यह विकेट 238 मैच में आए थे. 11 दिसंबर 1954 को बारबडोस में जन्मे सिल्वेस्टर सिर्फ 44 साल की उम्र में 4 दिसंबर 1999 को बारबडोस में ही स्वर्गवासी हो गए.