The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • Subhash Gupte who was accused of misbehaving with a hotel receptionist and never got a chance to say his side of the story and left India forever

एक इनिंग्स में 9 विकेट लेने वाले इंडियन ने छेड़खानी के आरोप पर देश छोड़ दिया था

उसे सफाई पेश करने का मौका भी नहीं मिला.

Advertisement
Img The Lallantop
image: Youtube screengrab
pic
केतन बुकरैत
11 दिसंबर 2020 (Updated: 10 दिसंबर 2020, 05:17 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
साल 1961. इंग्लैंड की टीम इंडिया टूर पर थी. तीन टेस्ट हो चुके थे. 2 बाकी थे. तीसरे और चौथे के बीच 12 दिनों की छुट्टी. क्रिसमस के लिए इंग्लैंड की टीम वापस अपने देश गई हुई थी. चौथा टेस्ट कलकत्ता में खेला जाना था. 30 दिसंबर से.
28 दिसंबर. मैच शुरू होने के ठीक 2 दिन पहले. खबर मिली कि कृपाल सिंह और सुभाष गुप्ते को टीम से निकालकर उनकी जगह इरापल्ली प्रसन्ना को टीम में लाया जा रहा है. ये खबर अचानक ही आई थी. मालूम चला कि ये दोनों चोटिल भी नहीं हुए थे. गुप्ते को उस वक़्त हटाया गया था जब वो बेहतरीन बॉलिंग कर रहे थे. अगला टेस्ट कलकत्ता में होना था और वहां गुप्ते की लेगस्पिन बहुत बड़ा फैक्टर बनने वाली थी.



इंडियन टीम की कप्तानी कर रहे थे नारी कॉन्ट्रैक्टर. उनसे जब बार-बार पूछा गया तो मालूम चला कि कृपाल सिंह और सुभाष गुप्ते को अनुशासन सम्बन्धी वजहों से उन्हें बाहर किया गया है और उनकी उस घटना से जुड़ी सुनवाई होनी थी. कुछ देर बाद भेद खुला. सुभाष गुप्ते और कृपाल सिंह एक ही कमरे में रुके थे. होटल में इंडियन टीम रुकी हुई थी. होटल की रिसेप्शनिस्ट ने इंडियन टीम के मैनेजर से शिकायत की. हुआ ये था कि सुभाष गुप्ते और कृपाल सिंह के कमरे से रिसेप्शनिस्ट के पास एक कॉल आया. जिसने भी फ़ोन किया था, उसने रिसेप्शनिस्ट से पूछा था, "मेरे साथ ड्रिंक्स पे चलोगी?"


 
असल में जब सुभाष गुप्ते को ये बताया गया कि उन्हें टीम से हटाया गया है, उन्हें ये नहीं मालूम था कि असल मामला क्या था. सुभाष गुप्ते को पॉली उमरिगार मिले और उन्हें बताया कि नारी कॉन्ट्रैक्टर सुभाष को ढूंढ रहे हैं. ये वो वक़्त था जब सुभाष को ये मालूम चला था कि उनका दोष क्या है. कृपाल सिंह को पहले ही बताया जा चुका था. कृपाल एयरपोर्ट के लिए निकल चुके थे. सुभाष गुप्ते भागकर उनके पास पहुंचे. कृपाल सिंह ने तुरंत सुभाष से कहा, "तुम्हारा इसमें कोई दोष नहीं है."
एयरपोर्ट पर ही टीम इंडिया के क्रिकेट बोर्ड प्रेसिडेंट मुथैया चिदंबरम मौजूद थे. सुभाष तुरंत उनके पास बात करने पहुंचे. चिदंबरम से उन्होंने कहा, "आपका आरोपी सब कुछ कुबूल करने को तैयार है. मुझे इसमें क्यूं लपेटा जा रहा है?" चिदंबरम ने कहा कि वो गुप्ते से फ़ोन पर बाद में बात करेंगे.
सुभाष गुप्ते का कप्तान: नारी कॉन्ट्रैक्टर
सुभाष गुप्ते का कप्तान: नारी कॉन्ट्रैक्टर

