DDCA, अरुण जेटली, नेपोटिज़्म को लपेटते हुए बिशन सिंह बेदी बोले- हटाओ मेरे नाम का स्टैंड
DDCA की सदस्यता भी छोड़ दी.
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बिशन सिंह बेदी ने DDCA अध्यक्ष और दिवंगत अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली को ख़त में लिखा- एक अदद गूगल सर्च आपको ये बता देगा कि अरुण जेटली का क्रिकेट में कितना योगदान रहा है. उनके कार्यकाल में काफी अनियमितताएं रहीं. (फोटो- Social Media, PTI)
“मेरे पास इतनी समझ है कि मृतकों के बारे में बुरी बातें नहीं बोलते. और मेरे ख़्याल से आप भी इतने समझदार हैं कि ये समझ सकें कि मेरे और दिवंगत अरुण जेटली जी के संबंध कैसे रहे. जब वो DDCA के अध्यक्ष थे, तो हम कभी एकराय नहीं रहे. वे DDCA को चलाने के लिए जिन लोगों को लेकर आए, मैं हमेशा उनके ख़िलाफ रहा. DDCA के इस अतीत को याद करते हुए मुझे बहुत दुख होता है. लेकिन आज इसका संदर्भ है.”नेपोटिज़्म पर क्या लिखा?
“मैं नहीं चाहता कि एक पीढ़ी की लड़ाई को दूसरी पीढ़ी तक ले जाया जाए. लेकिन जो ग़लत है, उसके लिए स्टैंड लेना भी जानता हूं. फिर ये भी मत भूलिए कि नेपोटिज़्म के ये नुकसान भी होते हैं. आपको उन फ़ैसलों के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, जिनमें आपकी कोई सहभागिता थी ही नहीं. मैं देख रहा हूं कि आपके अध्यक्ष रहते हुए भी DDCA में चापलूसी परंपता जारी है.”बेदी ने लिखा कि जब आनन-फानन में फ़िरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम अरुण जेटली के नाम पर रखा गया, तो वो ये सोचकर चुप रहे कि शायद इसी से स्टेडियम का कुछ भला हो. लेकिन उनके मुताबिक, ऐसा हुआ नहीं. जेटली की प्रतिमा लगाने के प्रस्ताव पर नाराज़गी जताते हुए बेदी ने लिखा,
"मैं चाहता हूं कि तत्काल प्रभाव से स्टैंड से मेरा नाम हटा दिया जाए. मैं DDCA की अध्यक्षता भी छोड़ता हूं. एक अदद गूगल सर्च आपको ये बता देगा कि अरुण जेटली का क्रिकेट में कितना योगदान रहा है. वकील होते हुए आपको भी पता होना चाहिए कि उनके कार्यकाल में कितनी अनियमितताएं रहीं. मुझे बताया गया कि अरुण जेटली अच्छे राजनेता थे. तो ऐसे में उनकेयोगदान को संसद में याद किया जाना चाहिए, न कि क्रिकेट स्टेडियम में.”बिशन सिंह बेदी ने लिखा कि DDCA अध्यक्ष को पता होना चाहिए कि दुनिया के तमाम स्टेडियम्स में महान खिलाड़ियों के पुतले लगाए जाते हैं, न कि राजनेताओं, प्रशासकों के. जैसे कि- लॉर्ड्स के मैदान पर डब्ल्यूजी ग्रेस का, SCG पर सर डॉन ब्रैडमैन का और MCG पर शेन वॉर्न का.