ड्रेस, फ्लोर, कोच या फिर पुरानी अदावत, विनेश के सस्पेंड होने की वजह क्या है?
विनेश के सस्पेंशन की पूरी कहानी.
Advertisement
वीवीएस लक्ष्मण. दिग्गज क्रिकेटर. डॉक्टर माता-पिता की संतान लक्ष्मण पढ़ाई में बहुत अच्छे थे. उनके परिवार वाले उन्हें भी डॉक्टर बनते देखना चाहते थे. और उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए लक्ष्मण ने मेडिकल की पढ़ाई में एडमिशन भी ले लिया था. लेकिन फिर उनका मन क्रिकेट में ज्यादा लगने लगा और उन्होंने घरवालों से क्रिकेटर बनने की परमिशन मांगी. जवाब में उनके पिता ने उन्हें एक साल का वक्त दिया. बोले तो फ्री-हैंड. कि एक साल में अगर इंडिया ना खेले तो वापस पढ़ाई में लगना होगा.
इसके बाद क्या हुआ सबको पता है. मगर आज हमें बात वीवीएस लक्ष्मण पर नहीं करनी. विनेश फोगाट पर करनी है. ख़बर आप तक पहुंच ही गई होगी कि स्टार रेसलर विनेश फोगाट को अस्थाई रूप से सस्पेंड किया जा चुका है. उनके इस सस्पेंशन के पीछे अनुशासनहीनता बताई गई है. और विनेश के पूरे मामले को समझने के लिए हमने थोड़ी पढ़ाई की, तो हमें लक्ष्मण की कहानी याद आ गई. पर ऐसा क्यों?
क्योंकि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का दावा है कि उन्होंने भी विनेश को फ्री-हैंड दे दिया था. जहां ट्रेनिंग करनी है, करो. जहां रहना है रहो. जो खाना है खाओ. बस ओलंपिक्स में मेडल ले आना. और अब इतनी सुविधाओं के बाद जब विनेश खाली हाथ लौट आईं, तो वह बिना कहे लक्ष्मण की स्टोरी के दूसरे पहलू में खड़ी हो गईं. और इस आर्टिकल में हम इसी पहलू पर चर्चा करेंगे.
# मामला क्या है?
विनेश फोगाट. अपनी कैटेगरी में दुनिया की नंबर एक रेसलर. टोक्यो ओलंपिक्स में जाते वक्त लोगों को इनसे बहुत उम्मीद थी. ज्यादा जोशीले लोग गोल्ड तो थोड़े रियलिस्टिक लोग इनसे मेडल की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन टोक्यो में विनेश लोगों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाईं और अपने दूसरे ही मुकाबले में हार गईं.
विनेश बिना कोई मेडल जीते भारत लौटीं और इसके कुछ ही दिन बाद, 10 अगस्त की शाम को ख़बर आई कि विनेश फोगाट को अस्थाई रूप से सस्पेंड कर दिया गया है. उन पर अनुशासनहीनता के आरोप लगे. कहा गया कि उन्होंने ओलंपिक्स विलेज में टीम इंडिया के बाकी पहलवानों के साथ ट्रेनिंग करने से मना कर दिया. उनके साथ एक फ्लोर पर रहने से मना कर दिया. अपने मुकाबलों में टीम की ऑफिशल किट नहीं पहनी.
