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तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के नाम को लेकर सुनील गावस्कर ने लगाई ECB की क्लास!

भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली टेस्ट सीरीज के नाम को बदलकर अब तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी किया गया है, इसको लेकर गावस्कर काफी नाराज हो गए हैं.

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Sunil gavaskar, ind vs eng
सुनील गावस्कर भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का नाम बदलने से खुश नहीं है. (Photo-PTI)
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रिया कसाना
22 जून 2025 (Published: 11:36 PM IST)
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जबसे भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज को एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी (Anderson Tendulkar Trophy) का नाम दिया गया है, तबसे कई भारतीय दिग्गज इसे लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. सुनील गावस्कर ने अब इस नाम को लेकर एक और सवाल उठा दिया है.  उनके मुताबिक अगर यही नाम रखना था तो सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का नाम पहले आना चाहिए था.

सुनील गावस्कर ने मिड डे कॉलम में लिखा,

सचिन न केवल भारत के सबसे महान क्रिकेटर्स में से एक हैं, बल्कि वह एंडरसन से उम्र और करियर में भी 12 साल से ज्यादा सीनियर हैं. टेस्ट और वनडे क्रिकेट में रनों और शतकों के मामले में तेंदुलकर का कोई सानी नहीं है.

सुनील गावस्कर ने की अपील 

गावस्कर ने भारतीय फैंस से अपील की है कि वो इसे तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी ही कहें. गावस्कर ने कहा,

एंडरसन टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेने वालों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं और उनका रिकॉर्ड वनडे क्रिकेट में तेंदुलकर जितना अच्छा नहीं है. तेंदुलकर विश्व कप जीतने वाली टीम का भी हिस्सा हैं, जबकि एंडरसन ऐसा नहीं कर पाए हैं. जिमी एंडरसन एक शानदार गेंदबाज थे, लेकिन मुख्य रूप से अंग्रेजी कंडिशंस में. और उनका विदेशी धरती पर रिकॉर्ड तेंदुलकर जितना अच्छा नहीं है. मैं भारतीय मीडिया सहित सभी भारतीय क्रिकेट प्रेमियों से भी आग्रह करता हूं कि वे इसे तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी कहें.

सचिन और एंडरसन का टेस्ट रिकॉर्ड

सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में 200 टेस्ट मैच खेले और इसमें 15,921 टेस्ट रन बनाए. जेम्स एंडरसन ने पिछले साल में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी. उन्होंने 188 टेस्ट मैच खेले. वो टेस्ट में तीसरे सबसे ज्यादा लेने वाले गेंदबाज हैं. उनके नाम 704 विकेट हैं.

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बताते चलें कि ट्रॉफी के विवाद को देखते हुए ECB और BCCI लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए बीच का रास्ता निकाला था. उन्होंने ट्रॉफी का नाम तो एंडरसन-तेंदुलकर ही रखा लेकिन पटौदी परिवार के सम्मान में पटौदी मेडल देने का फैसला लिया है, जो इस सीरीज के विजेता कप्तान को दी जाएगी. यह फैसला तेंदुलकर के कारण हुआ. तेंदुलकर चाहते थे कि पटौदी की विरासत इस सीरीज के साथ जुड़े रहे. उन्होंने ही दोनों बोर्ड्स को तैयार किया.

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