The Lallantop
Advertisement

अजंता मेंडिस: जिसकी मिस्ट्री का भूत सचिन-सहवाग ने उतार दिया था

इंडियन बैटिंग की रीढ़ तोड़ दी थी. आज बड्डे है.

Advertisement
Img The Lallantop
Ajantha Mendis ने एक दौर में खूब भौकाल बना रखा था.
pic
केतन बुकरैत
11 मार्च 2022 (Updated: 11 मार्च 2022, 11:00 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
साल 2008. ये वो वक़्त था जब पाकिस्तान में भी क्रिकेट सीरीज़ हुआ करती थीं. इस बार एशिया कप वहीं हुआ. इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्री लंका, अफ़ग़ानिस्तान और हॉन्ग-कॉन्ग टूर्नामेंट में खेल रहे थे. फाइनल होना तय हुआ इंडिया और श्री लंका के बीच. कराची का मैदान. श्री लंका ने पहले बैटिंग की और सनथ जयसूर्या ने मारना शुरू कर दिया. 125 रन बना डाले. इंडिया को 274 रन का कठिन टार्गेट मिला. जवाब में इंडिया की स्थिति ठीकठाक ही रही. एक तरफ से बैट्समेन गेंद खा रहे थे या आउट हो रहे थे. लेकिन सहवाग ने दूसरा छोर पकड़ा हुआ था. वो एंकर की भूमिका निभा रहे थे. सहवाग ने ज़्यादातर स्ट्राइक अपने ही पास रखी हुई थी. 36 रन पर गौतम गंभीर का विकेट टपका. उन्होंने मात्र 6 रन बनाये थे. ये वो समय था जब गंभीर और सहवाग नए सचिन-गांगुली थे. लेफ़्ट-हैंड और राइट-हैंड बल्लेबाजों की ओपनिंग जोड़ी. राइट हैंड वाला किसी भी बॉलिंग अटैक को तहस-नहस कर देने में पूरी तरह से समर्थ था. सहवाग इस वक़्त यही कर भी रहे थे. गेंद अच्छे से बल्ले पर आ रही थी और अगर बल्ला सहवाग का था तो और भी अच्छे से वो वापस भी जा रही थी.

सहवाग के खेल का आलम ये था कि उन्होंने पहले पॉवरप्ले में अपनी फिफ्टी पूरी कर ली थी. पॉवरप्ले ख़त्म होने में अभी वक़्त था. कुल 7 ओवर और 2 गेंदें ही फेंकी गई थीं. यानी 44 गेंदें. इंडिया के मात्र 58 रन हुए थे. इसमें से 50 सहवाग के थे. उन्होंने सिर्फ 26 गेंदें खेली हुई थीं. सहवाग पूरी तरह से लय में थे. चमिंडा वास की रूम न देने वाली गेंदें भी उस शाम बाउंड्री की ओर दौड़ रही थीं.