इस मामले में हमने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर से बात की. तोमर ने हमें बताया,
'देखिए बात ये है कि हमारी रेसलिंग वाली लड़कियां 26 को टोक्यो पहुंची थीं. और विनेश एक-दो दिन बाद वहां आई. जब वो गेम्स विलेज में पहुंची तो उसे बाकी लड़कियों के साथ वाले फ्लोर के एक कमरे की चाभी दे दी गई. तो उसने मना कर दिया. बोली कि मैं यहां नहीं रुकूंगी मुझे सबकुछ अलग चाहिए. फिर चीफ कोच ने कहा कि ये मेरे हाथ में नहीं है.आपको अलग चाहिए तो जाकर भारतीय दल के प्रमुख यानी शेफ डे मिशन से बात करिए. उसने शेफ डे मिशन से बात की. इसके बाद उन्होंने विनेश की व्यवस्था 12वें फ्लोर पर की. जबकि रेसलिंग की बाकी लड़कियां 13वें फ्लोर पर थीं, यानी अपनी ही टीम से अलग होने के लिए उसने इतना सब किया.'विनोद ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा,
'इसके बाद जब चीफ कोच ने उसे ट्रेनिंग के लिए बुलाया तो उसने मना कर दिया. वो बोली मैं अपने विदेशी कोच के साथ ट्रेनिंग करूंगी. एक दिन भारतीय टीम और विनेश की ट्रेनिंग का टाइम एकसाथ पड़ गया तो उसने ये टाइम भी चेंज करा लिया.और उसके बाद विनेश ने इंडियन ओलंपिक्स असोसिएशन (IOA) द्वारा सबको दिए गए सिंगलेट (रेसलिंग वाली ड्रेस) को भी नहीं पहना. उसकी जगह वो नाइकी का अपना स्पॉन्सर्ड सिंगलेट पहनकर उतरी. ये IOA के नियमों के खिलाफ था और इसे देखते ही IOA ने हमें नोटिस थमा दिया.'# पहले के विवाद ओलंपिक शुरू होने से पहले विनेश ने रेसलिंग फेडरेशन पर आरोप लगाया था कि वो चार महिला रेसलर्स के लिए एक भी फिजियोथेरेपिस्ट नहीं दे रहा. विनेश ने ट्वीट किया था कि कई गेम्स में एक खिलाड़ी को कई सपोर्ट स्टाफ मिलते हैं और यहां चार लोगों के लिए एक फिजियो नहीं दिया जा रहा. हालांकि विनोद बताते हैं कि विनेश के अपने प्राइवेट कोच और फिजियोथेरेपिस्ट हैं. उन्हें ले जाने की जिम्मेदारी विनेश और उनके स्पॉन्सर्स की थी, फेडरेशन सिर्फ अपने सपोर्ट स्टाफ के लिए जिम्मेदार है. वो ये भी बताते हैं कि ओलंपिक्स में सपोर्ट स्टाफ का कोटा फिक्स होता है. तय लिमिट से ज्यादा लोगों को नहीं ले जाया जा सकता है.
ऐसे में फेडरेशन तो उन्हीं सपोर्ट स्टाफ का नाम देगा जो उनके नैशनल कैम्प के हैं और ज्यादा खिलाड़ियों को केटर करते हैं. उन्होंने बताया कि बजरंग पूनिया ने भी पर्सनल कोच मांगा था लेकिन ये पॉसिबल नहीं था. # कोच का झमेला आपको बता दें कि WFI या IOA की ओर से एक्रेडिटेशन ना मिलने के बाद विनेश के कोच हंगरी के रास्ते टोक्यो पहुंचे थे. हंगरी के रहने वाले वॉलर अकोस हंगरी के ओलंपिक्स दल के साथ टोक्यो गए और फिर वहां उन्होंने विनेश को कोचिंग दी. इस बारे में विनोद ने कहा,Is it a crime to ask for one Physiotherapist for four women wrestlers when there are instances of one athlete having multiple coaches/ Staff? Where is the balance?We have asked for a Physio long back and not at the last moment as reported.@IOA_Official @PMOIndia @ianuragthakur pic.twitter.com/bwbOQfFglo
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) July 22, 2021
