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बालाजी लाहौर में गेंद फेंकने दौड़ा तो लोग गा रहे थे "बालाजी ज़रा धीरे चलो..."

लक्ष्मीपति बालाजी. टीम इंडिया का स्माइलिंग असैसिन. आज बड्डे है.

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लक्ष्मीपति बालाजी ने पहला वन डे खेला 18 नवंबर 2002 को.
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केतन बुकरैत
27 सितंबर 2018 (Updated: 26 सितंबर 2018, 05:18 AM IST)
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इंडिया वर्सेज़ पाकिस्तान. 24 मार्च 2004. लाहौर. इंडिया ने अपनी बैटिंग में 293 रन बनाये. पाकिस्तान चेज़ कर रहा था. बॉलर गेंद लेकर दौड़ रहा था. सामने थी पाकिस्तानी बैटिंग लाइनअप. और स्टैंड में हल्ला हो रहा था. बॉलर के एक-एक कदम के साथ शोर बढ़ता जा रहा था. मैदान में खड़े फील्डर्स मुस्कुरा रहे थे. अपना दिमाग मैच में लगाये रखने की कोशिश में थे. ये फाइनल मैच था. सीरीज़ 2-2 पर बराबरी पर खड़ी थी. इस मैच को कैसे भी जीतना था. शोर इतना था कि बैट्समैन भी कॉन्सन्ट्रेट करने की कोशिश कर रहा था. बाकी सभी ऐसे लोग जो मैच में डायरेक्टली जुड़े नहीं हुए थे, हंस रहे थे. बॉलर अभी भी दौड़ रहा था. अपने रनअप पर. शोर बढ़ रहा था. "बालाजी ज़रा धीरे चलो, बिजली खड़ी, यहां बिजली खड़ी..."
लक्ष्मीपति बालाजी. तमिलनाडु का मीडियम पेसर. 2002 में इंडियन टीम में दाखिला हुआ. पहला वन डे खेला 18 नवंबर 2002 को. वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़. क्रिस गेल और वॉवेल हाइंड्स ने दम भर मारा. 4 ओवर में 44 रन लुटाये. कोई विकेट नहीं मिला. बालाजी को असली पहचान मिली पाकिस्तान टूर पर. सन 2004. तब जब बालाजी से पाकिस्तान को इश्क़ हो गया. बालाजी की मुस्कान स्टेडियम की बड़ी स्क्रीन पर आती तो लगता था कि मैदान जाग उठा हो. लाहौर वन डे में ही आख़िरी ओवर में शोएब अख्तर की गेंद पर बालाजी ने जो छक्का जड़ा था, वो बालाजी की पहचान बन चुका है. उनके रिटायरमेंट पर होने वाली क्रिकेट विशेषज्ञों की चर्चा हो या फिर इंजीनियरिंग कॉलेज में छुपा के लायी गयी शराब के पेग चल रहे हों, बालाजी के उस छक्के की बात किये बिना सभा स्थगित नहीं हो सकती.
https://www.youtube.com/watch?v=t-3QBUIgtsk
बालाजी यानी वो इंसान जिसने गिव-अप करना नहीं सीखा. जिसे मालूम ही नहीं है कि कब ढील छोड़नी है. वो हमेशा जुटा रहा. इस आस में कि कभी उसका नंबर आएगा. जब आया, उसने भरपूर मेहनत की. अच्छा रिज़ल्ट भी दिया. इंडियन क्रिकेट टीम में आना-जाना लगा रहा. टीम में आते, अच्छा खेलते, लेकिन फिर उसे रेस्ट दे दिया जाता. लेकिन बालाजी कमबैक के बादशाह बन चले. पाकिस्तान का टूर उनका कमबैक था. वहां पाकिस्तानी जनता से उन्हें भयानक प्यार मिला. लेकिन 2008-09 में की वापसी करियर के हिसाब से ज़्यादा बेहतरीन था. 2005 में स्ट्रेस फ्रैक्चर की वजह से उन्हें बाहर जाना पड़ा. तीन साल तक ज़रा सा भी क्रिकेट नहीं. ज़ीरो. लेकिन दिल में टीम में वापसी की आस बरकरार थी.
2008 में बालाजी ने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल में खेला. पहला सीज़न और आईपीएल की पहली हैट-ट्रिक. बालाजी के नाम. मैच में कुल पांच विकेट. उसके बाद बालाजी का कहर बरपा रणजी ट्रॉफी में. कुल 36 विकेट. तमिलनाडु सेमी फाइनल में. नेशनल टीम में वापस बुलाया गया. मुनाफ़ पटेल को चोट लगने पर. सीरीज़ इंडिया हार गयी. अगले टी-20 के लिए बालाजी को बिठा दिया गया. टेस्ट टीम के न्यू ज़ीलैंड में खेलने के लिए बालाजी वापस आये, लेकिन एक भी मैच खेलने को नहीं मिला. तमिलनाडु के लिए कप्तानी संभाली. कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए 2012 में कम रन देते हुए बॉलिंग की. ये सेलेक्टर्स को एक संदेश था. बालाजी अभी चुका नहीं था.
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2008 में बालाजी ने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल में खेला.


बालाजी यानी स्माइलिंग असैसिन. एक आसान, क्विक आर्म ऐक्शन के साथ तेज गेंदें फेंकने वाला बॉलर. क्विकर, बाउंसर और यॉर्कर सभी फेंकने में माहिर. क्रीज़ के कोने से फेंकने वाला बॉलर. और ये सभी बातें बालाजी के आखिरी मैच तक मौजूद रहीं. गेंद को तैराने में माहिर बालाजी, अन्दर और बाहर, दोनों तरफ स्विंग करने में माहिर. शुरूआती रन-अप में जब बालाजी धीरे धीरे गियर लगाते हुए अपने अंगूठे पर हल्का दौड़ते हुए रन-अप तेज़ करता था तो कौन न होगा जिसके मुंह से न निकले "बालाजी जरा धीरे चलो, बिजली खड़ी, यहां बिजली खड़ी..." गलती पाकिस्तानी जनता की नहीं थी. अपना बालाजी था ही फन्ने खान!
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बालाजी यानी स्माइलिंग असैसिन.




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