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जब लिट्टे नहीं, अंपायर्स के 'खौफ़' से टीम इंडिया ने किया एशिया कप का बॉयकॉट!

अंपायर्स के चलते एशिया कप टाइटल डिफेंड करने ही नहीं गई इंडियन क्रिकेट टीम.

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K. Srikanth
के. श्रीकांत
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गरिमा भारद्वाज
23 अगस्त 2022 (Updated: 23 अगस्त 2022, 11:52 AM IST) कॉमेंट्स
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एशिया कप (Asia Cup) इसी वीकेंड शुरू हो रहा है. एशिया के इस सबसे बड़े टूर्नामेंट को सबसे ज्यादा बार भारत ने जीता है. ये रिकॉर्ड देखकर लगता होगा कि भारत इस टूर्नामेंट के हर एडिशन में खेला होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. इस टूर्नामेंट का एक एडिशन ऐसा भी रहा है जब भारत ने इसमें खेलने से मना कर दिया. जी हां, भारत 1986 में हुए इस टूर्नामेंट के सेकंड एडिशन में नहीं खेला था.

पॉलिटिकली वोक लोगों को पता ही होगा, उस दौर में श्रीलंका गृहयुद्ध से गुजर रहा था. वहां पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (लिट्टे) ने अलग तमिल देश की मांग को लेकर लड़ाई छेड़ रखी थी. और इन्हीं सबके बीच साल 1986 का एशिया कप श्रीलंका में आयोजित हुआ. ऐसे में यहां पर इंडियन प्लेयर्स ने सुरक्षा कारणों की वजह से खेलने से इंकार कर दिया था. और ये अपना टाइटल डिफेंड करने भी नहीं उतरे थे.

लेकिन इंडियन प्लेयर्स का इस टूर्नामेंट से बाहर बैठने का कारण सिर्फ यही नहीं था. दरअसल, साल 1985 में इंडिया ने श्रीलंका का दौरा किया था. और इसी टूर के दौरान मेहमान देश को हराकर श्रीलंका ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ जीती थी. इस सीरीज़ के दौरान टीम इंडिया में सब कुछ सही नहीं था, टीम के अंदर काफी विवाद चल रहे थे. लेकिन इन विवादों से ज्यादा समस्या अंपायरिंग ने पैदा की. प्लेयर्स इस सीरीज़ की अंपायरिंग से बहुत नाराज़ थे. और इसीलिए उन्होंने अगले ही साल श्रीलंका जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

# अंपायरिंग की वजह से एशिया कप टाइटल डिफेंड नहीं किया?

अब आपको पूरी बात बताते हैं. दरअसल, तीन टेस्ट मैच का ये दौरा टीम इंडिया ने हड़बड़ी में किया था. इंडियन टीम के श्रीलंका में लैंड करने तक ये बात पक्की नहीं थी, कि ये सीरीज़ खेली जाएगी या नहीं. तमाम सवालों के बीच टीम इंडिया वहां पहुंची, और तीन मैच की सीरीज़ खेली गई. पहला मुकाबला ड्रॉ हुआ, दूसरा मुकाबला श्रीलंका ने अपने नाम किया. और फिर तीसरा मुकाबला भी ड्रॉ हो गया.

और श्रीलंका पहली बार कोई टेस्ट सीरीज़ जीत गई. वहीं, इंडिया के सीरीज़ हार के कई सारे कारण थे. पहली तो टीम के अंदर की लड़ाइयां, दूसरा खिलाड़ियों की कम प्रैक्टिस. लेकिन ये सारे मसले पीछे छूट गए. क्योंकि इस टूर में अंपायरिंग का लेवल बहुत खराब रहा. अंपायर्स के खिलाफ़ इंडिया में गुस्सा इसलिए भी रहा क्योंकि ग्राउंड पर हुई घटनाओं के राजनैतिक अर्थ भी निकाले गए. और वो इसलिए, क्योंकि ज्यादातर संदेहास्पद फैसले तमिलनाडु के प्लेयर कृष्णमचारी श्रीकांत के खिलाफ़ दिए गए.

श्रीलंकन अंपायर पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने श्रीकांत के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया. जब श्रीकांत ने खराब लाइट की शिकायत की, तो जवाब में अंपायर ने उनसे बदतमीजी भरे अंदाज में बल्लेबाजी जारी रखने को कहा. हालांकि इंडिया टुडे के अनुसार इसके बाद खुद श्रीकांत ने ही दिन खत्म होने से पहले अंपायर से माफी मांगी. लेकिन ये माफी वाली बात टीम मैनेजर एम एल जयसिम्हा तक नहीं पहुंची थी.

श्रीकांत के साथ जो हुआ उसके खिलाफ मैनेजर जयसिम्हा ने लिखित शिकायत दर्ज की. और इस बात से मेज़बान काफी नाराज़ हुए. इस सीरीज़ के दौरान दोनों बोर्ड्स के बीच आई खटास को भी इंडिया द्वारा श्रीलंका में आयोजित एशिया कप में ना खेलने का एक कारण बताया जाता है.

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