'हमने अपनी इंटरनेशनल बॉडी से बात करके विनेश की ट्रेनिंग के लिए अकोस को परमिशन दिला दी थी. यहां तक कि वो विनेश की बाउट के वक्त भी उसके साथ थे. हमने बात करके इसे पूरी परमिशन दिला रखी थी.'विनोद ने यह भी दावा किया कि फेडरेशन ने हर कदम पर विनेश की मदद की. हमेशा उनके साथ खड़े रहे लेकिन इसके बाद भी विनेश ने अपनी मनमानी की. बता दें कि अकोस 2018 के एशियन गेम्स के पहले से विनेश को कोचिंग दे रहे हैं. विनेश के 48kg से 53kg तक आने में वॉलर का बड़ा रोल बताया जाता है. और साल 2021 में तो वॉलर के अंडर विनेश कमाल की फॉर्म में थीं. उन्होंने इस साल जितने भी टूर्नामेंट खेले, सबमें गोल्ड मेडल जीता. लेकिन ओलंपिक में हार के बाद अकोस पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. WFI के प्रेसिडेंट समेत कई लोगों का मानना है कि उनकी वजह से ही विनेश मेडल नहीं जीत पाईं. तर्क दिए जा रहे हैं कि विनेश ने हंगरी में ट्रेनिंग की, जहां उन्हें अपनी वेट कैटेगिरी के पहलवान ही नहीं मिले. विनेश को अकोस की पत्नी के साथ प्रैक्टिस करनी पड़ी, जो कि 62 किलो वर्ग में खेलती हैं. इस बारे में विनोद ने कहा,
'अलग-अलग देश अलग-अलग खेल में आगे हैं. जैसे रूस और अमेरिका रेसलिंग में. हंगरी में ग्रीको-रोमन अच्छा है. वहां के पहलवान मेडल भी लाते होंगे लेकिन फ्री-स्टाइल और लड़कियों की रेसलिंग वहां हल्की है. वहां अच्छे से ट्रेनिंग नहीं हो पाती. और इस बारे में WFI प्रेसिडेंट का भी कहना था कि कोच ने विनेश को हंगरी में रखा. सैलरी यहां OGQ से लेता रहा.अपनी बीवी के साथ प्रैक्टिस कराई और इसका फायदा उसे मिला. उसकी बीवी बहुत अच्छी रेसलर नहीं है फिर भी ओलंपिक्स के लिए क्वॉलिफाई कर गई. ये अलग बात है कि वह अपने पहले ही मैच में हार गई. लेकिन क्वॉलिफाई तो किया ही. और इधर विनेश का रिजल्ट ज़ीरो हो गया.'हालांकि विनोद ने यह भी साफ किया कि फेडरेशन ने विनेश को जो नोटिस भेजा है इसमें ऐसा कोई चार्ज नहीं है. विनेश के कोच पर लग रहे आरोपों को देखते हुए हमारे क्रिकेटप्रेमी दिमाग में एक चीज और आई. जब ये सब हो रहा था तब फेडरेशन क्या कर रहा था? उन्होंने विनेश को या उसके कोच को रोका-टोका क्यों नहीं. इस सवाल पर विनोद ने कहा,
'ये लोग अपने-अपने कॉन्ट्रैक्ट कर लेते हैं. हमें पता ही नहीं होता कि किसका क्या चल रहा है. कहां क्या कॉन्ट्रैक्ट है. ये लोग तो बाद में हमें बताते हैं कि हमने यहां कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है. इनको साथ जोड़ लिया है. तो अगर आप खुद हायर कर रहे तो आप खुद देखो उनकी व्यवस्था. हम नेशनल कैंप में रह रहे प्लेयर्स और कोच के ही जिम्मेदार हैं. हमने पहले विनेश को सुविधाएं दी थीं, लेकिन फिर जब वो OGQ से जुड़ गई तो हमने वो सुविधाएं वापस ले ली.'अपनी बात आगे बढ़ाते हुए विनोद ने यह भी बताया कि आगे से ऐसा ना हो, प्लेयर्स WFI से बिना बताए कहीं और ना जाएं इसके लिए व्यवस्था बनाई जा रही है. इस मामले में हमने विनेश से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमारे मैसेज्स का कोई जवाब नहीं दिया. इस पूरे मसले पर जो फैक्ट सामने हैं उन्हें देखने के बाद विनेश की गलतियां तो दिख ही रही हैं, लेकिन फेडरेशन को भी पूरी तरह से क्लीनचिट नहीं दी जा सकती. विनेश का प्राइवेट कोच कर लेना और फेडरेशन को इसके बारे में जानकारी ही ना होना बेहद गंभीर विषय है. ये दिखाता है कि फेडरेशन अपने प्लेयर्स के बारे में पूरी ख़बर नहीं रख रहा. क्योंकि आप दूसरे किसी भी खेल को देख लें, हमें नहीं लगता कि कोई भी प्लेयर अपनी असोसिएशन को बताए बिना ऐसे फैसले ले सकता है. अब देखने वाली बात होगी कि 16 अगस्त को विनेश अपने ज़वाब में क्या फैक्ट सामने रखती हैं. इसके बाद ही इस मसले पर कोई राय कायम की जा सकेगी. लेकिन अभी के लिए तो एक चीज साफ है कि फेडरेशन और विनेश की इस रस्साकशी में देश को एक मेडल का नुकसान तो हुआ ही है.