चिदंबरम का फ़ोन कभी भी नहीं आया. इन्वेस्टिगेशन शुरू ही नहीं हुई. असल में पहले ये तय हुआ था कि जब टीम इंडिया कलकत्ता पहुंचेगी तो सुनवाई होगी. लेकिन साथ ही सुभाष उर कृपाल सिंह को ये साफ़ निर्देश मिले थे कि इन्हें कहीं भी ट्रैवेल नहीं करना था. लिहाज़ा ये दिल्ली से कलकत्ता पहुंच ही नहीं सकते थे. सुभाष मुंबई में अपने घर पर इंतज़ार करते रहे. सुनवाई का. लेकिन कुछ हुआ ही नहीं. सीरीज़ भी ख़त्म हो गई. सुभाष गुप्ते को इंडियन टीम से ड्रॉप कर दिया गया था. उन्हें कहानी का अपना पहलू रखने का मौका भी नहीं दिया गया. सुभाष गुप्ते को अगले दो टेस्ट खेलने को नहीं मिले.
इंडिया के अगले टूर के लिए टीम का सेलेक्शन होना था. कैरिबियन टूर. मद्रास में पूरी सेलेक्शन कमेटी, मय कप्तान बैठी हुई थी. गुप्ते के पास कहानी का अपना वर्ज़न तो था लेकिन कोई सबूत नहीं. एक बोर्ड मेंबर ने ये कहा कि अगर उन्होंने कुछ नहीं किया, अगर वो इस प्लान में कतई शामिल नहीं थे तो उन्होंने अपने रूम पार्टनर को रोका क्यूं नहीं? ये सवाल बड़ा था. गुप्ते ने जो जवाब दिया वो छोटा था, "वो बहुत बड़ा आदमी है. मैं कैसे उसे रोक लेता?" बोर्ड मेम्बर्स को इसमें गुप्ते का दंभ और आय-डोंट-गिव-अ-डैम वाली फीलिंग दिखाई दी. गुप्ते को टीम में नहीं लिया गया. कई लोगों का ये भी कहना था कि बोर्ड मेम्बर्स ने पहले ही डिसाइड कर लिया था कि इन दोनों को अगले टूर के लिए नहीं पिक करना है.
149 विकेट. 29.55 का ऐवरेज. वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ़ एक ही इनिंग्स में 9 विकेट लेने वाला 32 साल का सुभाष गुप्ते शायद उस वक़्त इस तथ्य को नहीं जानता था कि वो इंडिया के लिए अपना आखिरी मैच खेल चुका था.
उसे वेस्ट इंडीज़ दौरे के लिए नहीं चुना गया. मगर वो वेस्ट इंडीज़ चला गया. हमेशा के लिए. अपनी पत्नी के पास. सुभाष गुप्ते शादीशुदा थे और उनकी पत्नी त्रिनिदाद में रहती थीं. सुभाष भी ज़्यादातर वक़्त वहीं रहते थे. अब वो उनका परमानेंट एड्रेस बन गया था. इंडिया के लिए एक डोमेस्टिक सीज़न खेला. और फिर वेस्ट इंडीज़ के डोमेस्टिक सर्किट में एक्टिव हो गए. वहां फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला.



 ये भी पढ़ें:

धोनी ने कैच छोड़ा और कोहली ने उनके मज़े ले लिए

स्वघोषित राष्ट्रवादियों, हम पाकिस्तानियों के साथ खेलेंगे, गले भी मिलेंगे

उस साल महाशिवरात्रि को मैंने अपनी ज़िन्दगी का सबसे बेहतरीन क्रिकेट मैच देखा था

जब सब कुछ जानते हुए भी हर्षा भोगले को चुप रह जाना पड़ा

Advertisement