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धोनी के चलते रिटायर होने जा रहे सहवाग को सचिन ने क्या कहकर रोका?

विरेंदर सहवाग को वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने से किसने रोका?

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Virender Sehwag with MS Dhoni
एमएस धोनी के साथ विरेंदर सहवाग.
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पुनीत त्रिपाठी
1 जून 2022 (Updated: 1 जून 2022, 04:37 PM IST) कॉमेंट्स
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क्रिकेट के इतिहास में सबसे आक्रामक बल्लेबाजों में से एक थे विरेंदर सहवाग (Virender Sehwag). फ़ैन्स आज भी उनके बड़े शॉट्स खेलने की अदा को भूल नहीं पाए हैं. सहवाग ने इंडिया को ढेर सारे टेस्ट और वनडे मैच जिताए हैं. अक्टूबर 2015 में सहवाग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा. और इस घटना के कई साल बाद अब सहवाग ने खुलासा किया है कि वो 2008 में ही वनडे इंटरनेशनल्स से संन्यास लेना चाहते थे.

क्रिकबज के शो मैच पार्टी में सहवाग ने बताया कि 2008 की सीबी सीरीज के दौरान एमएस धोनी ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया था. इसी दौरान सहवाग ने वनडे क्रिकेट से रिटायर होने का सोचा. सीबी सीरीज ऑस्ट्रेलिया में हो रही थी और इसमें श्रीलंका भी हिस्सा ले रही थी. इंडिया के पहले चार मैच में सहवाग ने 6, 33, 11 और 14 रन बनाए थे. उनकी खराब फॉर्म को देखते हुए टीम के कैप्टन एमएस धोनी ने उन्हें ड्रॉप कर दिया. सहवाग को ड्रॉप करने के बाद ओपनिंग स्लॉट पर उनकी जगह गौतम गंभीर ने ली. सचिन के साथ गंभीर ने कई यादगार पारियां खेली.

सहवाग ने बताया कि सचिन तेंदुलकर ने उन्हें रिटायर होने से रोका. सचिन ने कहा,

‘ये सिर्फ एक बुरा दौर है. इंतजार करो. इस टूर के बाद घर वापस जाओ और फिर अच्छे से सोच के तय करो कि आगे क्या करना है.’

सहवाग ने इसके बाद इंडिया के लिए लंबे समय तक तीनों फॉर्म्स में अच्छा प्रदर्शन किया. 2011 वर्ल्ड कप में सहवाग ने 47.5 की औसत से 380 रन बनाए थे. इस टूर्नामेंट में उनका स्ट्राइक रेट 122.58 का रहा. बांग्लादेश के खिलाफ उनकी 175 रन की पारी फ़ैन्स अब भी याद करते हैं. दरअसल सहवाग ने ये किस्सा विराट कोहली की खराब फॉर्म पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सुनाया. उनसे पूछा गया था कि क्या विराट क्रिकेट से ब्रेक लेने की सोच रहे होंगे. इस पर सहवाग ने कहा,

‘दो तरह के प्लेयर्स होते हैं. पहले वो, जो चैलेंज पसंद करते हैं और उन्हें उसमें मज़ा आता है. विराट वैसे ही प्लेयर हैं. वो अपने आलोचको को सुनते हैं, और फिर खूब सारे रन बनाकर जवाब देते हैं. दूसरे किस्म के प्लेयर्स को आलोचकों से कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें पता होता है कि उन्हें क्या करना है. मैं ऐसा ही प्लेयर था. मुझे कोई फर्क नही पड़ता था कि कौन मेरे बारे में क्या कह रहा है. मैं सिर्फ खेलकर, रन बनाकर घर लौटना चाहता था.’

बता दें कि इंडिया ने उस ऐतिहासिक सीबी सीरीज के बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराया था. 

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