इंडिया के 9 ओवर में 76 रन. आठवें ओवर की आख़िरी गेंद पर सुरेश रैना ने अपने पैर के अंगूठों पर खड़े होकर बैकफ़ुट पंच मारा था. नौवां ओवर. एक नए बॉलर के हाथ में गेंद दी जा रही थी. नाम था अजंता मेंडिस. अपना 8वां मैच खेल रहा था. इंडिया के ख़िलाफ़ पहला. सहवाग स्ट्राइक पर थे. ये वो बल्लेबाज था जो स्पिनर्स को बॉलर ही नहीं मानता था. दूसरी गेंद. सहवाग ने मन बना लिया था कि बाहर निकलेंगे. उन्हें गेंद नहीं फुटबॉल दिख रही थी. इस वक़्त बल्ले की रेंज में आने वाली हर शय को वो बाउंड्री पार भेजने का माद्दा रखते थे. लिहाज़ा, निकल पड़े. मेंडिस ने गेंद को ऑफ स्टंप के बाहर, छोटी लेंथ पर फेंका. फ़ेंकते वक़्त उस पर अंगुलियां फेर दीं. गेंद पड़ने के बाद और बाहर निकल पड़ी. सहवाग ने तुरंत ही शॉट बदल कर गेंद कट करनी चाही लेकिन तब तक देर हो गई थी. बाकी की औपचारिकता संगकारा ने कर दी. सहवाग का आउट होना एक टोंटी का खुलना था. वो टोंटी जो खुलती है और फिर कोई उसे बंद करना भूल जाता है. टंकी खाली हो जाती है. इसी ओवर की चौथी गेंद. मिडल स्टंप पर फेंकी गई सीधी गेंद. एकदम सीधी. पड़ने के बाद और भी सीधी निकल पड़ी. स्पीड में कुछ बदलाव हुआ क्यूंकि गेंद स्किड कर गई. युवराज सिंह गेंद की लेंथ को मिस कर गए और स्पीड में भी चूके. बोल्ड! 76 पर 1 से 76 पर 3. mendis yuvraj dismissal 17 रन बाद सुरेश रैना को एकदम ऐसी ही गेंद पर बोल्ड किया. मेंडिस का तीसरा विकेट. इंडिया का चौथा. जीत की राह पर चल पड़ी इंडियन टीम अब सोच में पड़ी हुई थी. अभी तक ये सुना था कि मेंडिस एक मिस्ट्री स्पिनर हैं. लेकिन मिस्ट्री क्या थी, ये भी समझ में आ रहा था. जब तक कुछ और समझा जा सकता, रोहित शर्मा आउट होकर जा रहे थे. मिडल स्टंप पर पड़ी लेंथ बॉल जिसने पड़ने के बाद क्या किया, ये रोहित शर्मा को शायद आज भी नहीं समझ में आया होगा. वो गेंद जाकर उनके पिछले पैर पर पड़ी. अम्पायर ने उंगली उठा दी. रोहित उसे अक्रॉस-द-लाइन खेलना चाहते थे लेकिन गेंद कुछ अंदर आई और विकेट्स के सामने शर्मा के पैड पर जा लगी. साफ़ आउट. इंडिया 97 पर आधी टीम खो चुकी थी. अब सब कुछ बहुत मुश्किल लग रहा था. इसके बाद इंडिया की टीम इस झटके से उबर ही नहीं पाई. ये किसी मुक्केबाज़ की एक के बाद एक मारे गए मुक्कों की ऐसी सीरीज़ थी, जिसने सामने वाले को होश में आने ही नहीं दिया और सीधे ब्रेन हैमरेज कर दिया. इंडिया के सर में अंदरूनी चोट लगी थी और खून बेतहाशा बह रहा था. इसके बाद मेंडिस ने 2 विकेट और लिए. इंडिया मात्र 173 रन ही बना पाई. 39.3 ओवर में पेटी पैक हो गई. एक वक़्त पर चिंता में डूबी हुई श्रीलंका ने मैच 100 रन से जीता. मेंडिस ने 8 ओवर में मात्र 13 रन दिए. 48 गेंद में 13 रन. कुल 6 विकेट लिये. मैन-ऑफ़-द-मैच उन्हें ही मिला. # Ajantha Mendis Mystery इस बॉलिंग परफॉरमेंस ने इंडियन क्रिकेटर्स को ही नहीं बल्कि फै़न्स को भी बहुत वक्त तक हैरानी में रखा. हर जगह इंडिया के स्पिन न खेल पाने की बात हो रही थी. मेंडिस की मिस्ट्री बहुत गहरी मालूम देने लगी थी. हालांकि इसके बाद सहवाग और सचिन ने मेंडिस को पूरी तरह पढ़ लिया और आगे के मैच में उन्हें खूब मार मारी. सबसे बड़ी चोट तो तब पड़ी जब सचिन ने मेंडिस को पहले तो बाहर निकल कर इनसाइड-आउट छक्का मारा और फिर एक के बाद एक दो बार रिवर्स स्वीप मारे. मेंडिस की किताब पढ़ी जा चुकी थी. अब सभी को हर सबक मुंह-जुबानी याद था. मेंडिस का हौव्वा मिट चुका था. साल 2008 में अजंता मेंडिस इंडिया के सामने पहली बार खेल रहे थे. इस साल मेंडिस ने 6 वन-डे मैच में कुल 19 विकेट लिए. 13 रन लेकर छह विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. लेकिन 2009 आते ही उनका ग्राफ़ भयानक तरीके से नीचे गिरा. यहां से उनका बुरा वक़्त शुरू हुआ. 2009 और उसके आगे 13 मैच में मेंडिस  17 हिन्दुस्तानी विकेट ले पाया. इस दौरान वो 6.13 रन प्रति ओवर से भी ज़्यादा दर से रन दे रहे थे जबकि 2008 में उन्होंने इंडिया के सामने हर ओवर में मात्र 3.20 रन प्रति ओवर के हिसाब से रन दिए. 11 मार्च 1985 को पैदा हुए मेंडिस आज 37 साल के हो गए हैं.

वीडियो- रमन लाम्बा: वो इंडियन क्रिकेटर जिसने हेल्मेट न पहनने की कीमत जान देकर चुकाई

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement