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प्रिय गौतम गंभीर जी, पाकिस्तान पर अपना स्टैंड क्लियर ही कर दीजिए!

देश पहले, या खेल?

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Ardent supporter of Pakistan Boycott, Gautam Gambhir is playing LLC with Pakistani Players
पाकिस्तान बॉयकॉट की बात करने वाले गंभीर पाकिस्तानियों के साथ क्यों खेल रहे (स्क्रीनग्रैब)
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सूरज पांडेय
15 मार्च 2023 (Updated: 15 मार्च 2023, 08:16 PM IST) कॉमेंट्स
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'हम सभी को मिलकर तय करने की जरूरत है, कि खेल ज्यादा जरूरी है या फिर हमारे जवानों की जिंदगी? अगर इंटरनेशनल स्पोर्टिंग फेडरेशंस भारत का बहिष्कार करती हैं, तो मैं तमाम ताने सुनने के लिए तैयार हूं. देश की भावनाएं खेल, बॉलीवुड, आर्ट या कल्चर से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.'

तक़रीबन चार साल पहले की बात है. बीजेपी के सांसद टु बी, गौतम गंभीर ने ये बात कही थी. वो ऐसी बातें लगातार करते रहे हैं. पाकिस्तानी प्लेयर्स के साथ के उनके संबंधों को किसी आईने की जरूरत नहीं है. वो शीशे की तरह साफ हैं. क्लीशे हो रहा हो तो सॉरी, माफ कर दीजिए. आगे बढ़ते हैं. हां, तो गौती कमाल के क्रिकेटर रहे हैं.

अभी, 14 मार्च की रात का मैच ही ले लीजिए. रॉबिन उथप्पा खेंच-खेंचकर मार रहे थे. दूसरी ओर गौती भाई अपनी टाइमिंग और प्लेसमेंट से ही कहर ढाए पड़े थे. टाइमिंग और प्लेसमेंट. क्रिकेट के साथ जीवन में भी इनकी बहुत जरूरत है. 2019 का इलेक्शन ही याद कर लीजिए. हजारों लोगों का दावा था कि विरेंदर सहवाग बीजेपी में आ रहे हैं.

लेकिन ये बातें, बस बातें रह गईं. गौती की टाइमिंग और प्लेसमेंट ने उन्हें ईस्ट दिल्ली का सांसद बना दिया. इसमें कोई बुराई भी नहीं है. हर किसी की भावनाएं और महत्वाकांक्षाएं होती हैं. होनी भी चाहिए. लेकिन इन महत्वाकांक्षाओं के लिए आपको झूठ बोलने से बचना चाहिए. और अगर आप नहीं बच पाते, तो आपको मोरल हाई ग्राउंड नहीं लेना चाहिए.

# Gautam Gambhir on Pakistan

क्योंकि जब आप ऐसा करते हैं, तो लोगों को समझ आ जाता है कि आपकी असलियत क्या है. और एक बार असलियत सामने आ जाए, तो फिर आप चाहे जितना लीपें, गंध छिपती नहीं है. लेकिन गौती शायद इसे छिपाना भी नहीं चाहते. तभी तो, जिस बयान से हमने अपनी कथा शुरू की. उसे देने के कुछ ही दिन बाद गंभीर इंडिया वर्सेज पाकिस्तान मैच को प्रमोट कर रहे थे.

इतना ही नहीं, भारत को इस मैच को बॉयकॉट करने की सलाह देने वाले गंभीर इस मैच के दौरान कॉमेंट्री टीम में भी शामिल थे. उन्होंने मैच की कॉमेंट्री भी की. हालांकि इसके बाद भी पाकिस्तान पर उनका स्टैंड नहीं बदला. जिस तरफ की राजनीति वह कर रहे हैं, इसमें बदलना भी नहीं चाहिए. क्योंकि ये बदलाव उन्हें सूट नहीं करेगा.

व्यक्तिगत तौर पर मुझे इससे समस्या भी नहीं है. सबकी अपनी राय होती है, अपनी सोच होती है और अपनी समझ होती है. और अपनी समझ के मुताबिक सब लोग वही करते हैं जो उन्हें ठीक लगता है. ऐसा करना भी चाहिए. लेकिन एक बार जब आप अपनी सोच, समझ और राय दुनिया के सामने जाहिर कर देते हैं. लोगों से उसे फॉलो करने की अपील करते हैं. तो आपको भी तो ऐसा ही करना चाहिए.

और समस्या इसी बात की है. कि गौती ऐसा नहीं कर रहे. पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने की बात आते ही गंभीर का बॉयकॉट कार्ड निकल आता है. और खुद, वह एक प्रदर्शनी लीग में भी पाकिस्तान का बॉयकॉट नहीं कर पा रहे. ना सिर्फ वह पाकिस्तानी प्लेयर्स के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं, बल्कि शाहिद अफ़रीदी के साथ हाथ मिलाते हुए तस्वीरें भी खिंचवा रहे हैं.

दो पॉइंट्स चले जाएं, वर्ल्ड कप से बाहर क्यों ना हो जाएं, जैसी बातें करने वाले गौती बिना महत्व वाले टूर्नामेंट से भी पीछे नहीं हट पा रहे. ये तो ठीक बात नहीं है. क्योंकि आप पाकिस्तानी प्लेयर्स के साथ फील्ड में भिड़कर, बाहर उनके बॉयकॉट की बातें करके तमाम लोगों के हीरो बन रहे हैं. और अपना फायदा देखते ही ये सारी बातें भूल जा रहे हैं. ऐसे कैसे चलेगा गौती जी?

गौतम गंभीर ने हमें दो वर्ल्ड कप जिताए हैं. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता. वह एक कमाल के क्रिकेटर और टैक्टीशियन रहे हैं, इसमें दो राय नहीं है. लेकिन यही गौतम गंभीर अपनी कथनी और करनी में इतना अंतर रख रहे हैं, कि अब हम कन्फ्यूज हैं. किस गौती की तारीफ करें और किसकी आलोचना.

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