पहला एशेज टेस्ट ढाई दिन में खत्म, गावस्कर ने भारत पर उंगली उठाने वालों को झंझोड़ दिया!
इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी माइकल वॉन उन विदेशी क्रिकेटर्स में शामिल थे जिन्होंने कोलकाता टेस्ट की पिच पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि पिच ‘खराब’ थी. भारत की हार के बाद उन्होंने यह तक कहा कि भारत ऐसी पिच बनाने के बाद ‘हार का हकदार’ था.

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच कोलकाता टेस्ट मैच पिच की वजह से काफी चर्चा में था. इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी माइकल वॉन उन विदेशी क्रिकेटर्स में शामिल थे जिन्होंने कोलकाता टेस्ट की पिच पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि पिच ‘खराब’ थी. भारत की हार के बाद उन्होंने यह तक कहा कि भारत ऐसी पिच बनाने के बाद ‘हार का हकदार’ था.
हालांकि टीम के हेड कोच गौतम गंभीर और पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर इससे सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि पिच में कोई खराबी नहीं थी. अब जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज का पहला टेस्ट भी लगभग ढाई दिन में ही खत्म हो गया तो सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने वॉर्न जैसे पूर्व खिलाड़ियों को बिना नाम लिए ही जवाब दे दिया. उनका कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट मैच जल्दी खत्म हो जाए, तब भी वहां कोई पिच पर सवाल नहीं उठाता, जबकि भारत में ऐसा होने पर बवाल मच जाता है.
सुनील गावस्कर ने पिच पर की बातगावस्कर का यह लेख एशेज के पहले टेस्ट मैच के बाद आया है जो दो ही दिन में खत्म हो गया था. इंग्लैंड ने पहले दिन 172 रन बनाए. वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भी पहले ही दिन नौ विकेट खोकर 123 रन बनाए थे. यानी मैच के पहले दिन 19 विकेट गिरे.
इसके बाद गावस्कर ने भारत के ऑस्ट्रेलियाई दौरे को याद करते हुए बताया कि पर्थ टेस्ट में ऐसा ही कुछ हुआ था. लेकिन तब किसी ने पिच पर कोई सवाल नहीं उठाया. गावस्कर ने मिड डे में लिखा,
पर्थ टेस्ट मैच दो दिन से भी कम समय में खत्म हो गया, जिसमें पहले दिन गिरे 19 विकेट भी शामिल हैं. लेकिन अभी तक पिच की आलोचना का एक शब्द भी नहीं आया है. पिछले साल भी, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्थ में पहले दिन 17 विकेट गिरे थे, और मुझे पिच के बारे में एक भी आलोचना का शब्द याद नहीं आता, क्योंकि उस पर सामान्य से ज़्यादा घास थी.
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अपनी बात जारी रखते हुए इस महान ओपनर ने कहा,
भारतीय अंपायर्स की होती है आलोचनासिडनी में भी यही हुआ था. पहले दिन 15 विकेट गिरे थे. पिछले साल पर्थ में क्यूरेटर ने कहा था, ‘यह पर्थ है, और आपको बाउंस मिलेगा.’ तो यह मान लिया गया. ठीक है… लेकिन जब पिच टर्न लेती है, तो यह क्यों नहीं माना जा सकता कि यह भारत है, और यहां टर्न मिलेगा? अगर आप उछाल की शिकायत करते हैं, तो कहा जाता है कि आप तेज़ गेंदबाज़ी नहीं खेल सकते. भारत में पिच में टर्न मिलने पर यह क्यों नहीं कहा जाता कि आप स्पिन गेंदबाज़ी नहीं खेल सकते?
गावस्कर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में अंपायर्स के गलत फैसलों को ‘ह्यूमन एरर’ बोल दिया जाता है. जबकि भारत में अगर कोई अंपायर ऐसा कर दे तो लोग उनके पीछे पड़ जाते हैं. गावस्कर ने लिखा,
क्या यह वही पुराना सिंड्रोम है जिसमें उनके अंपायरों की गलतियों को मानवीय भूल कहा जाता है, जबकि सब कॉन्टिनेंट के अंपायरों की गलतियों को 'धोखाधड़ी' कहा जाता है? तो इसी तरह, क्या वहां के क्यूरेटरों का कोई एजेंडा नहीं है, जबकि भारत के क्यूरेटरों का है? यह देखकर अच्छा लगता है कि हाल ही में संन्यास लेने वाले हमारे कुछ क्रिकेटर्स एक दिन में 19 विकेट गिरने पर सवाल उठा रहे हैं. तो दोस्तो, अब समय आ गया है कि भारतीय क्रिकेट पर अंगुलियां उठाना बंद करें क्योंकि उसी हाथ की तीन अंगुलियां उनकी तरफ हैं.
आपको बता दें कि गावस्कर अपने इस बयान में अश्विन के बारे में बात कर रहे थे. उन्होंने भी पर्थ टेस्ट मैच के पहले दिन यही कहा था कि एशेज में एक दिन में 19 विकेट गिरना अच्छा क्रिकेट माना जाता है, लेकिन भारत में ऐसा होता तो कुछ और कहा जाता.
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