The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • ek kavita roz: 3 poems by gaurav solanki

एक कविता रोज़: दिसंबर और भूलने की कविताएं

आज पढ़िए गौरव सोलंकी की कविताएं.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
लल्लनटॉप
4 जून 2016 (Updated: 4 जून 2016, 08:14 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
गौरव सोलंकी IIT रुड़की से पढ़कर इंजीनियर हुए, लेकिन मन किस्सों-कहानियों और कविताओं में रमा रहा. हिंदी के चर्चित युवा कवियों और कहानीकारों में उनकी गिनती होती है. उनकी कविताओं का शिल्प खुरदुरा है और कलेवर तीखा. सोशल टैबूज पर उनका लिखा पढ़ने लायक है. फिलहाल वह मुंबई में अपने लेखन को विस्तार दे रहे हैं. अनुराग कश्यप की फिल्म ‘अगली’ का गाना ‘निचोड़ दे’ उन्होंने ही लिखा है. आज उन्हीं की कविताएं पढ़िए.

दिसंबर

यह बहुत यक़ीन से न कहो कभी कि कोई ताक़त है अंधेरे में जब लगे भी, तब उठकर पानी का ग्लास लुढ़का दो खिड़की पर कुछ बेमानी कहो अंगूठे से कुचलने की कोशिश करो दीवार रात को होने दो और चिल्लाओ कबूतरों पर, पुचकारो. आकर पलंग पर लेटो घुटने मोड़कर. लेटे रहो. ***

भूलने की कविताएं

1. यह कितनी अजीब सी बात है कि यह वेटर तुम्हें नहीं पहचानता और नहीं पूछता कि कहां हैं वे जिनके साथ आप आते थे उस अक्टूबर लगभग हर शाम वह पूछता है कि पानी सादा या बिसलेरी और तुम कहते हो - सादा, चक्रवर्ती साहब! 2. मुझे फ़ोन फेंककर मारना चाहिए था दीवार पर पर मैंने बाइक बेची अपनी और शहर छोड़कर चला गया हमेशा के लिए तुमने फिर फ़ोन किया बरसात में एक बार हांफते हुए कि वे मार डालेंगे तुम्हें मैं घर बदल रहा था उस दिन, जो बदलता ही रहा मैं बरसों और मैंने कहा कि ताला खोलकर करता हूं मैं फ़ोन तीन चाबियां थीं और एक भी नहीं लग रही थी साली कोई मार डालेगा तुम्हें, ये मुझे रात को याद आया फिर और मैंने फ़ोन मिलाया तुम्हें, जो मिला नहीं फिर कभी भी नहीं फिर मैं भूल गया तुम्हें धीरे-धीरे. ***
सुनिए, कल  वाली कविता पढ़ी थी? एक कविता रोज: 'ये शहर है न मुंबई' आप भी कविता लिखते हैं? डायरी में लिखकर रखेंगे? हमें काहे नहीं भेज देते. हम अपने पाठकों को पढ़ाएंगे. आप भी खुश हो जाएंगे. हमको मेल कर दीजिए lallantopmail@gmail.com पर. हमारी एडिटोरियल टीम को पसंद आई तो यहीं लगी नजर आएगी. एक कविता रोज में.  

Advertisement