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हॉटस्पॉट पर कुछ नहीं था, फिर क्यों कैचआउट दिए गए टिम पेन?

अब माइकल क्लार्क को कोस रहे होंगे पेन.

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Tim Paine Out होने से काफी निराश थे, लेकिन इससे Team India के Celebration पर असर क्यों ही पड़ता (एपी फोटो)
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सूरज पांडेय
28 दिसंबर 2020 (Updated: 28 दिसंबर 2020, 07:38 AM IST) कॉमेंट्स
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बॉक्सिंग डे टेस्ट का तीसरा दिन खत्म हो चुका है. टीम इंडिया ड्राइविंग सीट पर बरकरार है. भारत ने पहली पारी में 131 रन की लीड ली थी. इस लीड के बाद भारत ने दिन का खेल खत्म होने तक ऑस्ट्रेलिया के छह विकेट सिर्फ 133 रन पर गिरा दिए हैं. ऑस्ट्रेलिया के पास सिर्फ दो रन की लीड है और उनके चार विकेट ही बाकी हैं. मैच के तीसरे दिन भारतीय गेंदबाज पूरी तरह से कंट्रोल में रहे. ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को पूरी तरह से दबाव में रखा. लेकिन इसी दौरान आए एक फैसले ने खूब चर्चा बटोरी. पारी के 48वें ओवर की बात है. गेंद रविंद्र जडेजा के हाथ में थी. जड्डू के ओवर की चौथी गेंद को पेन ने कट करने की कोशिश की. बॉल उनके बल्ले से होती हुई सीधे ऋषभ पंत के दस्तानों में चली गई. पंत और जडेजा ने जोरदार अपील की लेकिन अंपायर नहीं माने. उन्होंने भारत की अपील सिरे से नकार दी. पंत और जडेजा का आश्चर्य अभी खत्म होता, उससे पहले ही कैप्टन अजिंक्य रहाणे ने DRS का इशारा कर दिया.

# दुख पेन का

ऑफ स्टंप के पास की यह बॉल गिरकर टर्न के साथ बाउंस भी हुई. पेन ने कट करने की पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. विकेट के पीछे पंत ने इसे लपका और फिर रहाणे ने DRS लिया. DRS की शुरुआत में पेन बचते दिखे, क्योंकि हॉटस्पॉट पर कुछ नहीं था. लेकिन स्निकोमीटर पर पता चला कि बॉल और बल्ले का संपर्क हुआ था. बस DRS भारत के पक्ष में रहा. पेन को 99 के टोटल पर जाना पड़ा. सिर्फ एक रन बना पाए पेन, छठे विकेट के रूप में आउट हुए. आउट होने के बाद वह इस फैसले से साफ नाखुश थे. साथ ही लोगों के दिमाग में भी सवाल था. जब हॉटस्पॉट के मुताबिक बॉल और बल्ले का संपर्क नहीं हुआ तो पेन आउट कैसे? इस बात का जवाब जानने के लिए हमें जाना पड़ा साल 2013 में. अरे नहीं, टाइम ट्रेवल वाली मशीन अभी हमारे पास नहीं है. गूगल के जरिए हम वहां गए. और इसमें हमारी मदद की क्रिकइंफो ने.

# जिम्मेदारी क्लार्क की

हमें मिली क्रिकइंफो की 20 नवंबर 2013 की एक रिपोर्ट. इस रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की अपील के बाद ICC ने एक फैसला लिया. इस फैसले के मुताबिक हॉटस्पॉट में कुछ पता ना चलने पर स्निकोमीटर की सहायता ली जाएगी. और इसका फैसला अंतिम होगा. दरअसल 2013 की एशेज सीरीज में कई दफा ऐसा हुआ था जब हल्के-फुल्के ऐज हॉटस्पॉट में दर्ज नहीं हो पाए थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क समेत कई प्लेयर्स ने मांग की थी कि हॉटस्पॉट का प्रयोग ना किया जाए. उनकी इस मांग में हॉटस्पॉट के जनक वारेन ब्रेनन के बयान का भी रोल था. ब्रेनन ने कहा था कि हॉटस्पॉट हर ऐज को नहीं पकड़ पाएगा. इसके बाद ICC, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड, तीनों ने रियल-टाइम स्निकोमीटर के प्रयोग पर सहमति जताई. इस बारे में उस वक्त के ICC के हेड ऑफ क्रिकेट ऑपरेशंस ने ब्रिसबेन में कहा था,
'अगर अंपायर आउट देते हैं और इसका रिव्यू लिया गया, तो थर्ड अंपायर शुरुआत में स्पिन विजन रीप्ले देखेगा और फिर हॉटस्पॉट पर जाएगा. अगर हॉटस्पॉट पर कोई चिन्ह मिला तो यह सीधे आउट होगा. स्निको का प्रयोग तभी होगा जब हॉटस्पॉट पर कोई चिन्ह ना मिले.'
एशेज 2013-2014 में इसके सफल प्रयोग के बाद इसे हर सीरीज में लागू किया गया. किसी ने सोचा नहीं होगा कि कैप्टन क्लार्क जिस टेक्नीक के समर्थन में थे, वो टेक्नीक कैप्टन पेन को दर्द दे जाएगी.

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