कप्तान बाद में खोजना, पहले विकेट लेने वाले बोलर लाओ!
BCCI सही कदम कब उठाएगी?
क्रिकेट. गेंद और बल्ले का खेल. गेंदा फेंक तमाशा देख या दिखा पा तो दिखा दे वाला मामला. और गेंद अगर सही से ना पड़े तो फिर तो तमाशा देखने के अलावा कुछ किया भी नहीं जा सकता. और हम लगातार तमाशे ही देख रहे हैं. कभी इंग्लैंड से तो कभी न्यूज़ीलैंड से. हमारे बोलर्स ठीक-ठाक लक्ष्य को भी आसान बना देते हैं.
और आज सिली पॉइंट में बात हमारे बोलर्स के इसी पराक्रम पर. जहां वो किसी भी लक्ष्य का बचाव नहीं कर पा रहे. शुरुआती ओवर्स में प्रेशर बनाकर खुद ही रिलीज़ कर देते हैं. और हम एक और हार का मातम मनाने के लिए अभिशप्त हो जाते हैं.
# विकेट लेने वाले बोलर्स किधर हैं?शुरु करेंगे इसी साल T20I वर्ल्ड कप सेमीफाइनल से. भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 168 रन बनाए. हार्दिक की ताबड़तोड़ पारी निकाल दें तो हम यहां तक भी नहीं पहुंचते. लेकिन फिर भी ठीक है. 168 ठीकठाक स्कोर है. इसे चेज करने के लिए आपको हर ओवर में आठ से ज्यादा रन चाहिए ही होते हैं. फाइनल में हमने देखा ही, कि पाकिस्तान ने इससे कम स्कोर पर भी इंग्लैंड के पसीने छुड़ा दिए थे.
और ये अंतर क्यों आया? क्योंकि पाकिस्तान के पास विकेट लेने वाले बोलर्स हैं. और हमारे पास... दौड़कर स्पिन फेंकने वाले मध्यमगति के तेज गेंदबाज. जो तीन अमावस्याओं में एक बार खतरनाक दीखते हैं. बाकी दिन वह दोनों हाथ से रन लुटाते हैं. और यही ऑकलैंड में भी हुआ.
टॉस हारकर हम पहले बैटिंग करने उतरे. बल्लेबाजों ने अपना काम किया. स्कोरबोर्ड पर 306 रन लगे. ठीक बात है कि आज के जमाने में ये काफी आउटडेटेड स्कोर है. लेकिन फिर भी 300+ चेज करना कभी आसान नहीं होता. और वो भी तब, जब आपने सामने वाली टीम को 20 ओवर में 88 ही बनाने दिए. और साथ में उनके तीन बल्लेबाजों को वापस भी भेज दिया.
यहां से बस दो विकेट और लेने थे. काम बन जाता. लेकिन आपकी विश्वप्रसिद्ध बोलिंग लाइनअप ने इसके बाद ढील छोड़ दी. केन विलियमसन और टॉम लैथम को पहले जमाया गया. और फिर उनसे मार खाई गई.
न्यूज़ीलैंड के आखिरी 18 ओवर्स में 144 रन चाहिए थे. और उन्होंने यह रन 17 गेंद बाकी रहते ही बना डाले. उस वक्त 36 गेंद पर 43 रन बनाकर खेल रहे लैथम 104 गेंदों पर 145 रन बनाकर नाबाद लौटे. शुरुआती तीन विकेट लेने के बाद हमारे बोलर्स एकदम प्रभावहीन दिखे. और बची हुई कसर हमारे मैनेजमेंट ने पूरी कर दी.
गजब सेलेक्शन करते हुए हम सिर्फ पांच बोलिंग ऑप्शन के साथ इस मैच में उतरे थे. यानी किसी भी बोलर का ऑफ-डे होने पर हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं था. आमतौर पर हर टीम पांच से ज्यादा बोलिंग ऑप्शन के साथ जाना पसंद करती है. लेकिन हमारा महान मैनेजमेंट हमारे बोलर्स को गामा पहलवान मानता है, जिनका ऑफ-डे हो ही नहीं सकता.
यही नहीं, अभी और सुनिए. अगर आप वॉशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर को ऑलराउंडर मान लें, तो हम तीन ही स्पेशलिस्ट बोलर्स के साथ गए थे. वर्ल्ड कप में कुछ महीने बाकी हैं. और उससे पहले हम टीम छोड़िए, एक कोर तक नहीं बना रहे. ऐसे ही ओका-बोका करके 15-20 प्लेयर्स चुनते हैं और सीरीज़ खेल आते हैं. और इससे मन नहीं भरता तो हर तीसरे दिन नया कप्तान ले आते हैं. जबकि हमें चाहिए कायदे के बोलर. जो विकेट ले सकें.
क्योंकि अगर आपके बोलर विकेट नहीं ले पाएंगे, तो आप 50 ओवर में चार सौ बनाकर भी हार जाएंगे. और अफसोस की बात ये है कि ये बात हम जैसे बाहर बैठे लोगों को भी पता है, लेकिन हमारे सेलेक्टर और टीम मैनेजमेंट को नहीं. या ऐसा भी हो सकता है कि हम लोग ओवररिएक्ट कर रहे हों. क्योंकि हमारी टीम तो ICC इवेंट्स में झंडे... Wait A Minute! Okay, Sorry, Bye.
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